भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व को यह समझना होगा कि कश्मीर समस्या आतंकवाद अवैध घुसपैठियों का मुद्दा आंतरिक और बाह्य सुरक्षा जैसे विषयों पर गंभीरता के साथ साथ देश के अंदर रोजगार की उपलब्धता आवश्यक पदार्थों की कीमतों पर नियंत्रण आर्थिक और सामाजिक विकास वह मुद्दे हैं जिन्हें बिल्कुल भी अनदेखा नहीं किया जा सकता।
राष्ट्रवाद राष्ट्रहित का आवश्यक तत्व है लेकिन राष्ट्र के लोगों की दैनिक आवश्यकताएं उनके जीवन का न्यूनतम आर्थिक और सामाजिक विकास भी उतना ही आवश्यक तत्व है ।
लोगों को आवश्यक खाद्य पदार्थ यदि उचित कीमत में ना मिल पाए बाजार और व्यापार मंदी की चपेट में उद्योग धंधे बढ़ने की वजह बंदी की कगार पर हो तो फिर सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि वह जन आकांक्षाओं पर खरी नहीं उतर रही और उसे अपनी रणनीतियों में तत्काल व्यापक सुधार की जरूरत है।
नए उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए सरकारें बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित करती हैं लेकिन पहले से जो उद्योग स्थापित हैं वह लगातार कमजोर हो रहे हैं बंद हो रहे हैं उस दिशा पर सरकारों का ध्यान नहीं है। जिन उद्योगों में दर्शकों से हजारों लोग काम कर रहे थे वह उद्योग क्यों बंदी के कगार पर हैं उन कारणों का पता लगाकर उनका निवारण करना चाहिए।
नए उद्योगों को स्थापित करने से कहीं ज्यादा आसान है कि पुराने उद्योगों को बंद होने से बचाया जाए उनका आधुनिकरण किया जाए और उन्हें लाभदाई तकनीक के सहारे आगे बढ़ाया जाए इससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी और बेरोजगारी से लड़ने में मदद मिलेगी।
लेकिन भाजपा सरकार के नीति निर्माताओं को यह विषय शायद उतना उपयोगी नहीं लगा इसीलिए सरकार ने अभी इसे अपने प्रमुख एजेंडे में नहीं लिया जबकि देश का ऐसा कोई जनपद नहीं है जहां पिछले कई वर्षों में तमाम उद्योग बंद ना हुए हो।
इसी तरह प्याज के मुद्दे पर जिस तरह पिछले कई हफ्तों से सरकार लापरवाही बरत रही है उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि या तो सरकार व्यापारियों कालाबाजारी करने वालों के चंगुल में है और या फिर सरकार बहुमत और सत्ता के मद में में इस कदर अपनी आंखें बंद किए हुए हैं कि उसे जनता की जरूरत है और जनता की समस्याएं दिख नहीं रही।
प्याज भारतीय परिवारों का एक प्रमुख खाद्य पदार्थ है कोई भी सब्जी प्याज के बगैर बेहतर स्थिति तो नहीं लेती।
देश की 90 फ़ीसदी से अधिक जनसंख्या प्रतिदिन प्याज का प्रयोग करती है उसके बावजूद पिछले कई हफ्तों से प्याज की कीमत देश के ज्यादातर हिस्सों में ₹100 प्रति किलो के आसपास है।
जनता के लिए यह एक बड़ा दर्द है सरकार को पूरे देश में अभियान चलाकर कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और बड़े बड़े व्यापारियों के गोदामों से प्याज को निकालकर बाजार में पहुंचाना चाहिए इसके अलावा विदेशों से आयात करके भी प्याज की कीमतों पर लगाम लगाने की कोशिश करनी चाहिए। प्याज को लेकर सरकार ने अभी तक जो प्रयास किए हैं वह अपर्याप्त साबित हुए हैं।
भाजपा नेतृत्व यह लगातार यह भूल रहा है कि प्याज की बढ़ती कीमतों की अनदेखी करने की वजह से 1998 में दिल्ली में भाजपा की सरकार को सत्ता गंवानी पड़ी थी। इसके अलावा कई बार देश में प्याज की बढ़ती कीमतें राजनीतिक मुद्दा बनी है और सत्ताधारी दल ने उसका नुकसान उठाया है लेकिन भाजपा शासन में स्थिति इससे भी ज्यादा गंभीर है बेरोजगारी और मंदी पहले से बरकरार है और प्याज की कीमतें उससे भी ज्यादा बेलगाम है।
सरकार को CAA/NRC के शोर-शराबे से थोड़ा वक्त निकाल कर प्याज की कीमतों बंद होते उद्योगों और आर्थिक मंदी पर अपना ध्यान लगाना चाहिए और बड़े कदम उठाने चाहिए!
रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा