

विकास चंद्र अग्रवाल-
प्लास्टिक और थर्मोकोल किस तरह हमारे वातावरण को दूषित कर रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। हम लोग ज़रा सी सुविधा के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकते हैं। हम भूल जाते हैं कि हमारी ये जरा सी सुविधा हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए कितनी घातक सिद्ध होने वाली है।

सरकार द्वारा सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया हुआ है पर इसका प्रभाव सिर्फ और सिर्फ बड़ी दुकानों या शोरूम तक सीमित है। छोटे दुकानदार, फल और सब्जी बेचने वाले बेखौफ सिंगल यूज़ प्लास्टिक कैर्री बैग्स का प्रयोग कर रहे हैं । पूछने पर कहते हैं कि मिलता है तो इस्तेमाल करते हैं , ये सस्ता पड़ता है और यदि सरकार चाहती है कि हम इसका उपयोग न करें तो उसे इसका उत्पादन ही बन्द करवा देना चाहिए।
हमारे शहर में गोमती नगर एक्सटेंशन , सेक्टर 7 में दो बड़े आयोजन होने जा रहे हैं। 14 मार्च को फोनिक्स प्लासिओ मॉल का उद्घाटन और 15 मार्च को भारत और दक्षिण अफ्रीका के मध्य क्रिकेट मैच। यह दोनों ही आयोजन बिल्कुल आमने सामने हैं।

मॉल जितना खूबसूरत बन रहा है उसके पीछे का भाग उतना ही गंदगी से पटा पड़ा है । कई किलो मीटर लंबे हिस्से में प्लास्टिक और थर्मोकोल का पैकिंग मैटेरियल फैला पड़ा है । मॉल के मालिकों ने मॉल के अंदर का कोना कोना सज़ा लिया पर बाहर के वातावरण का क्या? यह किसकी ज़िम्मेदारी है?
एक हफ्ते के अंदर देश विदेश के गण मान्य व्यक्ति , मीडिया के लोग यहाँ मौजूद होंगे। नगर निगम, लखनऊ विकास प्राधिकरण जैसी नोडल एजेंसियां इस कूड़े को मिट्टी डलवा कर दबवा देंगी बिना इस बात की चिंता किये हुए कि ये प्लास्टिक और थर्मोकोल कभी गलेंगे भी की नहीं।
रोक लीजिये इस पागलपन को। प्लास्टिक के विकल्पों पर अनुसंधान करिये । लोगों में जागरूकता पैदा कीजिये , न मानने वालों के साथ सख्ती से पेश आइये। *मत भूलिए कि हम इस भू मंडल के मालिक नहीं है , हमारे पास ये अमानत है हमारे आने वाली पीढ़ियों की, जिसे हमें और बेहतर बना कर छोड़ना है उनके लिए।