भाजपाई मुकुट में नगीना बन चमकने लगे हैं धीरेंद्र! पथ था कठिन लेकिन व्यवहार कुशलता ने बनाया आसान। सपा के कई किलों में लगा चुके हैं सेंध? पढ़िए “द इंडियन ओपिनियन” के लिए कृष्ण कुमार द्विवेदी उर्फ राजू भैया की खास रिपोर्ट



बाराबंकी। उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक के पूर्व सभापति एवं वर्तमान में जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष धीरेंद्र कुमार वर्मा को अब भाजपा रास आ रही है। कभी सपा में रहते हुए कद्दावर नेता अरविंद सिंह गोप के अत्यंत नजदीकी रहने वाले श्री वर्मा अब भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा के दरबार में नगीना बन चमकने लगे है। जाहिर है कि भाजपाइयों ने भी उन्हें स्वीकारा है जिसके चलते अब तक वह सपा के कई किलो में से लगा चुके हैं?

कहते हैं राजनीति में ना कोई किसी का दुश्मन होता है और ना ही कोई किसी का दोस्त। बाराबंकी जनपद में समाजवादी पार्टी की राजनीति में धीरेंद्र कुमार वर्मा एक जाना पहचाना नाम हुआ करते थे। लेकिन वर्ष 2017 नवंबर माह में जब श्री वर्मा ने सपा को टा टा करके भाजपा की सदस्यता ग्रहण की तब पूरे जनपद में वैचारिक चर्चा का तूफान आ गया था। सनद रहे कि धीरेंद्र वर्मा वर्ष 2013 में सहकारी बैंक उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष एवं 2016 में उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक किस प्रदेश सभापति के पद पर भी रहे। सनद हो कि छात्रसंघ महामंत्री के रूप में वर्ष 1987 से अपनी राजनीतिक यात्रा आरंभ करने वाले धीरेंद्र वर्मा हमेशा अपनी व्यहवारिक कुशलता के चलते संगठन में महती भूमिका में स्थापित रहे। जिला पंचायत सदस्य एवं अन्य कई पदों से शुरू हुई यात्रा के बाद जब जनपद की राजनीति में अरविंद सिंह गोप का सपा में तेजी से महत्व बड़ा तो धीरेंद्र वर्मा उन की छाया के रूप में हमेशा उनके साथ नजर आए। पार्टी के बड़े कार्यक्रम हो अथवा कोई विषम परिस्थिति वर्मा कई बार संकटमोचक की भूमिका में थे! जब जबकि दूसरी तरफ श्री गोप के नजदीकी होने के चलते वह समाजवादी पार्टी के एक गुट के निशाने पर भी रहे।


समाजवादी पार्टी बाराबंकी में रार बढ़ती गई जिसके चलते नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2017 में धीरेंद्र वर्मा ने सपा को छोड़ दिया और वह चुपचाप भाजपा में शामिल हो गए ।अत्यंत विश्वस्त सूत्रों का दावा है कि श्री वर्मा को भाजपा में आने के बाद तत्कालीन अवध प्रांत के अध्यक्ष मुकुट बिहारी वर्मा का खासा सहयोग मिला। आज भाजपा सत्ता में काबिज है ऐसे में धीरेंद्र के सामने चुनौती थी कि वह भाजपा में अपने आप को कैसे एडजस्ट करें। समय बीतता गया और धीरे-धीरे प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा के दरबार में धीरेंद्र नगीना बन कर चमकने लगे ।उसका परिणाम यह हुआ कि भाजपाइयों ने भी उन्हें हाथों हाथ लिया ।भाजपा के कई कार्यक्रम सपाई किलों के मध्य कई बड़े सपा नेताओं के संस्थानों में भी धीरेंद्र की वजह से ही हुए।।जहाँ भाजपा के कई जनप्रतिनिधि अपनी उपस्थिति दर्ज कराते नजर आए ।भाजपाई स्वीकार्यता का नतीजा यह था कि एक बार फिर जिला सहकारी बैंक बाराबंकी के सभापति के रूप में वर्मा ने अपना जलवा कायम रखा। वैसे अभी भी कई भाजपाई धीरेंद्र वर्मा को मुश्किल से ही पचा पा रहे हैं! लेकिन यह स्थिति धीरे धीरे नेपथ्य में जा रही है। उधर जहां सपाइयों ने उनके जाने के बाद राहत की सांस ली वहीं दूसरी ओर भाजपा में भी शुरुआती दौर में उनकी निष्ठा को लेकर के कई चर्चाएं होती रही। जिले की राजनीति पर गौर किया जाए तो भले ही राजनीतिक विरोध के चलते धीरेंद्र वर्मा की राजनीतिक हैसियत को कोई भी कम करके अथवा ज्यादा करके बताएं लेकिन यह तय है कि इस नेता की व्यवहार कुशलता उसे भाजपा की राजनीति में अब लगभग स्थापित कर चुकी है। सपा के कई नेताओं से जब वार्ता हुई उनका कहना था कि कहीं ना कहीं श्री वर्मा सपा के लिए उपयोगी थे उनकी गुटबाजी के चलते अनदेखी की गई जो कि गलत था। भाजपा में ऐसे कई नेता है जो अपना नाम ना छापने की शर्त पर यह कहने में नहीं चूकते कि अभी धीरेंद्र की बहुत सी परीक्षाएं बाकी है ।
अपने सजातीय कई वरिष्ठ कुर्मी नेताओं से तो धीरेंद्र के संबंध अच्छे हुए ही हैं अलबत्ता भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं के दरबार में भी उनके सशक्त हस्ताक्षर हो चुके हैं। स्पष्ट है कि भाजपा सरकार में सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा का आशीर्वाद प्राप्त कर धीरेंद्र वर्मा भाजपा के नगीना तो बन ही चुके हैं ! यहां भी उनकी चमक से जहां कई भाजपाई खुश हैं वहीं कई भाजपाइयों की फीकी होती चमक उनके चेहरों पर चिंताओं के बवंडर लाती नजर आ रही हैं ।धीरेंद्र वर्मा कई अन्य संगठनों में भी जुड़े हुए हैं। इसमें राष्ट्रीय स्तर की सहकार भारती संगठन संस्था में भी राष्ट्रीय पदाधिकारी हैं जबकि इस समय वह लोकसभा चुनाव के लिए जुटे नजर आ रहे हैं।