*सड़कों पर डेढ़ लाख मौतें,और नए कानून का दर्द-या फिर कड़वी दवा!आपके लिए बेहद जरूरी है, विकास अग्रवाल का यह आर्टिकल ! The Indian Opinion*



मोटर वाहन अधिनियम 2019 व कुछ उभरते सवाल

1 सितंबर से मोटर वाहन अधिनियम के नए प्राविधानों के लागू होने के पश्चात सोशल मीडिया व प्रिंट मीडिया में समाचारों और प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गयी है । कुछ प्रतिक्रियाओं में नए प्राविधानों के अंतर्गत सरकार के दायित्वों को भी निर्धारित करने का विषय प्रमुखता से उठाया गया है ।

इस संबंध में विभागीय मंत्री नितिन गडकरी का बयान विचारणीय है । उन्होंने मुख्यतः तीन विषयों पर टिप्पड़ी की है । प्रथम, बढ़े हुए जुर्माने की धनराशि से सरकार अपना कोष नहीं बढ़ाना चाहती । द्वितीय, आम जनता में यातयात नियमों के अनुपालन की आदत डालना । तृतीय, सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्य दर को कम करना ।

पी आर एस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने 2015 के आंकड़ों के आधार पर सड़क दुर्घटनाओं पर एक अध्ययन किया था । इसके मुख्य बिंदु निम्न हैं-

1. वर्ष 2015 में लगभग 5 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.5 लोगों ने अपनी जान गवाई और करीब 5 लाख लोग घायल हुए ।
2. वर्ष 2000 से नई सड़कों के निर्माण में 39% की वृद्धि हुई जबकि वाहनों की संख्या में 158% की वृद्धि हुई ।
3. 78% सड़क दुर्घटनाओं में चालक की गलती पाई गई जबकि मात्र 3% दुर्घटनाओं में नागरीय विभागों की गलती पाई गई। बाकी दुर्घटनाएँ खराब मौसम व वाहन की खराबी के कारण हुईं ।
4. 67% सड़क दुर्घटनाएँ सुबह 9 बजे से लेकर रात 9 बजे के मध्य हुई और सबसे ज्यादा 18 से 34 साल की उम्र के मध्य के लोग सड़क दुर्घटनाओं में प्रभावित हुए ।

उपरोक्त अध्ययन के निष्कर्षों व केंद्रीय मंत्री के कथन में काफी समानता है । अगर बढ़े हुए जुर्माने के कारण लोगों में यातायात नियमों के प्रति जागरूकता बढ़ती है तो यह एक प्रशंसनीय कदम है क्योंकि जागरूकता से ही दुर्घटनाओं में सर्वाधिक कमी आएगी ।

इस तथ्य को भो नहीं नकारा जा सकता कि सड़कों का रखरखाव, अनियंत्रित यातायात, सड़कों और फुटपाथों पर अतिक्रमण , आवारा पशुओं का सड़कों पर स्वतंत्र विचरण , सड़कों का त्रुटिपूर्ण डिज़ाइन , यातायात पुलिस कर्मियों की कमी आदि कुछ ऐसे विषय हैं जिनपर सरकार को गंभीरता से विचार कर समुचित कार्यवाही करनी होगी।

अगर हमें अपनी सड़कों को सुरक्षित बनाना है और उन सैकड़ों जिंदगियों को बचाना है जो प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं की शिकार हो जाती हैं तो आम जनता व सरकार दोनों को ही अपने उत्तरदायित्वों का पूरी जिम्मेदारी के साथ निर्वाहन करना होगा । ज्ञातव्य हो कि भारत ने ब्रेसिलिया डिक्लेरेशन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके अनुसार भारत को 2022 तक सड़क दुर्घटनाओँ में 50% की कमी लानी है । मोटर वाहन अधिनियम में वर्तमान संशोधन उस दिशा में लिया गया एक उचित कदम प्रतीत होता है ।

रिपोर्ट – विकास चंद्र अग्रवाल