
देवव्रत शर्मा –

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के कई शहरों में नागरिकता कानून के विरोध को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुए कई स्थानों पर तोड़फोड़ हुई और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान भी पहुंचाया गया इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश के योगी सरकार ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि उपद्रवियों के द्वारा जहां जो भी हिंसा की गई है और निजी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है उसकी वसूली उन्हीं उपद्रवियों से की जाएगी।

सरकार ने जांच के बाद ऐसे बहुत से लोगों को नोटिस दिया जो हिंसा मेंशामिल रहे और जिन पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप है तोड़फोड़ आगजनी करने का आरोप है।

इस मामले में कानपुर निवासी एक युवक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और आरोप लगाया कि सरकार ने नुकसान और हिंसा की भरपाई के लिए जो प्रक्रिया अपनाई है वह दोषपूर्ण है।
याचिकाकर्ता ने यह कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार हाई कोर्ट के वर्तमान अथवा रिटायर्ड जज या जनपद के डिस्टिक जज की अध्यक्षता में बनी कमेटी को सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का आकलन करना चाहिए और उसी के आधार पर नुकसान की नोटिस जारी होनी चाहिए, जबकि राज्य सरकार के द्वारा अपर जिला अधिकारी के माध्यम से नुकसान की आकलन की रिपोर्ट तैयार कराई गई है और उन्हीं के द्वारा वसूली की नोटिस भेजी गई है।

याचिकाकर्ता के तर्कों के आधार पर हाई कोर्ट ने फिलहाल अगली सुनवाई तक नुकसान की भरपाई वसूलने के आदेश पर रोक लगा दी है और सरकार से जवाब मांगा है।