Devvrat Sharma-
उत्तर प्रदेश में अभी भी नागरिकता कानून का कहीं-कहीं विरोध हो रहा है लेकिन लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से, दंगा करने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा।
नागरिकता कानून के विरोध में दिल्ली में जो हिंसा पिछले 2 दिनों से हो रही है वह दरअसल दूसरे दौर की हिंसा है इस कानून के पहले दौर के विरोध में भी दिल्ली में व्यापक हिंसा तोड़फोड़ और नुकसान हुआ था लेकिन ऐसा लगता है कि पहले दौर की नागरिकता कानून विरोधी हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस ने ऐसी ठोस कार्रवाई नहीं की जिससे दंगाइयों के हौसले पस्त हो।
जबकि उत्तर प्रदेश में भी नागरिकता कानून के विरोध में हिंसा हुई थी लेकिन पहले दौर की हिंसा के बाद ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस अधिकारियों को बैठक कर के कड़े निर्देश जारी कर दिए थे और यह स्पष्ट कर दिया था कि उत्तर प्रदेश में किसी भी हाल में दंगा फसाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगाl जिसे विरोध करना है वह शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करें कानून का उल्लंघन करने वालों को सख्ती से जवाब दिया जाएगा और सीएम योगी के निर्देशों पर उत्तर प्रदेश की पुलिस ने अलग-अलग जनपदों में दंगा फैलाने वालों के खिलाफ ठोस कानूनी कार्रवाई की थी।
खुद यूपी के तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह लखनऊ के हिंसा ग्रस्त इलाकों में पहुंचे थे और पूरे प्रदेश के पुलिस बल को यह संदेश दिया कि दंगाइयों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करें किसी भी हालत में शांति व्यवस्था को बनाए रखें।
जिसके बाद पुलिस के द्वारा ऐसे लोगों की जिम्मेदारी तय करते हुए उन्हें हर्जाना वसूलने की नोटिस भी कानूनी तौर पर भेजी गई थी।
इतना ही नहीं यूपी पुलिस ने दंगों को भड़काने वाले संगठन और गोपनीय रूप से माहौल खराब करने के लिए काम करने वाले लोगों को भी पूरी जांच पड़ताल करके कानून के दायरे में लाने का काम किया जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश में दंगा फैलाने वाले तत्वों का मनोबल टूट गया और अब उत्तरप्रदेश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन तो कई स्थानों पर अभी भी चल रहे हैं लेकिन हिंसक प्रदर्शन करने की कोई भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा।
वहीं दिल्ली पुलिस के मुखिया निश्चित तौर पर इस मामले में लापरवाह साबित हुए हैं और वहां की लोकल इंटेलिजेंस भी लापरवाह साबित हुई है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के कार्रवाई का मॉडल अगर दिल्ली पुलिस ने फॉलो किया होता तो इस तरह से दिल्ली दूसरे दौर की हिंसा में देश की राजधानी दिल्ली ना सुलगती।
दिल्ली में जानबूझकर उस समय हिंसा फैलाई गई जब भारत में अमेरिका के राष्ट्रपति विदेशी मेहमान के रूप में आए हुए हैं।
लगभग 2 महीने पहले दिल्ली में जब व्यापक हिंसा हुई थी उसके बाद ही दिल्ली के पुलिस को कठोरतम कार्रवाई करते हुए दंगाइयों और उपद्रवियों की पहचान करके और उनके गोपनीय मददगारओं को कानून के दायरे में लाकर उन पर ऐसी नकेल कस देनी थी कि वह दोबारा दिल्ली का माहौल खराब करने की हिम्मत न करते।
लेकिन दिल्ली पुलिस की कार्यवाही में कहीं ना कहीं चूक रह गई और वह यूपी पुलिस की तरह दंगाइयों को कठोर संदेश देने में विफल रहे गए, यही वजह है कि दिल्ली में फिर बार फिर से दंगाइयों को सिर उठाने की हिम्मत हुई और उन्होंने दिल्ली के बड़े हिस्से को आग और बर्बादी के हवाले कर दिया और न सिर्फ पूरे देश में बल्कि दुनिया में भी दिल्ली की बदनामी हुई है।
अगर दिल्ली पुलिस को वाकई में इन दंगाइयों का मनोबल तोड़ना है तो उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस के मॉडल को फॉलो ही करना होगा और पूरे सबूत जुटाकर जांच पड़ताल करके हर दंगाई और दंगाई करने वाले लोगों को मदद पहुंचाने वाले गुनहगारों को कानून के दायरे में लाकर उनकी जिम्मेदारी तय करनी होगी।