दिनांक 9 मार्च 2014 को कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया के खिलाफ मसौली थाने में धारा 144 निषेधाज्ञा उल्लंघन का मुकदमा कराया गया था lपुलिस की ओर से इस मामले में अपराध प्रमाणित पाया गया था lलेकिन परिवादी सुशील प्रताप सिंह को परिवाद दाखिल करने का आदेश 11 फरवरी 2019 को दिया गयाl
इस मामले में धारा 188 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अधिकतम दंड 6 माह के साधारण कारावास अथवा ₹1000 जुर्माने का प्रावधान है अपराध के संज्ञान के संबंध में धारा 468 परिसीमा काल का उपबंध करती है जिसमें निश्चित रूप से धारा 188 भारतीय दंड संहिता में परिसीमा काल 1 वर्ष निर्धारित की गई है लेकिन इस प्रकरण में दिनांक 26 नवंबर 2014 को परिवाद दाखिल करने हेतु जिलाधिकारी बाराबंकी को पत्र प्रेषित किया गया था इसके बावजूद कई वर्षों तक यह कार्यवाही विलंबित रहीl
न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात निर्धारित किया कि परिवादी को यह स्वतंत्रता नहीं है कि वह उपेक्षा पूर्ण ढंग से अपनी कार्यवाही का संचालन करें तथा न्यायालय में भ्रामक आधारों पर एवं स्वयं की उपेक्षा को दिनचर्या का अंग बनाकर न्यायालय से कार्रवाई की अपेक्षा करें l न्यायालय ने यह भी ग्रहण किया कि इस प्रकरण में किसी प्रकार के अपराध का सर्जन नहीं होता तथा अपराध की प्रकृति तुच्छ हैl
विद्वान मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा है कि ऐसी स्थिति में प्रार्थना पत्र मैं दर्शित आधार पर परिसीमा अप वर्जित करने का विधिक आधार न्यायालय की राय में नहीं है l
अपने आदेश में उन्होंने कहा है कि परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्तुत करने में हुए विलंब माफी हेतु पर सीमा अवधि वर्षण प्रार्थना पत्र 23 खारिज किया जाता है और पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाती हैl