प्रयागराज में संगम तट पर माघी पूर्णिमा का स्नान पर्व आज भव्य रूप में मनाया गया l
देर रात से ही लाखों श्रद्धालु दूर दूर से आस्था की डुबकी लगाने संगम पहुँच रहे है। माघी पूर्णिमा का स्नान का बहुत महत्व है माघी पूर्णिमा स्नान से ही माघ पूर्ण होता है इसी लिए इसे माघी पूर्णिमा का स्नान कहते है आज के दिन स्नान करने के बाद कल्पवासी भी अपने अपने घरो को लौट जायेंगे। धर्म के जानकारों के अनुसार माघी पूर्णिमा के दिन ही सभी ग्रह एक होते है और श्रद्धालुओ के साथ ही आज के दिन देवी देवता भी संगम मे डुबकी लगाते है।
आज के दिन लाखो लोगो ने माँ गंगा में डुबकी लगाकर माँ गंगा का आशीर्वाद लिया और कामना की माँ गंगा हम सब पर अपना आशीर्वाद बनाये रखे। आज के दिन लोग गौ दान भी करते है गौ दान इस लिए करते है की प्रयाग में गौ दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है इस लिए यहाँ आये सभी श्रद्धालु माँ गंगा के पास आकर गौ दान करते है। माघी पूर्णिमा स्नान के बाद अब केवल शिवरात्री का स्नान रह गया है |
माघी पूर्णिमा के स्नान के साथ साथ बड़ी संख्या में देशी-विदेशी साधु और श्रद्धालुओं ने मिलकर भारतीय सेना के वीर जवानों के सम्मान में पवित्र संगम पर दीपदान किया और मां गंगा से हिंसा और आतंकवाद के विनाश और विश्व शांति की प्रार्थना भी कीl
आयोजकों ने बताया कि इस कार्यक्रम में दुनिया के 40 देशों के लोग शामिल हुal
उन्होंने कश्मीर में वीरगति को प्राप्त करने वाले भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए शांति पाठ और हवन में हिस्सा लियाl कार्यक्रम का आयोजन एस्ट्रोलॉजी इंडिया नामक संस्था ने कियाl
विदेशी श्रद्धालुओं ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया की हिंसा और नफरत के पीछे.. सिर्फ मनुष्य की अज्ञानता है और ज्ञान की कमी की वजह से लोग एक दूसरे से नफरत करते हैंl
युगोस्लाविया से आई एक महिला श्रद्धालुओं ने युगोस्लाविया में लंबे समय तक हिंसा और मारकाट देखने के बाद उन्होंने भारतीय सनातन संस्कृति शांति के महत्व को समझा जो यह स्पष्ट करता है की किसी भी तरह की हिंसा सिर्फ हिंसा और असंतोष को बढ़ावा देती है इससे कभी सुख शांति नहीं मिल सकती l
उन्होंने भारतीय जवानों की बहादुरी को नमन करते हुए पूरे विश्व में शांति की कामना कीl
प्रयागराज के कुंभ मेला क्षेत्र में लगभग सभी प्रमुख स्नान पर्व अब समाप्त हो चुके हैं l माघी पूर्णिमा का स्नान पर्व बीतने के साथ ही अब केवल शिवरात्रि का महा स्नान पर्व बचा है लेकिन अभी भी संगम तट पर लाखों श्रद्धालुओं का प्रतिदिन आवागमन हो रहा है l
संगम तट अभी भी दुनिया के बड़े शहरों जैसा एक धार्मिक नगर का रूप धारण किए हुए हैं जहां पर लाखों परिवार अपने दैनिक जीवन के साथ ही अपना धार्मिक जीवन जी रहे हैं l
अभी भी संगम का विहंगम दृश्य और वहां दिख रहा आस्था का रेला.. एक संदेश दे रहा है कि विश्व में संतोष और शांति से बड़ा सुख कहीं और नहीं ..और अगर वास्तव में आप को परम शांति संतोष चाहिए तो अपना मन ईश्वरीय शक्ति में लगाइए उस परमात्मा में लगाइए जिसे अलग-अलग नामों से पूरी दुनिया पुकारती है और जिसकी शरण में जाकर सारे कष्ट दूर होते हैं..
प्रयागराज से “द इंडियन ओपिनियन” के लिए मनीष वर्मा की रिपोर्ट