

देवव्रत शर्मा-
पिछले लगभग ढाई महीनों से देश के तमाम इलाकों में नागरिकता कानून को लेकर बड़े पैमाने पर गलतफहमियां फैलाई गई खासतौर पर सी ए ए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम जिसका कि भारतीय नागरिकों से कोई संबंध ही नहीं है जो कि किसी भी भारतीय नागरिक पर लागू नहीं होंगे चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान इसके बावजूद देश के मुसलमानों को और हिन्दुओं के कुछ हिस्से को देश की संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ गुमराह करने और हिंसा के लिए भड़काने में उपद्रवी तत्व और राष्ट्र विरोधी ताकतें बड़ी आसानी से सफल हो गई।

आज भी देश भर में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर लगातार नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन और जनसभाएं चल रही हैं और इन प्रदर्शनों की आड़ में कुछ लोग भड़काऊ भाषण देश विरोधी भाषण और हिंसा और दंगे भड़काने वाली बातें भी कर रहे हैं जोकि कई वायरल वीडियो सामने आने से साबित हो चुका है।

नागरिकता कानून के विरोध के पहले दौर में देश के कई शहरों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी लेकिन इसके बावजूद देश के गृह मंत्रालय ने वह कठोर कदम नहीं उठाए वह ठोस कार्रवाई नहीं की जिसकी जरूरत थी।
राष्ट्र विरोधी संगठनों का नेटवर्क खत्म करने की बजाय उन्हें आगे भी अपनी गतिविधियां फैलाने का मौका दिया और दिल्ली की हिंसा तो साफ तौर पर देश के गृह मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने के लिए ढेर सारे कारण पैदा करती हैं।

देश में कई खुफिया एजेंसियां हैं और राज्यों के पुलिस संगठन के अलावा केंद्र सरकार का अपना सुरक्षा नेटवर्क है जिसकी जिम्मेदारी है कि देश में कहीं भी राष्ट्र विरोधी गतिविधियां और हिंसा को पनपने से पहले ही खत्म किया जाए लेकिन राज्यों की पुलिस के साथ साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय से जुड़े विभागों और अधिकारियों ने भी इस मामले में अव्वल दर्जे की लापरवाही दिखाई।
यही वजह है कि दिल्ली में चार दिनों तक जो सुनियोजित हिंसा और नरसंहार का दौर चला उसने पूरी दुनिया में भारत को शर्मसार कर दियाl देश के गृहमंत्री अमित शाह को खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए लापरवाही से दिल्ली समेत देश के कई शहरों में हालात आसानी से बिगाड़ दिए गए।