

आलेख – संजय शुक्ला,
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आज हम सभी राम मंदिर निर्माण के साक्षी बन रहे है आगामी 5 अगस्त को हमारे देश के प्रधानमंत्री अयोध्या पहुंच कर मंदिर निर्माण की शुरुआत करेंगे ,हम सभी जानते है कि यह कार्य बिना राजनीतिक इच्छा शक्ति के असम्भव था।
वर्तमान समय मे जो यह सुअवसर आया है तो हम देश वासियों को यह भी स्मरण रखना होगा कि उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने इसी अयोध्या नगरी का जीर्णोद्धार किया था इसका उल्लेख कालीदास रघुवंश के 16 वे सर्ग में है। उस समय सम्राट विक्रमादित्य ने अयोध्या को मुक्त कराया था और वास्तु शास्त्र के अनुसार अक्षांश गणना कर राम जन्म भूमि एवं अन्य मंदिरों एवं महलों का निर्माण कराया था औऱ एक बार पुनः अयोध्या नगरी बसाकर उसका गौरव स्थापित किया था।

परंतु काल चक्र पुनः बदला एवं सं 1528 ई 0 में बाबर द्वारा राम जन्म भूमि को तहस नहस कर बाबरी मस्जिद में तब्दील किया गया ,आज इतने लम्बे संघर्ष के बाद अयोध्या का गौरव पुनः स्थापित हो रहा है।
हमारी भारत सरकार को एक स्मृति स्वरूप महान सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर वहां कोई संग्रहालय या कोई अन्य अनुसंधान संस्थान का निर्माण होना चाहिये जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियाँ सम्राट विक्रमादित्य के योगदान से भिज्ञ हो सके। सम्राट विक्रमादित्य भारत के ऐसे तेजस्वी लोक सेवक राजा थे जिनकी प्रसिद्धि पूरे विश्व में फैली उन्होंने भारतीय संस्कृति के विकास और संरक्षण में अभूतपूर्व योगदान दिया ऐसे महान राष्ट्र सेवक का अयोध्या के इस महापर्व में जरूर सम्मान से नाम लिया जाना चाहिए और भावी पीढ़ियों को उनके योगदान से परिचित कराने के लिए उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए।