Ladakh में Northern लाइट्स और Mumbai में जानलेवा तूफान की वजह क्या है?

नॉर्दर्न लाइट्स का भारत में दिखना काफी दुर्लभ था। इसकी वजह सूरज में आया एक “तूफान” है। हमारे देश में भी एक तूफान हुआ था। इससे गुजरात के बोटाद में हवाओं की रफ्तार करीब 114 किमी/घंटा हो गई।

कवि अक्सर मौसम को गुलाबी बताते हैं। लेकिन कुछ दिन पहले, लद्दाख में मौसम वास्तव में अच्छा था। आकाश में रंगीन रोशनी दिखी, जैसे नॉर्वे जैसे देशों में। यह दो नामों से जाना जाता है: ऑरोरा बोरेलिस (Aurora Borealis) और नॉर्दर्न लाइट्स (Northern Lights)। भारत में यह बहुत दुर्लभ था। इसकी वजह सूरज में आया एक “तूफान” है।

हमारे देश में भी एक तूफान देखा गया था। इससे गुजरात के बोटाद में हवाओं की रफ्तार करीब 114 किमी/घंटा हो गई। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने कहा कि 14 और 15 मई के बीच देश भर में तेज हवा देखी गईं। महाराष्ट्र के पुणे (दक्षिण) में हवाओं की अधिकतम रफ्तार 68 km/h थी, जबकि लेह (उत्तर) में 57 km/h

आंध्र प्रदेश के प्रकासम में भी हवाएं 57 किमी/घंटा की रफ्तार तक चली। इस लिस्ट में मध्य प्रदेश का सिवनी भी है। 13 से 14 मई के बीच यहां हवा की रफ्तार 90 km/h थी। इससे मुंबई में एक बिलबोर्ड भी गिर गया। 14 लोग मारे गए।

इस रंगीन आसमान और धूल के तूफान को एक-एक करके समझते हैं.

इन तीव्र हवाओं की वजह क्या हो सकती है?
IMD के रीजनल मेट्रोलॉजिकल सेंटर के हेड कुलदीप श्रीवास्तव ने हमें हाल ही में आए इन धूल भरे तूफानों के बारे में बताया। उनका कहना था कि इसके पीछे तीन प्रमुख कारण हैं। पश्चिमी डिस्टर्बेंस एक ओर था और पूर्वी हवाएं दूसरी ओर चल रही थीं। इसके अलावा, धरती का तापमान कुछ समय से अधिक रहा है। इन तीनों ने धूल के तूफानों और तेज हवाओं को जन्म दिया।

डाउन टू अर्थ की एक खबर के अनुसार, जमीन चार से पांच दिन गर्म रहने के बाद आमतौर पर एक कनवेक्शन होता है। इससे तूफान पैदा हो सकता है। तूफान नीचे की तरफ आने वाली ठंडी और सूखी हवाओं से और तेज होता है। गर्म सतह पर चलने पर ये हवाएं काफी तेज हो जाती हैं। जो गर्मियों में होता है।

सूरज में भी आया ‘तूफान’

धरती से करोड़ों किलोमीटर दूर सूरज पर भी आए तूफान। अभी सोशल मीडिया में इसका चित्रण देखा जा रहा है। ऑरोरा या नॉर्दर्न लाइट्स का नजारा।

नॉर्वे जैसे देशों में पर्यटक अक्सर उत्तरी ध्रुव के पास नॉर्दर्न लाइट्स देखते हैं। लेकिन आम तौर पर इन प्रकाशों को देखने के लिए ध्रुवों पर क्यों जाना पड़ता है? धरती का चुंबकीय क्षेत्र या मैग्नेटिक क्षेत्र इसका कारण है। जो हमें सूरज से निकलने वाले हाई एनर्जी कणों से बचाता है।

कोरोना सूरज की बाहरी सतह है। इससे पार्टिकल चार्ज निकलते हैं। इनमें बहुत अधिक ऊर्जा और रफ्तार है। ये प्लाज्म ऊर्जा लेकर एक इलेक्ट्रिकली चार्ज गैस बनते हैं। और ये गैसें तेजी से बढ़ती रहती हैं। इसे सौर हवाएं या सोलर विंड कहा जा सकता है। भी, ये सोलर विंड धरती की ओर बढ़ते हैं। लेकिन हमारी धरती का चुंबकीय क्षेत्र या मैग्नेटोस्फीयर इन्हें रोकता है।

ये आम दिनों की बात है, लेकिन कभी-कभी ये प्लाज्मा की “हवाएं” बहुत प्रभावी होती हैं। या कोरोनल मास इजेक्शन (CME) नामक सूरज के ये तूफान तेज हो जाते हैं। यह हाल ही में हुआ था। CME के मामले में धरती का चुंबकीय क्षेत्र पूरी तरह से सूरज से निकलने वाले हाई एनर्जी कणों को रोक नहीं पाता।

ये कण ध्रुवों से वायुमंडल में प्रवेश करते हैं। अब इन कणों में चार्ज या आवेश होता है। जब ये कण धरती के वायुमंडल में मौजूद न्यूट्रल गैसों (जैसे ऑक्सीजन और नाइट्रोजन) से मिलते हैं, तो वे अपना चार्ज प्राप्त करते हैं। ये चार्ज मिलने पर नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के एटम थोड़ा एक्साइटेड होते हैं।

इसी एक्साइटमेंट में फोटॉन निकालते हैं। ये फोटॉन लाइट बनाते हैं। तभी रात का आसमान भी चमक उठता है। इसके अलावा, रंगों में भी भिन्नता हो सकती है। जो इस गैस से निकलता है। और इनकी तरंगदैर्ध्य या वेवलेंथ कितनी है?

जैसे, ऑक्सीजन गैस लाल और हरे रंग की ऑरोरा लाइट बनाती है। वहीं, नाइट्रोजन गैस बैंगनी और नीली प्रकाश पैदा करती है। लेकिन इस बार लद्दाख में ये रंगीन प्रकाश क्यों देखा गया? फ्रांस जैसे देशों में भी इनके चित्र क्यों देखे गए, जहां वे आम तौर पर नहीं देखे जाते? इसरो ने हाल ही में इसकी वजह बताई।

शानदार दिखने वाली ये लाइटें अंतरिक्ष में एक अलग कहानी कहती हैं। ISRO ने बताया कि AR13664 के एक्टिव क्षेत्र ने तूफान को जन्म दिया। X-क्लास से कई सोलर फ्लेयर और कोरोनल मास इजेक्शन्स (CMEs) हुए।

इसी तेज सोलर स्ट्रॉर्म की वजह से ऑरोरा लाइट, जो आमतौर पर भारत जैसे देशों में देखने नहीं मिलती, वो लद्दाख के आकाश में भी देखने को मिली.

 

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