बाराबंकी: भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है खसपरिया धाम! जानिए क्या है मान्यताएं क्या है इतिहास

बाराबंकी: हिन्दू देवी देवताओं में भगवान शिव का अलग स्थान है,भगवान भोलेनाथ की महिमा का वर्णन अनेक पौराणिक कथाओं में देखने को मिलता है। इन्ही पौराणिक कथाओं में से एक महाभारत भी है। जनपद के बंकी ब्लॉक के ग्राम खसपरिया में भी प्रसिद्ध शिव मंदिर स्थित है और ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर महाभारत कालीन है, जिसे लोग मत्थेश्वर धाम के नाम से जानते हैं। यह मंदिर जनपद मुख्यालय से 15 कि.मी दूर है, स्थानीय लोगो का कहना है कि यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना है। इस मंदिर पर शिवरात्रि व बसंत पंचमी के दिन मेला लगता है और सोमवार एवं शुक्रवार को भक्तों का तांता भी लगा रहता है।

मंदिर के पुजारी का कहना है कि मत्थेश्वर धाम में भक्तों की बड़ी आस्था है और यहां जो श्रद्धालु आते हैं। उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। भगवान शिव के प्रति आस्था रखने वाले भक्त दूर दूर से दर्शन प्राप्त करने आते है। इस स्थान को ख़सपरिया धाम भी कहा जाता है जहाँ कानपुर, इटौंजा,इटावा, गोण्डा, बहराइच, हरदोई, फर्रुखाबाद, लखीमपुर, सीतापुर, लखनऊ,उन्नाव,सुल्तान, गाजियाबाद, रामपुर मथुरा, आदि जिलों से श्रद्धालु आते हैं। और इस मंदिर पर शिवरात्रि बंसन्त पंचमी के दिन पच्चासों हजार की भीड़ होती है, इस मत्थेश्वर महादेव की शिवलिंग को पाडंव कालीन का बताया जाता है।

किंवदंतियों के अनुसार पांडव ने अज्ञातवास यहां भगवान शंकर की पूजा की थी और यह मंदिर महाभारत कालीन के समय का बताया जाता है।यह मंदिर महाभारत कालीन से संबंधित हैं और इस मत्थेश्वर महादेव मंदिर पर श्रावण मास में भक्तो का जमावड़ा लगा रहता है। सुबह चार बजे से लेकर शाम तक बम बम भोले का जयकारा गूंजता रहता है और श्रावण मास व शिवरात्रि के दिन रूद्राभिषेक, व श्रद्धालु लोग भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। और बराबर प्रसाद वितरण किया जाता है।शाम के समय भजन संध्या भी भक्तगण करतें हैं। व साल के बारह मास सोमवार व शुक्रवार के दिन भक्तगण जल चढ़ाते हैं। जब श्रद्धालुओं की मनोकामना शिव जी पूर्ण कर देते हैं तो भक्तगण कथा भी सुनते हैं।

इस मंदिर के पुजारी ने बताया कि भोलेनाथ जगंल में प्रकट हुए थे, जिस भूमि पर मन्दिर स्थापित है यह जमींदारों की थी, इस भूमि को जमींदार लोग दूसरे हद में ले जाना चाहते थे जिस कारण यहां पर बीसो फिट गढ्ढ़ा करा डाला लेकिन यह शिवलिंग नही निकाल पायें। जिसके बाद भगवान शिव में आस्था रखने वाले खसपरिया के एक जिम्मेदार यहाँ मठ का निर्माण करा दिया जिसके कुछ समय बाद ही यहाँ भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया।

रिपोर्ट-शोभित मिश्रा

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