शरीर के लिए जरूरी विटामिन जितने भी हैं उनमें विटामिन डी सबसे जरूरी है। शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस का संतुलन बनाने के लिए विटामिन डी आवश्यक होता है। विटामिन डी पाचन तंत्र से जरूरी पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मददगार होता है। जोड़ों का दर्द इन दिनों कॉमन प्रॉब्लम बन गया है। हर उम्र के लोग इस दर्द का शिकार बन रहे हैं। अक्सर दर्द की वजह विटमिन डी की कमी होती है।
हैरानी की बात है कि शहरों में रहनेवाले करीब 80-90 फीसदी लोग विटमिन डी की कमी से होने वाली समस्याओं से जूझ रहे हैं।
यदि बच्चों को नियमित रूप से 4 महीनों के लिए 100 आईयू विटामिन डी की खुराक दी जाती है, तो यह फ्लू के जोखिम से जूझने में मदद कर सकता है ।
सर्दियों के दौरान, इन्फ्लूएंजा होने का जोखिम 40% तक कम हो जाता है।
गर्भावस्था में, विटामिन डी एक बहुत मदद करता है। विटामिन डी की कमी से सिजेरियन और प्रीक्लेम्पसिया होने का खतरा बढ़ सकता है।
यह भी कहा जाता है कि इस विटामिन के खराब सेवन से बैक्टीरियल वेजिनोसिस होता है। यह कैंसर को रोकने में भी मदद करता है।
इसके साथ ही यह मधुमेह के खतरे को कम करता है।
ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’