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UP में पंचायत चुनाव के परिणाम से बढ़ा सपा का मनोबल, भाजपा पर आत्मवलोकन का दबाव!

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के अधिकांश परिणाम आ चुके हैं और पूरे प्रदेश से ऐसी खबरें आ रही है कि ज्यादातर सीटों पर समाजवादी पार्टी के समर्थित प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई है बड़ी संख्या में निर्दलीय भी जीते हैं लेकिन सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं।

पंचायत चुनाव में भाजपा के निराशाजनक प्रदर्शन के मोटे तौर पर तीन कारण बताए जा रहे हैं।

सम्मान और सहयोग न मिलने से निराश भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता:

जानकारों के मुताबिक पिछले 4 वर्षों से जनपदों में भाजपा के विधायकों और अन्य नेताओं के द्वारा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई है ग्रामीण स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ताओं के आवश्यक काम पुलिस प्रशासन से आसानी से नहीं होते जबकि समाजवादी पार्टी के लोग अपने संगठन से जुड़े लोगों और कार्यकर्ताओं की हर स्तर पर पूरी मदद करते हैं उन्हें सशक्त बनाने का काम करते हैं वह इसके उलट भाजपा में कार्यकर्ता निराश है और अपनी ही सरकार में सुनवाई ना होने की बात कही बार जमीनी कार्यकर्ता ऊपर पहुंचा चुके हैंl पंचायत चुनाव में स्थानीय विषय हावी होते हैं और गांव देहात के कार्यकर्ताओं और जमीनी संगठन की सबसे बड़ी भूमिका होती है इसलिए भाजपा अपने धरातल के संगठन और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की वजह से पंचायत चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई क्योंकि कार्यकर्ताओं ने उत्साह के साथ काम नहीं किया वहीं इसके उलट सपा के कार्यकर्ताओं ने पूरी ताकत लगा के इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया।

किसानों का एक वर्ग भी भाजपा से असंतुष्ट है:

कुछ महीनों पहले तक अधिकांश किसान भाजपा को पसंद कर रहे थे भाजपा ने किसानों की कर्ज माफी की किसान सम्मान धनराशि भी दे रही है लेकिन किसान आंदोलन में किसानों की बात सुने जाने को ना लेकर गांव देहात के किसान भी अपना अपमान समझ रहे हैं और किसानों का एक हिस्सा भाजपा से दूर हो गया हैl बड़ी संख्या में किसानों ने इस बार समाजवादी पार्टी और दूसरे विचारधारा के प्रत्याशियों को चुनाव में वोट दिया है जिसका असर पंचायत चुनाव के परिणाम में दिखाई पड़ रहा है।

कोरोना संक्रमण के प्रबंधन में सरकार की विफलता से भी लोग नाराज हैं:

कोरोना संक्रमण पूरे देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी जनता बेहाल है, सरकारी तंत्र की लापरवाही और अदूरदर्शिता साफ दिखाई पड़ रही है।
इसकी वजह से लोगों में भाजपा का मोहभंग हो रहा है। अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन न मिलने की खबरें भाजपा सरकार की कार्यशैली के प्रति अविश्वास पैदा कर रही हैं और यह भी पंचायत चुनाव में एक फैक्टर के रूप में बीजेपी के खिलाफ असरदार रहा है।

रिपोर्ट – आलोक मिश्रा

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