

Alok Kumar-
सुनियोजित प्लान: विश्व मीडिया में चर्चा लिए CAAविरोधियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे पर दिल्ली में बनाया हिंसा का सुनियोजित प्लान, खुफिया एजेंसियों के रडार पर कई संगठन और सफेदपोश!

पिछले 24 घंटे से देश की राजधानी दिल्ली के कई हिस्से हिंसा आगजनी और अराजकता से बदहाल हैं l नागरिकता कानून का विरोध हिंसा और बेशर्मी की सीमाओं को पार कर रहा है जो आंदोलन शाहीन बाग में शांति से चल रहा था वह दिल्ली के कई इलाकों में हिंसक हो चुका है।

दंगाइयों के हमले में 1 पुलिसकर्मी और कई नागरिकों की मौत हो चुकी है।
पेट्रोल पंप समेत दर्जनों वाहनों में आग लगाई गई करोड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया कई पुलिस अधिकारी समेत एक दर्जन पुलिसकर्मी घायल हैं।

कुल मिलाकर जिस समय देश में एक विदेशी मेहमान आया हुआ है दुनिया के सबसे ताकतवर देश का राष्ट्रपति आया हुआ है उसी समय दिल्ली में सुनियोजित तरीके से हिंसा और आगजनी करवाई गई जिससे विश्व की मीडिया में यह संदेश जाए कि भारत में नागरिकता कानून का बहुत ज्यादा विरोध हो रहा है।

सरेआम पिस्टल लहरा कर फायरिंग करने वाले शाहरुख नाम के एक युवक को पुलिस ने गिरफ्तार किया है इसके अलावा करीब 50 लोगों को पुलिस ने दंगा भड़काने के आरोप में हिरासत में ले लिया।
शांति अहिंसा और संविधान की दुहाई देने वाले लोगों ने नागरिकता कानून का विरोध करने में संविधान की जमकर धज्जियां उड़ा दी सड़क जाम हिंसा और आगजनी के साथ-साथ हथियारों का प्रयोग पुलिस पर पथराव और पेट्रोल पंप पर आग लगा देना यह साफ बता रहा है कि नाग नागरिकता कानून का विरोध अब सुनियोजित राजनीतिक हिंसा का रूप ले चुका है, जिसका मकसद नागरिक अधिकारों का रक्षा में नहीं बल्कि किसी भी तरह बहुमत से चुनी हुई सरकार को बदनाम करके देश को अराजकता की आग में ढकेल देना है।

खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों ने फोटो और वीडियो के माध्यम से ऐसे करीब ढाई सौ लोगों को चिन्हित किया है जो अलग-अलग राजनीतिक और कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े हुए हैं और जिन्होंने भीड़ को हिंसा के लिए उकसाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रेरित किया हिंसक आंदोलन की पूरी योजना तैयार की।
ऐसे लोगों के खिलाफ पक्के सबूत जुटाकर ठोस कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
पिछले दिनों राजधानी दिल्ली उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और देश के तमाम प्रमुख शहरों में नागरिकता कानून के खिलाफ जो हिंसक प्रदर्शन हुए आगजनी और तोड़फोड़ हुई उसके बाद भी देश की खुफिया एजेंसियों सरकारों और पुलिस डिपार्टमेंट ने वह सावधानी नहीं दिखाई जो उन्हें दिखाने की जरूरत थी।

देश का आंतरिक सुरक्षा तंत्र यदि गंभीरता से योजनाबद्ध कार्रवाई करता तो अराजकता फैलाने वाले संगठन हिंसक प्रदर्शन के लिए संसाधन और भीड़ जुटाने की हिम्मत न कर पाते। लेकिन वोट बैंक की राजनीति और शीर्ष नेतृत्व के कमजोर मनोबल ढुलमुल रवैया के चलते लगातार नागरिकता कानून के बहाने देश को हिंसा और अराजकता की ओर धकेलने की कोशिश की जा रही है जिसमें कई लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं और कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही है लोगों में डर फैलाया जा रहा है।
इन हालातों पर सरकार ने अगर पूरे देश में सख्ती से निश्चित समय के अंदर काबू नहीं पाया तो इन घटनाओं की क्रिया और प्रतिक्रिया के चलते निश्चित तौर पर पूरे देश का माहौल खराब हो सकता है।