कानपुर की विश्व प्रसिद्ध लाल इमली, जिसने बना दिया कानपुर को ‘पूरब का मैंचेस्‍टर’ बंदी का फाइनल नोट तैयार-

कानपुर की लाल इमली, जिसने कानपुर को देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक एक अलग पहचान दिलाई थी। कानपुर की लाल इमली में बने उत्पाद देश ही नहीं बल्कि दुनिया में एक अलग पहचान रखते थे। कभी अपने कपड़े और वुलेन के लिए पूरी दुनिया में लाल इमली का नाम था।

इसी लाल इमली की लोकप्रियता ने कानपुर को ‘मैनचैस्‍टर ऑफ ईस्‍ट’ बना दिया। एक जमाने में वूलेन कपड़ों का बस यही ब्रांड था। इस ब्रांड की धाक सात समंदर पार सुनाई देती थी। इसे बनाने वाली मूल कंपनी का नाम था कॉनपोर वूलेन मिल्स। लेकिन, यह ब्रांड इतना ताकतवर और महशूर था कि कानपुर में यह लाल इमली मिल के नाम से चर्चित हो गई।

कानपुर की कभी शान होने वाली मिल अब पूरी तरह से बंद है। लोक उद्यम विभाग ने बीआईसीएल को बंद करने के लिए नोट तैयार कर लिया है. जिससे अब लाल इमली को पूरी तरीके से बंद करने का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही नेशनल टैक्सटाइल कॉरपोरेशन को भी बंद किया जाएगा।

किसी जमाने में कारखाने के मजदूरों के लिए यहीं से अलार्म बजता था। इस म‍िल ने हजारों कामगारों को रोजी दी। ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन (BICL) की पहचान थी लाल ईटों से बनी यह बिल्‍ड‍िंग। देश जब आजादी का अमृत महोत्‍सव  मनाएगा तो लाल इमली बस यादों में रह जाएगी। सदियों पुरानी इस मिल पर ताला लगने का रास्‍ता साफ हो गया है।

लाल इमली मिल आजादी से पहले की है। ब्रितानी उद्योगपति सर एलेक्‍जैंडर मैकरॉबर्ट ने पब्लिक लिमिटेड कंपनी ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन (BICL) की नींव रखी थी।
कंपनी लाल इमली के अलावा धारीवाल नाम के ब्रांडों से ऊनी कपड़ों की मैन्‍यूफैक्‍चरिंग करती थी। इसके चलते कानपुर को पूरब का मैनचेस्टर कहा जाने लगा।
1981 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सरकार की पॉलिसी के तहत बीआईसीएल का राष्‍ट्रीयकरण कर दिया। इसके प्रोडक्‍टों को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया था। तब से कंपनी घाटे में है।

 

ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’

 

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