“जो भारत का नहीं, वह घुसपैठिया”: मोदी के ऐलान के बाद बाहर होंगे 3 करोड़ विदेशी या सिर्फ जुमलेबाज़ी?

द इंडियन ओपिनियन
बाराबंकी
दीपक मिश्रा

 

पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में जो लोग अवैध रूप से घुसे हैं, जो भारत के नागरिक नहीं हैं, वे स्पष्ट तौर पर घुसपैठिए हैं और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई ज़रूर होगी।
उन्होंने बंगाल में टीएमसी यानी ममता बनर्जी की सरकार पर यह आरोप लगाते हुए कटघरे में खड़ा किया कि टीएमसी बंगाल में घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है, फर्जी आधार कार्ड बन रहे हैं और टीएमसी के चलते बंगाल की संस्कृति खतरे में है।

इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि एक समय था जब बंगाल देश में विकास का केंद्र था — पूरे देश के लोग रोजगार के लिए बंगाल आते थे। लेकिन टीएमसी ने बंगाल का ऐसा हाल कर दिया है कि आज बंगाल का युवा पलायन के लिए मजबूर है। यहाँ गुंडागर्दी, अपराध, आतंकवाद और टीएमसी कार्यकर्ताओं के गुंडा टैक्स से लोग परेशान हैं।

मोदी ने संदेश दिया कि बंगाल में तेजी से आबादी का संतुलन बिगड़ रहा है, विदेशी मुसलमानों की आबादी बढ़ रही है, डेमोग्राफी (जनसंख्या संरचना) बदल रही है।
उन्होंने बंगाली अस्मिता पर खतरे का मुद्दा उठाया और बंगाल के लोगों को भावनात्मक रूप से भाजपा की ओर आमंत्रित किया।

तो क्या यह माना जाए कि अब नरेंद्र मोदी की सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में देश में लंबे समय से छुपकर रह रहे तीन करोड़ से ज्यादा विदेशियों को बाहर निकालने के लिए ठोस कार्रवाई करेगी?

चुनाव के आसपास भाजपा के नेता ऐसी बातें करते रहे हैं, लेकिन केंद्र में भाजपा सरकार के 11 वर्ष बीतने के बावजूद अभी तक कोई भी ऐसी ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है।
कुछ नेता कहते हैं कि नरेंद्र मोदी के राज में ही देश में सबसे अधिक घुसपैठ हुई है — बात चाहे रोहिंग्या मुसलमानों की हो, म्यांमार, अफगानिस्तान या अन्य देशों से छुपकर आए लोगों की हो — इस मुद्दे पर सभी दलों के नेता चर्चा कर चुके हैं और चिंता भी जता चुके हैं।

सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, भारत में विदेशी घुसपैठियों की संख्या 3 करोड़ से काफी अधिक हो सकती है, क्योंकि 1971 के बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) संकट के समय ही लगभग डेढ़ करोड़ बांग्लादेशी भारत में घुस आए थे और तब से वापस नहीं गए।
बल्कि भारत में ही बस गए, यहीं के संसाधनों पर कब्जा जमाया और संतान उत्पत्ति करके अपनी संख्या भी बढ़ा ली।

इसके बाद भी बांग्लादेश की खुली सीमा, नेपाल की खुली सीमा, पाकिस्तान की दुर्गम सीमा, म्यांमार की खुली सीमा और समुद्री मार्गों से भी भारत में लगातार घुसपैठ होती रही है।

हाल ही में बिहार में निर्वाचन आयोग की जांच के दौरान यह पता चला कि बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों ने न सिर्फ आधार कार्ड और राशन कार्ड बनवा लिए हैं, बल्कि वे मतदाता भी बन गए हैं और भारत की निर्वाचन प्रक्रिया को भी प्रभावित कर रहे हैं।
यानी देश की बहुत-सी लोकसभा और विधानसभा सीटों पर विदेशी यह तय करने की स्थिति में हो सकते हैं कि वहां कौन सांसद या विधायक बनेगा और किस विचारधारा तथा दल की सरकार बनेगी?

इस गंभीर समस्या को पिछले कई दशकों से सरकारें अनदेखा करती रही हैं।
भाजपा भी इस मुद्दे पर राजनीति तो दशकों से कर रही है, लेकिन राज्य और केंद्र में सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा ने इस मुद्दे पर गंभीरता से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को बंगाल की धरती से ज़ोर-शोर से उठाया है, तो एक बार फिर चर्चा हो रही है कि क्या वाकई में इस पर कार्रवाई होगी या सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए नरेंद्र मोदी एक बार फिर विदेशी घुसपैठ और विदेशी मुसलमानों का मुद्दा उठाकर लोगों की संवेदनाओं और राजनीतिक समर्थन का लाभ लेना चाहते हैं?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *