दुनियाभर में बवाल मचा रही डेटा लीक की ख़बर के मामले में फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर फेसबुक यूजर्स की जानकारियां लीक हुई हैं। उन्होंने ये भी कहा कि यूजर्स के डेटा की सुरक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है।
सैन फ्रांसिस्को: फेसबुक डेटा लीक को लेकर दुनियाभर में हो रही किरकिरी और बवाल के बाद कंपनी के फाउंडर मार्क जकरबर्ग ने अपनी ग़लती स्वीकार करते हुए सफाई पेश की है. उन्होंने फेसबुक यूजर्स की जानकारियां लीक होने की बात को कबूल किया है और इस सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी ली है. जकरबर्ग माना कि यूजर्स के डेटा की सुरक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है.
अपने बयान में जुकरबर्ग ने अपनी ग़लता को कबूल करते हुए साफ तौर से कहा, “आपके डेटा की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है.”
आपको बता दें कि ब्रिटिश डेटा एनालिसिस कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका पर आरोप है कि उसने करोड़ों फेसबुक यूज़र्स के निजी डेटा को बिना उनकी मंजूरी चुरा ली और उसका इस्तेमाल राजनीति को प्रभावित करने के लिए किया गया. इस डेटा के सहारे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी कैंपेन और यूरोप के ब्रेक्ज़िट कैंपेन को प्रभावित किया गया.
जकरबर्ग की सफाई
जकरबर्ग ने अपने एक लंबे फेसबुक पोस्ट में लिखा कि वो ये भी बताना चाहते हैं कि पहले इससे जुड़े क्या कदम उठाए गए हैं और आगे इसे लेकर क्या किया जाने वाला है. उन्होंने इस कांड पर अपनी स्थिति साफ करते हुए लिखा कि डेटा कि सुरक्षा फेसबुक की जिम्मेदारी है और अगर कंपनी ऐसा नहीं कर पाती तो वो लोगों की सेवा करना के लायक नहीं है. वो कहते हैं कि फेसबुक ये समझने की कोशिश कर रहा है कि क्या हुआ और कैसे हुआ ताकि भविष्य में ऐसी किसी घटना को होने से रोका जा सके।
उन्होंने ये जानकारी भी दी कि डेटा लीक जैसी स्थिति को रोकने के लिए फेसबुक ने सालों पहले ही कदम उठाए थे और लगातार इससे जुड़े कदम उठाती रही है। लेकिन कंपनी से गलतियां भी हुईं। उनका कहना है कि इन गलतियों को ठीक करने के लिए अब उन्हें कदम उठाने हैं।
अब तक फेसबुक ने क्या-क्या कदम उठाए
जकरबर्ग ने लिखा कि साल 2008 में एक फेसबुक प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया। इसे इसलिए लॉन्च किया गया ताकि दूसरे सोशल एप्स को फेसबुक पर जगह दी जा सके। उदाहरण के लिए उन्होंने बताया कि इसके जरिए आपके कैलेंडर को ऐसा बनाया गया जिसके साहरे आपको आपके दोस्त के जन्मदिन की याद दिलाई जा सके, आपका मैप आपको बताए कि आपका दोस्त कहां रहता है, आपके ऐड्रेस बुक को ऐसा बनया गया ताकि वो आपके दोस्तों की तस्वीरें आपको दिखाए। इसके लिए लोगों को ये सहूलियत दी गई कि वो अलग-अलग एप्स में लॉग इन करके अपनी जानकारी देने के अलावा ये जानकारी भी दें कि कौन से लोग फेसबुक पर उनके दोस्त हैं।
साल 2013 में शुरू हुआ असली खेल
यहां से जकरबर्ग ने असली जानकारी देते हुए लिखा कि साल 2013 में केंब्रिज यूनिवर्सिटी के रीसर्चर एलेकेज़ेंडर कोगन ने एक पर्सनैल्टी क्विज़ एप बनाया। तीन लाख लोगों ने इसे इंस्टॉल किया। इंस्टॉल करने वालों ने अपनी और अपने दोस्तों की जानकारी इस एप के साथ साझा की। उस समय फेसबुक जैसे काम कर रहा था उसकी वजह से एप इंस्टाल करने वाले तीन लाख लोगों के जरिए कोगन ने करोड़ों लोगों का डेटा हासिल कर लिया।
साल 2014 में फेसबुक ने उस नीति में बदलाव किया जिसके तहत ऐसे एप्स लोगों का डेटा आसानी से हासिल कर रहे थे।
इसके बाद एप्स को मिलने वाले डेटा को लिमिट कर दिया गया। नई पॉलिसी में ये बदलाव किया गया कि अगर कोई यूज़र कोगन के बनाए गए एप के जैसा कोई एप डाउनलोड करता है और उससे अपना डेटा साझा करता है तब भी उसके दोस्तों का डेटा तब तक सुरक्षित रहेगा जबतक उसके दोस्त एप को अपने डेटा के एक्सेस की अनुमति नहीं देते। वहीं फेसबुक ने ये भी सुनिश्चित किया कि अगर यूज़र से कोई सेंसेटिव डेटा मांगा जाता है तो ऐसे करने वाले एप को पहले फेसबुक से भी इसकी अनुमति लेनी पड़ेगी। ऐसे कदम इसलिए उठाए गए थे ताकि कोगन जैसे एप डेवलपर्स को डेटा हासिल करने से रोका जा सके।
जकरबर्ग ने लिखा है कि साल 2015 में द गार्डियन अख़बार के हवाले से फेसबुक को ये पता चला कि कोगन ने फेसबुक यूजर्स का डेटा Cambridge Analytica नाम की कंपनी के साथा शेयर की. वो आगे लिखते हैं कि ऐसे डेटा शेयर करना फेसबुक की पॉलिसी के खिलाफ है क्योंकि इसके लिए पहले आपको यूज़र की अनुमति लेनी पड़ती है। इसलिए फेसबुक ने कोगन के एप को तुंरत अपने प्लेटफॉर्म से बैन कर दिया। वहीं फेसबुक ने कोगन और Cambridge Analytica से ये मांग की कि सारा डेटा तुरंत डिलीट कर दिया जाए। जिसके बाद Cambridge Analytica और कोगन ने इससे जुड़ा सर्टिफिकेशन फेसबुक को मुहैया कराया।
तोड़ा गया यूज़र्स का भरोसा
जकरबर्ग ने जानकारी दी कि यहीं Cambridge Analytica और कोगन ने फेसबुक का भरोसा तोड़ा. मामले की गंभीरता को समझते हुआ उन्होंने लिखा है कि ये फेसबुक और उसके यूज़र्स के बीच भी भरोसे को तोड़ने का मामला बन गया क्योंकि लोग कंपनी पर भरोसा करके उसे अपना डेटा सौंपते हैं और उम्मीद करते हैं कि इसकी सुरक्षा की जाएगी. उन्होंने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि फेसबुक को इसी को ठीक करना है।
जकरबर्ग के मुताबिक साल 2014 में लोगों के डेटा सुरक्षा को लेकर गंभीर कदम उठाए गए थे. इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने लिखा:
सबसे पहले उन एप्स की जांच की जाएगी जिनके पास भारी मात्रा में लोगों के डेटा हैं।
इसके बाद डेटा के एक्सेस को बेहद कम कर दिया जाएगा।
किसी एप पर शक होने पर गंभीरता से उसका ऑडिट किया जाएगा।
जो एप इस पॉलिसी का पालन नहीं करेंगे उन्हें फेसबुक से बैन कर दिया जाएगा।
अगर पहले से डेटा हासिल करके बैठा कोई एप इसके गलत इस्तेमाल में पकड़ा गया को उसे भी फेसबुक से बैन कर दिया जाएगा
जिनके डेटा का गलत इस्तेमाल हुआ है फेसबुक उन्हें इसकी जानकारी भी देगा।
कोगन का उदाहरण देते हुए जकरबर्ग ने लिखा है कि जिनके डेटा का कोगन ने गलत इस्तेमाल किया है उन्हें भी फेसबुक इसकी जानकारी देगा।
फेसबुक यूज़र्स को इसे अच्छे से समझाएगा कि उन्होंने किस तरह के एप्स को अपने डेटा का एक्सेस दे रखा है।
अगले महीने से यूजर्स के न्यूज़फीड के टॉप में ये जनकारी आएगी कि उन्होंने ऐसे कौन से एप्स इस्तेमाल किए हैं और किनके पास उनकी जानकारी है।
वहीं ऐसा ऑप्शन भी दिया जाएगा जिसके सहारे उन एप्स को यूज़र आसानी से फेसबुक से हटा सकेंगे।
जकरबर्ग ने जानकारी दी है कि एप्स हटाने के विकल्प पहले से प्राइवेसी सेटिंग में मौजूद हैं।
अब इसे न्यूज़फीड के टॉप में जगह दी जाएगी ताकि यूज़र्स आसानी से इसे देख सकें और जिन एप्स को हटाना है उन्हें हटा सकें।
यूजर्स को भरोसा दिलाते हुए उन्होंने लिखा है कि साल 2014 में जो कदम उठाए गए थे उनके अलावा इन नए कदमों को उठाया जाना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि फेसबुक को सुरक्षित बनाया जा सके।
इस स्कैंडल की जिम्मेदारी लेते हुए जकरबर्ग ने लिखा कि उन्होंने फेसबुक की शुरुआत की थी और इसपर होने वाली किसी बात के लिए वो जिम्मेदार हैं। उन्होंने लिखा कि इस कम्युनिटी को प्रोटेक्ट करने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार हैं। वो आगे लिखते हैं कि किसी नए एप को यूज़र के डेटा के साथ वो करने का मौका नहीं मिलना चाहिए जो Cambridge Analytica ने किया है। हालांकि उन्होंने ये भी लिखा है कि ऐसा करने के बावजूद जो हुआ है उसे बदला नहीं जा सकता है। इससे सीख लेते हुए फेसबुक को और सुरक्षित बनाया जा सकता है।