सात दिनों से शादी के लिए अड़ी प्रेमिका का धरना खत्म, मंदिर में प्रेमी संग लिए सात फेरे।

अपने प्यार को पाने के लिए पिछले सात दिनों से धरने पर बैठी युवती ने आखिरकार अपनी जंग जीत ही ली। उसकी जिद के आगे न सिर्फ उसके प्रेमी बल्कि उसके परिवार को झुकना पड़ा। सोमवार की शाम दोनों ने पास के ही एक मंदिर में एक-दूसरे को वरमाला पहना कर जिंदगी का नया सफर शुरू कर दिया है।
आपको बतादें जनपद इटावा के कोतवाली भरथना क्षेत्र के ग्राम नगला अजीत निबासनी शिवा यावद अपने प्रेमी अनुज यावद से शादी के लिए 19 मई को युवक के घर जनपद कन्नौज के थाना सौरिख अन्तर्गत ग्राम नगला-विशुना पहुंची और शादी की बात कही तो प्रेमी युवक व उसके परिजनों ने शादी करने से साफ इंकार कर दिया। जिसपर प्रेमिका युवती घर के बाहर धरने पर बैठ गई। जिजपर पर प्रेमी युवक के परिजन युवक को लेकर मकान में ताला डालकर फरार हो गए थे। इस एक सप्ताह भर के धरने में प्रेमिका युवती को कई मुशिकलों का सामना करना पड़ा। शादी न होती देख युवती ने आत्मदाह की धमकी तक दे डाली। जिस पर सुरक्षा की दृष्टि से गांव में पुलिस तैनात की गई थी। आखिरकार सोमवार को युवती की जिद रंग लाई और दोनों के बीच सकरावा में स्थित श्रीबालाजी धाम मंदिर पर सभी रस्मो रिवाज के साथ पं०रमन शर्मा ने शादी संपन्न कराई। प्रेमी-प्रेमिका ने एक दूसरे को वरमाला पहनाया तो मंदिर परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। एक औपचारिक कार्यक्रम के दौरान प्रेमी के माता पिता और प्रेमिका के कुछ रिश्तेदार शामिल हुए। प्रेमिका की मां इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुई।

एक साल पहले शुरु हुई थी प्रेम कहानी


इस प्रेम कहानी की शुरुआत अब से लगभग एक वर्ष पहले शुरु हुई थी। दरअसल इटावा के भरथना थाने निवासी युवती शिवा यादव और कन्नौज के सौरिख थाना क्षेत्र के नगला विशुना गांव निवासी युवक अनुज यादव को एक-दूसरे से प्यार हो गया था। प्यार जब परवान चढ़ा तो कुछ दिन पहले दोनों घर से भाग गए। युवती के पिता ने भरथना थाने में युवक के खिलाफ मुकदमा कराया। इसी बीच युवक उसे को लेकर अपने घर पहुंच गया,तो युवक के परिजनों ने युवती को अपनाने से इंकार कर दिया था।

बिन बैंड बाजा और बारात के साथ सादगी के साथ हुई शादी।


न बैंडबाजा और न बाराती,भगवान को साक्षी मानकर प्रेमी-प्रेमिका ने एक दूसरे के गले में वरमाला डालकर जीवन भर साथ निभाने का संकल्प लिया। हालांकि इस दौरान आचार्य ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अग्नि को साक्षी मान उनके फेरे भी कराए। प्रेमी-प्रेमिका के गिने-चुने परिजनों और दो-चार रिश्तेदारों की मौजूदगी में यह प्रेम विवाह संपन्न हुआ। प्रेमी को पति मान चुकी प्रेमिका को यह दिन देखने के लिए एक लंबा संघर्ष करना पड़ा। आखिरकार उसकी जिद पूरी हुई और प्यार की जीत हुई।

रिपोर्ट-विजयेन्द्र तिमोरी,

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