
बाराबंकी। मोदी सरकार के तीन कृृषि काले कानूनों की वापसी के लिये किसान ने आर पार की लड़ाई ठान ली है सरकार के दमन के आगे किसान आन्दोलन न झुकने वाला है न टूटने वाला है। अब देश के अन्नदाता के दिल मे अहंकारी किसान विरोधी राजा के लिये कोई जगह बची नहीं है। मोदी अपना अहम त्याग कर किसान के मन की पीड़ा समझ कर तीनो काले कानूनों को तत्काल वापस लें।
उक्त उद्गार उत्तर प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के मध्य जोन के कार्यकारी अध्यक्ष तनुज पुनिया ने आज कांग्रेस कार्यालय पर किसान मार्च निकाले जाने के पूर्व कांग्रेसजनों तथा किसानों के बीच व्यक्त किये। तदोपरान्त कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मो0 मोहसिन, जनपदीय प्रभारी करमराज यादव, तनुज पुनिया की अगुवाई में विशाल किसान मार्च निकालकर पुलिस प्रशासन से तहसील गेट पर धक्का मुक्की, धरना प्रदर्शन कर गगनभेदी नारों के बीच जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपाति को प्रेषित ज्ञापन प्रशासन के प्रतिनिधि नायब तहसीलदार को सौप कर कृृषि काले कानूनों को वापस लिये जाने की जोरदार मांग की।

जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को प्रेषित ज्ञापन में कांग्रेसजनों ने महामहिम का ध्यान विगत 92 दिनों से देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर मोदी सरकार द्वारा बनाये गये तीन कृृषि काले कानूनों के विरोध में आन्दोलनरत किसानों की ओर आकर्षित करते हुये लिखा है कि दिल्ली की सीमा पर काले कानूनों को निरस्त करने के लिये किसान आन्दोलनरत जिसमें लगभग 200 से ऊपर किसानों की जान जा चुकी है लेकिन देश के प्रधानमंत्री या उनकी सरकार द्वारा किसानों की मौत पर शोक तक नही व्यक्त किया गया और न ही सरकार द्वारा कृृषि कानूनों को वापस लिये जाने के लिये कोई कार्यवाही ही की गयी जिसके चलते आन्दोलनरत किसानों में रोष व्याप्त है। धीरे धीरे यह आन्दोलन अब जन आन्दोलन के रूप में बदल चुका है इस बात पर ज्ञापन में चिन्ता जतायी गयी है।
महामहिम का ध्यान आकर्षित करते हुये कांग्रेसजनों ने लिखा है कि यह कानून संसद मे संघीय ढांचे के विपरीत संविधान की अनदेखी करके बहुमत के आधार पर इन कानूनों को बिना किसी चर्चा के संसद मे पारित करवा लिया है जो इस देश के किसानों के साथ धोखा है क्योंकि इस देश के 62 करोड़ किसानों में 86 प्रतिशत किसान 2 से 5 एकड़ भूमि पर खेती करता है जो अपनी फसल को नजदीक की मंडी में बेचता है लेकिन इन कानूनों के लागू होने पर मंडी व्यवस्था समाप्त हो जायेगी, साथ ही सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पारित कर स्टाक की लिमिट हटा दी गयी है। ऐसे में चन्द पूंजीपति फसल का असीमित स्टाक लगाकर बाजार में आभाव दिखाकर काला बाजारी करेंगे। इन सभी बिन्दुओं का देखते हुये महामहिम से अनुरोध किया गया है कि वह हस्तक्षेप करके अन्नदाता की तबाही देश की खाद्य सुरक्षा को खतरे मे डालने, कारपोरेटी लूट, बेरोजगारी बढ़ाने के कानून को निरस्त करने का निर्देश सरकार को दे।

कांग्रेस कार्यालय से निकले किसान मार्च जब पटेल तिराहे होते हुये तहसील गेट पहुंचा तो स्थानीय प्रशासन ने भारी पुलिस बल के साथ किसान मार्च को रोक लिया जिस पर काफी देर तक पुलिस तथा कांग्रेस नेताओं मे धक्का मुक्की, झड़प होती रही । जिस पर कांग्रेसजन वहीं सड़क पर ही धरने पर बैठकर किसान कानून वापस लेने तथा पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। उसके बाद नायब तहसीलदार ने आकर कांग्रेसजनों से ज्ञापन लिया और धरने को समाप्त कराया।
किसान मार्च मे प्रमुख रूप से कांग्रेस अध्यक्ष मो0 मोहसिन, संगठन सृृजन अभियान के जनपदीय प्रभारी करमराज यादव, पूर्व विधायक राजलक्ष्मी वर्मा, तनुज पुनिया, राजेन्द्र वर्मा, सरजू शर्मा, इरफान कुरेशी, गौरी यादव, ज्ञानेश शुक्ला, सुरेश वर्मा, रामहरख रावत, विजय पाल गौतम, सिकन्दर अब्बास रिजवी, शबनम वारिस, सत्य प्रकाश वर्मा, अरशद इकबाल, रमेश कश्यप, अम्बरीश रावत, संजीव मिश्रा, नेकचन्द त्रिपाठी, आदर्श पटेल, अमित गौतम, सद््दाम हुसैन, तरूण चावला, शुऐब अहमद, मुईनुद््दीन अंसारी, प्रेम नरायण मिश्रा, मुब्बसिर अहमद, सरवर सिद््दीकी, सियाराम यादव, अजीत वर्मा, अरूण कुमार, दुर्गेश दीक्षित, अखिलेश वर्मा, फरीद अहमद, तौकीर वारसी, सरफुद््दीन, जलालुद््दीन गुड््डू, महेन्द्र पाल वर्मा, सुशील वर्मा, पुत्तू लाल वर्मा, आमिर अहमद किद््वाई, मो0 आरिफ, धनंजय सिंह, अजीत वर्मा, शेर बहादुर पाल, प्रीति शुक्ला, तस्लीमन खान, मीरा गौतम, रेशम खान, शान्ति सोनी, पिंकी पाण्डेय, रामू यादव सहित सैकडो की संख्या मे कांग्रेसजन मौजूद थे।
रिपोर्ट -सरदार परमजीत सिंह