
आमतौर पर देखा गया है कि देश की जनता कभी युद्ध के पक्ष में नहीं होती या फिर हारनें वाला देश कभी ये नहीं मानता कि उसको नुकसान पहुंचाया गया है। लेकिन मध्य एशिया में दो ऐसे देश भी हैं जिन्होंने इस मिथ को तोड़ा है।
अर्मेनिया और अजरबैजान, इन दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबाख को लेकर विवाद है, कुछ-कुछ वैसे ही जैसे कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच।
पिछले दिनों इन दोनों ही देशों के लोगों नें अपनें-अपनें हुक्मरानों से कहा कि विवादित जगह को सैन्य कार्यवाही के जरिये हासिल किया जाए। अब ये देश एक दूसरे का नुकसान करनें की होड़ में लग गए हैं इससे सबसे ज्यादा हताहत वहां के निवासी (नागोर्नो-काराबाख) हो रहे हैं, अब तक 100 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है और इससे ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं।

अर्मेनिया की सरकार नें आधिकारिक तौर पर कहा है कि तुर्की नें उसका एसयू-25 जेट मार गिराया है। लेकिन तुर्की नें इस बात से इंकार किया है। तुर्की के इस इंकार के पीछे भी एक वजह है जिसमें वह फंसना नहीं चाहता। दरअसल अर्मेनिया एक सैन्य संगठन का हिस्सा है जो नाटो जैसा ही है। इस संगठन का नाम है- “कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गनिजेशन” इसका मुखिया रूस है जिसमें इस समय 6 देश हैं। इस संधि के अनुसार यदि सदस्य देशों में से किसी एक पर भी हमला हुआ तो वह सभी देशों पर हमला माना जाएगा और सभी देश बदलें में उस पर हमला कर सकते हैं।
●क्या रूस सीएसटीओ संधि के तहत अजरबैजान पर हमला कर सकता है?
अजरबैजान, अर्मेनिया और रूस के बीच भी एक संधि है जिसके तहत अगर नागोर्नो-काराबाख के विवाद को लेकर संघर्ष होता है तो रूस उस पर हस्तक्षेप नहीं करेगा लेकिन यहां ध्यान देनें वाली बात ये भी है कि हमला तुर्की की जमीन से किया गया है, अजरबैजान की तरफ से।
चूँकि अगर तुर्की नें ये बात मान ली कि उसनें अर्मेनिया का लड़ाकू विमान मार गिराया है तो उसे रुसी हमले को झेलना होगा। इसलिए तुर्की और अजरबैजान दोनों नें ही इस बात से इंकार किया है कि अर्मेनिया का लड़ाकू विमान तुर्की नें मार गिराया है।
एक तरफ अर्मेनिया की ओर रूस है तो अजरबैजान की तरफ टर्की और इज़रायल जैसे नाटो देश। इस प्रकार से अगर इस जंग में छद्म युद्ध और परमाणु हथियारों का प्रयोग शुरू हुआ तो इस छोटी सी जंग को महायुद्ध बननें में जरा भी देर नहीं लगेगी। फिलहाल रूस नें जंग रोकें जानें का ही समर्थन किया है लेकिन भाविष्य में वह युद्ध में शामिल होगा या नहीं इस पर अभी प्रश्न चिन्ह है।
●दोनों ही देश एक-दूसरे के नुकसान की होड़ में
अर्मेनिया और अजरबैजान इन दोनों ही देशों नें एक-दूसरे पर अपनी-अपनी तरह से जंग में हुई तबाही का बखान किया है।
अजरबैजान नें एक वीडियो फ़ुटेज जारी करके दावा किया कि उसनें युद्धक्षेत्र में अर्मेनिया के दो टैंक उड़ा दिए। वहीं अर्मेनिया नें कहा है कि उसनें अजरबैजान के 80 सैन्य वाहन, 49ड्रोन, और 4 हेलीकॉप्टर बर्बाद कर दिए।
●दोनों देशों के सर्वोच्च नेताओं नें किया युद्ध रोकने से इंकार
अर्मेनिया और अजरबैजान इन दोनों के ही नेतृत्वों नें युद्ध रोकने से सीधा इंकार किया है। अजरबैजान के राष्ट्रपति, इलहाम अलियू नें कहा वर्तमान परिस्थिति में अर्मेनिया से बातचीत नहीं की जा सकती। वहीं अर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकॉल पोशिनयान नें भी कहा कि जब जंग चल रही हो तो किसी भी तरह की बातचीत नहीं की जा सकती।
●कब तक चलेगा संघर्ष
फिलहाल इस बात की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है क्योंकि संघर्ष की मांग जनता द्वारा की गई है और किसी भी देश की सरकार अपनी जनता के खिलाफ नहीं जाना चाहेगी। रूस और अमेरिका पहले ही जंग रोकनें की अपील कर चुके हैं और अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद नें भी दोनों देशों तत्काल प्रभाव से युद्ध रोकनें को कहा है।
-अराधना शुक्ला