भारतीय संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष रहे भारत रत्न बाबा साहब अंबेडकर का आज जन्मदिन है। बाबा साहब अपने मजबूत फैसलों और प्रभावशाली व्यक्तित्व के लिए आज भी याद किये जाते हैं।
धारा 370 के प्रावधानों के विरोधी थे डॉक्टर अंबेडकर
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 जिसमें कश्मीर को कई विशेष अधिकार प्राप्त हैं इसी अनुच्छेद की वजह से कश्मीर में भारत सरकार वहां के विकास के लिए अरबों रुपए खर्च करती है देश के सभी राज्यों के युवा सुरक्षाबलों के रूप में कश्मीर की हिफाजत के लिए अपनी जान देते हैं अपना खून बहाते हैं लेकिन वही युवा कश्मीर में बस नहीं सकते l
जी हां , देश के अन्य प्रांतों के लोग कश्मीर में नहीं रह सकते जबकि कश्मीर के लोग पूरे देश में कहीं भी रह सकते हैं l
धारा 370 उसी काले कानून का नाम है जिसे शेख अब्दुल्लाह के दबाव में तत्कालीन कांग्रेसी सरकार ने लागू किया था और आज भी यह कानून लागू है जिसकी वजह से कश्मीर में यूपी बिहार बंगाल समेत अन्य किसी भी राज्य के लोग नहीं रह सकते लेकिन उनके दिए टैक्स के पैसे कश्मीर में खर्च होंगे उनके घरों के जवान कश्मीर की हिफाजत के लिए शहीद होते रहेंगे l
बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था भारत के साथ विश्वासघात है कश्मीर को विशेष दर्जा
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने शुरू से ही कश्मीर को विशेष दर्जा और इस विवादित प्रावधान के खिलाफ विरोध जताया था l उन्होंने कहा था कि यह प्रावधान शेष भारत के साथ विश्वासघात होगा और हमेशा के लिए एक बड़ी समस्या बन जाएगाl डॉक्टर अंबेडकर के साथ साथ सरदार वल्लभभाई पटेल भी इस प्रावधान के खिलाफ थे लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार में प्रधानमंत्री नेहरू और उनके समर्थकों के दबाव में यह प्रावधान स्वीकार कर लिया गयाl
कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के खिलाफ बाबा साहब ने काफी मुखर होकर अपने विचार रखे थे।
अंबेडकर अनुच्छेद 370 के बारे में शेख अब्दुल्ला को लिखे पत्र में कहा था कि आप चाहते हैं कि भारत जम्मू-कश्मीर की सीमा की सुरक्षा करे, यहां सड़कों का निर्माण करे, अनाज की सप्लाई करे साथ ही कश्मीर के लोगों को भारत के लोगों के समान अधिकार मिले। लेकिन भारत के लोगों को कश्मीर में समान अधिकार नहीं मिलेगाl
डॉक्टर अंबेडकर ने कहा था मैं भारत के साथ विश्वासघात नहीं कर सकता
वहीं बाबा साहब ने अपने पत्र में शेख अब्दुल्ला को लिखा कि आप अपनी मांगों के बाद चाहते हैं कि भारत सरकार को कश्मीर में सीमित अधिकार ही मिलने चाहिए। ऐसे प्रस्ताव को भारत के साथ विश्वासघात होगा जिसे भारत का कानून मंत्री होने के नाते मैं कतई स्वीकार नहीं करुंगा।
जवाहर लाल नेहरू के दबाव में सरदार पटेल ने इस अनुच्छेद को पास किया
बाबा साहब ने शेख अब्दुल्ला के उस प्रस्ताव को मानने से साफ इनकार कर दिया था जिसमें उसने कश्मीर को विशेषाधिकार दिये जाने की मांग की थी। बाबा साहब के इनकार करने के बाद शेख अब्दुल्ला तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पास गया, लेकिन नेहरूजी ने उन्हें गोपाल स्वामी आयंगर के पास जाने को कहा। आयंगर उस समय राज्य सभा के नेता, रेल मंत्री और संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य भी थे।
लेकिन जब आयंगर के पास शेख अब्दुल्ला अपना प्रस्ताव लेकर पहुंचा तो आयंगर ने सरदार बल्लभ भाई पटेल से संपर्क किया और उनसे कहा कि आप इस मामले में हस्तक्षेप करें क्योंकि यह मामला नेहरू जी के अहम से जुड़ा हुआ है, नेहरू ने शेख को उनके अनुसार फैसले लेने को कहा है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार में नेहरू समर्थकों का वर्चस्व था और प्रधानमंत्री होने के नाते नेहरू की हर बात मानी जाती थी ऐसे में पटेल जी को भी इसे मानने का निर्देश दिया गया l
बाबा साहब ने अनुच्छेद 370 की बहस में नहीं लिया हिस्साl
धारा 370 और कश्मीर के विशेष दर्जे पर मनमानी से दुखी हुए अंबेडकर
जिस दिन यह अनुच्छेद बहस के लिए आया उस दिन बाबा साहब ने इस बहस में हिस्सा नहीं लिया ना ही उन्होंने इस अनुच्छेद से संबंधित किसी भी सवाल का जवाब दिया। इस अनुच्छेद से संबंधित सभी सवालों के जवाब कृष्ण स्वामी आयंगर ने ही दिये थे।