बाराबंकी: जिला कारागार में बंदियों की रिहाई विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता का हुआ आयोजन।

बाराबंकी। उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मंशानुरूप जनपद न्यायाधीश राधेश्याम यादव के निर्देशन व अध्यक्षता में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बाराबंकी द्वारा आज जिला कारागार बाराबंकी में बंदियों की रिहाई विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर राधेश्याम यादव, जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष द्वारा जेल में निरूद्ध बंदियों को निःशुल्क विधिक सहायता के विषय में विस्तार से जानकारियां दी गई एवं जेल प्रशासन को भी इस बाबत निर्देशित किया गया कि बंदियों के मानवीय एवं संवैधानिक अधिकारों का हनन न होने पाये इसके लिए सदैव सचेत रहें। जेल के बंदियों को भी सजा के दौरान खुद में आत्म चिन्तन व मनन करके अपने अन्तकरण को शुद्ध करने एवं अपने जीवन स्तर को सुधारने के लिए खुद को प्रेरित करने का प्रयास करना चाहिए।

मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी नन्द कुमार ने जेल में निरूद्ध बंदियों को प्ली बार्गेनिंग (सौदा अभिवाक्) विषय में संबोधित करते हुए उन्हें बताया कि जेल में निरूद्ध ऐसे बंदी जिनका मुकदमा न्यायालय में विचाराधीन हो और वे मृत्युदण्ड, आजीवन कारावास व 7 वर्ष से कम के दण्डनीय हैं एवं महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध किये गये अपराध व देश के सामाजिक आर्थिक दशा को प्रभावित करने के अलावा अन्य सभी मामलों को प्ली बार्गेनिंग से निपटा सकते हैं।

सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्वेता चन्द्रा द्वारा जेल में निरूद्ध बंदियों के रिहाई के विभिन्न उपबन्धों के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान करते हुए कथन किया गया कि जेल में निरूद्ध प्रत्येक महिला एवं उनके बच्चों को पर्याप्त विधिक अधिकार प्राप्त हैं, उनका स्वास्थ्य परीक्षण, उनकी मनोदशा का आंकलन, उनका खान-पान, उनकी एवं उनके साथ रहने वाले उनके बच्चों की शिक्षा एवं उनमें कौशल का निर्माण किया जाना जेल प्रशासन का दायित्व है और जेल प्रशासन अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक प्रकार से करें इसकी देख-रेख जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा नियमित रूप से अपने एवं पैनल अधिवक्ताओं के नियमित विजिट द्वारा सुनिश्चित किया जा रहा है। जेल में निरूद्ध महिला बन्दियों से बातचीत करते हुए सचिव द्वारा उन्हें अवगत कराया गया कि उन्हें उनके मुकदमों की पैरवी हेतु निःशुल्क अधिवक्ता जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दिया जाता है। निःशुल्क अधिवक्ता के लिए वे अपने प्रार्थना पत्र जेल प्रशासन, जेल पराविधिक स्वयं सेवक अथवा जेल विजिटर अधिवक्ताओं के माध्यम से कार्यालय को प्रेषित कर सकती हैं।

पैनल अधिवक्ता कुरैशा खातून द्वारा बंदियों के अधिकार विषय पर भी विस्तार से जानकारी दी गई। निःशुल्क अधिवक्ताओं द्वारा अपने मुकदमों की पैरवी कराने, जेल विजिटर एवं जेल के पैरा लीगल वालन्टियर्स के कार्यों के विषय में भी बताया गया। जेल में निरूद्ध बंदियों को जेल में संचालित लीगल एड क्लीनिक के विषय में भी जानकारियां दी गई। इसके अतिरिक्त बंदियों के कौशल विकास के तरीकों के विषय में भी विस्तार से जानकारियां दी गई। जेल में निरूद्ध बंदियों के परिजनों को भी विधिक सहायता उपलब्ध कराये जाने के उपबन्धों के बारे में बताया गया।

जेल अधीक्षक ने कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आगे भी इस तरह के आयोजन किये जाने एवं दिये गये निर्देशों के अनुरूप जेल के क्रिया कलापों को संचालित करने के लिए आश्वस्थ किया।कार्यक्रम का संचालन विपिन कुमार सिंह कार्यालय प्रभारी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया गया।

शिविर में जेलर, उप जेल अधीक्षक, जिला कारागार के अन्य कर्मचारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से सौरभ शुक्ला, मोहित प्रजापति आदि उपस्थित रहे। विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर के आयोजन से जेल के बंदी लाभान्वित हुए और उन्होनें हर्ष व्यक्त किया।

रिपोर्ट- सरदार परमजीत सिंह

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