जो 7 गोलियों से नहीं घबराया, उस IAS ने वकीलों के सामने क्यों कान पकड़ कर की उठक-बैठक?

द इंडियन ओपिनियन
लखनऊ

इस समय उत्तर प्रदेश और पूरे देश में एक IAS अधिकारी का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह वकीलों की भीड़ के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं।

शाहजहांपुर जिले की पुवायां तहसील के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व SDM रिंकू सिंह की तस्वीर इस समय खूब वायरल हो रही है। इन तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि SDM रिंकू सिंह अपनी तैनाती के अगले ही दिन वकीलों की भीड़ के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक कर रहे हैं।
रिंकू सिंह ने हाल ही में IAS अफसर के रूप में अपनी ट्रेनिंग पूरी की है और उन्हें ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में पहली पोस्टिंग शाहजहांपुर जनपद में मिली, जहाँ DM ने उन्हें पुवायां तहसील का SDM बना दिया।

मंगलवार को SDM रिंकू सिंह तहसील का निरीक्षण कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने दो लोगों को तहसील परिसर में खुले में पेशाब करते हुए देखा और नाराज़ होकर दोनों लोगों को उठक-बैठक करने के लिए कहा। साथ ही यह भी कहा कि दोबारा कहीं भी खुले में पेशाब न किया जाए।

इस बात से तहसील के वकील भड़क गए और धरने पर बैठ गए। दरअसल, खुले में पेशाब करने वाला एक व्यक्ति किसी वकील साहब का मुंशी था। वकीलों ने SDM से शिकायत की और कहा कि तहसील परिसर के टॉयलेट इतने बदहाल हैं कि मजबूरी में लोग खुले में पेशाब करने को मजबूर हैं।

बताया जा रहा है कि अधिवक्ताओं के दबाव में SDM रिंकू सिंह ने विवाद के समाधान के लिए खुद अधिवक्ताओं के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक की, और यह दिखाने का प्रयास किया कि उठक-बैठक करना कोई बड़ी बात नहीं है।


लेकिन बड़ा सवाल यह है:

क्या एक IAS अधिकारी — जो कि भारत की सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा के सदस्य होते हैं — का सार्वजनिक रूप से इस प्रकार कान पकड़कर उठक-बैठक करना प्रशासनिक गरिमा के अनुरूप है?

यह जानना दिलचस्प है कि IAS बनने से पहले रिंकू सिंह PCS एलाइड के अधिकारी थे और मुज़फ्फरनगर में जिला समाज कल्याण अधिकारी के रूप में तैनात थे। उस समय विभाग की जमीन से अवैध कब्जा हटवाने के दौरान उनके साथ मारपीट भी हुई थी।
इतना ही नहीं, उन्होंने विभाग में 40 करोड़ के घोटाले को उजागर किया, जिसके बाद सरकार में तैनात एक प्रमुख सचिव ने उन्हें धमकी भी दी थी।

2009 में बैडमिंटन खेलने के दौरान घोटालेबाज़ों ने उन पर जानलेवा हमला करवाया, जिसमें उन्हें सात गोलियां मारी गईं।
गोलियां उनके चेहरे पर लगीं, जिसकी वजह से उनकी एक आंख खराब हो गई। बड़ी मुश्किल से उनकी जान बच पाई।

इसके बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ 2012 में वे खुद लखनऊ में धरने पर बैठे, जहाँ से पुलिस ने उन्हें मानसिक रोग चिकित्सालय भिजवा दिया।
ईमानदारी की ज़िद उन पर इतनी भारी पड़ी कि 2018 में सरकार ने उन्हें निलंबित भी कर दिया।

लेकिन रिंकू सिंह ने हिम्मत नहीं हारी।
वे मेहनत से पढ़ाई करते रहे और दिव्यांग कोटे से 2022 में IAS के रूप में चयनित हुए।
मसूरी में ट्रेनिंग के बाद उनकी पहली पोस्टिंग शाहजहांपुर की पुवायां तहसील में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में हुई, जहाँ अब वकीलों के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक करने पर एक बार फिर वे चर्चा में आ गए हैं।

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