शुद्ध शाकाहारी खाना खाने वाले रेल यात्रियों के लिये भारतीय रेल की सहयोगी कम्पनी आई आर सी टी सी की नई पहल
अगर आप पूरी तरह शाकाहारी हैं, लहसुन और प्याज़ भी नहीं खाते हैं और ट्रेन से सफर करना पसंद है तो यह खबर आपके मतलब की है।अब रेल से सफर के दौरान यात्रियों को पूरी तरह सात्विक खाना मिल सकेगा।आपको बता दें भारतीय रेल की सहयोगी कंपनी आईआरसीटीसी ने इस्कॉन के साथ करार किया है। अब सात्विक खाना खाने के इच्छुक यात्री इस्कॉन मंदिर के रेस्टोरेंट गोविंदा से खाना मंगाकर खा सकेंगे।
इस स्टेशन पर शुरू हुई यह सात्विक भोजन सेवा
इस्कॉन और आईआरसीटीसी के बीच हुए करार के तहत पहले चरण में दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से यह सुविधा शुरू हुई है ।यहां से प्रारम्भ हुई इस सेवा के प्रति यात्रियों का उत्साह देखने के पश्चात इस सुविधा को देश के दूसरे स्टेशनों पर भी शुरू किया जाएगा । रेलवे के अलग-अलग मंडलों में इस सुविधा के शुरू होने के बाद सात्विक खाना खाने वालों को इस सेवा का लाभ मिलेगा।
पेंट्री के भोजन की शुद्धता पर यात्रियों का भरोसा नही
कई बार यह संज्ञान में आया है कि लंबे सफर में पूरी तरह शाकाहारी भोजन करने वाले यात्रियों को भोजन को लेकर काफी परेशानी होती है। जो यात्री प्याज और लहसुन भी नहीं खाते, उन्हें अक्सर सात्विक खाने की दिक्कत होती है। कुछ यात्रियों को पेंट्री कार से मिलने वाले भोजन की शुद्धता पर शक रहता है और वे खाने से परहेज करते हैं. लेकिन अब ऐसे यात्रियों को परेशानी नहीं होगी। सात्विक खाना पसंद करने वाले यात्री ट्रेन में गोविंदा रेस्टोरेंट से खाना मंगाकर खा सकते हैं।
कैसे ले सकते हैं इस सेवा का लाभ?
यदि आप इस सेवा का फायदा उठाकर सफर में सात्विक भोजन करना चाहते हैं तो आईआरसीटीसी ई-कैटरिंग वेबसाइट या फूड ऑन ट्रैक एप पर अपना खाना बुक कर सकेंगे। यात्रियों को ट्रेन छूटने से कम से कम दो घंटे पहले पीएनआर नंबर के साथ ऑर्डर करना होगा । इसके बाद सात्विक भोजन आपकी सीट पर पहुंच जाएगा।
इस सेवा के अन्तर्गत उपलब्ध भोजनों के विकल्प
आईआरसीटीसी की तरफ से कहा गया कि धार्मिक यात्रा पर जाने वालें लोगों को ध्यान में रखकर यह सेवा शुरू की गई है। पहले चरण में यदि अच्छा रिस्पांस मिलता है तो इसका विस्तार किया जाएगा । मेन्यू में डीलक्स थाली, महाराजा थाली, पुरानी दिल्ली की वेज बिरयानी, पनीर से बने व्यंजन, नूडल्स, दाल मखनी समेत कई सात्विक व्यन्जन शामिल हैं ।
रिपोर्ट- विकास चन्द्र अग्रवाल