ना मानवता ना शिष्टाचार यह कैसा समाजवाद? पूर्व सीएम की अंतिम यात्रा से दूर क्यों पूर्व सीएम मुलायम और अखिलेश!

कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश में दो बार पूर्व मुख्यमंत्री रहे और मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव जी उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रह चुके हैं उनकी मौत के बाद उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पहुंची और उन्होंने कल्याण सिंह के परिजनों से बात करके शोक संवेदना व्यक्त की ।
राजनीतिक और सामाजिक शिष्टाचार के तहत यह जरूरी था और यह पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे पूर्व मुख्यमंत्री सपा के वर्तमान अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए भी जरूरी था क्योंकि दोनों उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रह चुके हैं प्रदेश की सरकार चला चुके हैं और एक ऐसे व्यक्ति की मृत्यु हुई है जो उनकी ही तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा किरदार निभा चुके हैं।

मुलायम सिंह यादव का परिवार भी पिछड़ी जाति से आता है और कल्याण सिंह भी पिछड़ी जाति से आते हैं दोनों लोगों की समाज के बड़े नेता हैं मुलायम सिंह यादव समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं तो कल्याण सिंह लोधी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं इसके बावजूद मुलायम का परिवार कल्याण के अंतिम संस्कार कार्यक्रम से दूर रहा । जबकि मुलायम तो कल्याण सिंह के राजनीतिक साझीदार भी रहे हैं उनके साथ राजनीतिक मंचों पर भी शामिल रहे जब कल्याण सिंह कुछ वर्षों के लिए भाजपा से अलग हो गए थे तब मुलायम सिंह से उनकी नजदीकियां जगजाहिर थी और कई मंचों पर मुलायम सिंह ने उनका हाथ पकड़ कर उनका साथ निभाने का वादा किया था दोनों ने एक दूसरे के चुनाव में राजनीतिक मदद भी पहुंचाई थी इसके बावजूद कल्याण सिंह की मृत्यु के बाद उनके अंतिम संस्कार और उनके अंतिम दर्शन में न तो मुलायम सिंह पहुंचे नहीं उनके पुत्र अखिलेश यादव। जबकि ध्यान देने वाली बात यह है कि जब भी मुलायम सिंह यादव की तबीयत खराब होती है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजनीतिक मतभेदों के बावजूद उनके घर जाकर उनका हाल चाल लेते हैं उनसे मुलाकात करते हैं।

कहा जा रहा है कि जो समाजवादी पार्टी शिष्टाचार और राजनीतिक मर्यादा के पालन का दावा करती है उसी पार्टी के दोनों शीर्ष नेताओं ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पूर्व सांसद राजस्थान के पूर्व गवर्नर देश के दिग्गज नेता कल्याण सिंह की मौत पर उनके अंतिम दर्शन ना करके एक गलत राजनीतिक संदेश दिया है। सियासत में किसी की निजी दुश्मनी नहीं होती सियासी विरोध के बावजूद निजी जीवन में शिष्टाचार का पालन जरूरी होता है । फिलहाल उत्तर प्रदेश की सियासत में यह चर्चा है कि 2022 के चुनाव को देखते हुए मुस्लिम मतदाताओं को खुश करने के लिए मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ने यह कदम उठाया जिससे यह संदेश जाए कि राम भक्त कल्याण सिंह की मौत पर उनके पार्थिव शरीर से भी दूरी बना कर सपा नेतृत्व ने कम से कम मुस्लिम मतदाताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। वही सियासी जानकारी अभी मान रहे हैं कि अखिलेश यादव के फैसले से ओबीसी समाज में गलत संदेश गया है कल्याण सिंह सिर्फ ओबीसी समाज में ही नहीं बल्कि संपूर्ण हिंदू समाज में बहुत लोकप्रिय व्यक्तित्व के रूप में स्थापित हैं और उनके निधन से पूरे समाज में शोक की लहर है ऐसे में राजनीतिक रूप से भी यह फैसला नुकसान पहुंचा सकता है।

रिपोर्ट – आनंद मिश्रा, लखनऊ

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