UGC/MIN OF HRD अराजकता का अड्डा बन रहे विश्वविद्यालय,आखिर क्या कर रहे जिम्मेदार केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक?

देश में जब कांग्रेस की सरकार थी तो विश्वविद्यालयों में अनुशासन और बेहतर पढ़ाई के माहौल को लेकर अक्सर भारतीय जनता पार्टी तत्कालीन केंद्र सरकार यानी कांग्रेस की सरकार पर दबाव बनाती थीl किसी भी विश्वविद्यालय में जब हंगामा और सियासत होती थी तो भाजपा कहती थी कि केंद्र सरकार विश्वविद्यालयों को सियासत का अखाड़ा बना रही है लेकिन आज देश के कई विश्वविद्यालयों में अराजकता और राजनीतिक दलों की दखल बढ़ती जा रही है l बेहतर पढ़ाई और अच्छे रिजल्ट के लिए चर्चित रहने वाले विश्वविद्यालय देश विरोधी नारे मारपीट अराजकता और गुंडागर्दी के लिए चर्चित हो रहे हैंl आए दिन विश्वविद्यालयों में धरना प्रदर्शन और राजनीतिक भाषण बाजी हो रही है जिसकी वजह से वहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को समस्या हो रही है और प्रतिदिन जनता की गाढ़ी कमाई से आने वाले सरकारी खजाने के करोड़ो रुपए बर्बाद हो रहे हैंl

ऐसे में बड़ा सवाल किया है कि केंद्र सरकार का विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी क्यों खामोश बैठा है ?और विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण रखने वाले केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारी और उनके कैबिनेट मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक आखिर क्या कर रहे हैं? आखिर क्यों विश्वविद्यालयों को अराजकता की ओर सुनियोजित रूप से धकेला जा रहा है और जिम्मेदार सरकारी विभाग खामोश बने हैं ?

विश्वविद्यालयों से देश के लिए उपयोगी रिसर्च होना चाहिए मेधावी विद्यार्थियों को आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए रोजगार और नए वैज्ञानिक अनुसंधान विकसित होने चाहिए लेकिन अरबों रुपए के भारी-भरकम बजट से संचालित होने वाले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय जाधवपुर विश्वविद्यालय समेत देश के कई विश्वविद्यालयों में सुनियोजित रूप से पिछले कई महीनों से अराजकता फैलाई जा रही है

इसका सीधा असर वहां के एकेडमिक माहौल पर पड़ रहा है जिन विश्वविद्यालयों से पढ़कर जिम्मेदार युवा देश सेवा के लिए आगे बढ़ते हैं उन्हीं विश्वविद्यालयों में देश विरोधी गतिविधियां खुलेआम संचालित हो रहे हैं यह सीधे तौर पर केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की विफलता है जो कि देश के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुखिया हैं और साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यूजीसी के अधिकारियों की भी आला दर्जे की लापरवाही उजागर होती है जो कि विश्वविद्यालय में अनुशासन स्थापित रखने में खुले तौर पर नाकाम साबित हो रहे हैं

जिन विश्वविद्यालयों में ऐसा माहौल बना है सीधे तौर पर वहां के वहां के कुलपति वहां के चीफ प्रॉक्टर इसके लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि उन्हीं की लापरवाही की वजह से विश्वविद्यालयों में राजनीतिक दलों के एजेंट लंबे समय से जमे हैं छात्रावासों पर नियम विरुद्ध तरीके से दलीय राजनीति करने वाले ने कब्जा जमा रखा है जोकि सीधे-साधे छात्र-छात्राओं को गुमराह करके अपनी सियासी रोटियां सेक रहे हैंl

विश्वविद्यालयों में छात्र छात्राओं की जायज मांगों को गंभीरता से लेते हुए उनकी सुनवाई करनी चाहिए और अराजकता अनुशासनहीनता फैलाने वालों को सख्ती से बाहर कर के विश्वविद्यालयों का एकेडमिक वातावरण बेहतर करने की जरूरत है,और इसके लिए सियासी बयानबाजी नहीं ठोस कार्रवाई की जरूरत है।

रिपोर्ट – आलोक कुमार