*विपरीत परिस्थितियों में भी बलरामपुर समूह की हैदरगढ़ चीनी मिल कर रही है ,उत्कृष्ट प्रदर्शन दिसंबर 18 तक किया किसानों का संपूर्ण भुगतान पर्यावरण के बेहतरी के लिए एनजीटी के मानकों को पूरा कर, निभाया सामाजिक उत्तरदायित्व हैदरगढ़ से “द इंडियन ओपिनियन” के लिए “कृष्ण कुमार द्विवेदी” उर्फ”राजू भैया ” की खास रिपोर्ट*


*कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया)* वरिष्ठ पत्रकार


कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया)

बाराबंकी। बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड की हैदरगढ़ चीनी मिल इकाई ने जहां 23 दिसंबर 2018 तक गन्ना किसानों का भुगतान कर अन्नदाताओं हिसाब साफ कर दिया। वहीं दूसरी ओर उत्प्रवाह शोधक संयंत्र लगा कर गंदे पानी को साफ कर उसका फिर से उपयोग भी जारी कर रखा हैं। जबकि 10 जनवरी तक 17.81 से ज्यादा क्विंटल गन्ने की खरीददारी भी किसानों से कर डाली है।

भारत सरकार के गृह मंत्री राजनाथ सिंह की देन बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड की इकाई हैदरगढ़ चीनी मिल ने किसानों के बकाया भुगतान के मामले में जबरदस्त सफलता हासिल की है। जानकारी के मुताबिक हैदरगढ़ चीनी मिल प्रबंधन ने 23 दिसंबर तक किसानों का तमाम बकाया भुगतान कर दिया है। विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि वर्ष 2018 – 19 के पेराई सत्र के पूर्व के संपूर्ण गन्ना मूल्य का शत-प्रतिशत भुगतान चीनी मिल के द्वारा अब तक किया जा चुका है। वर्तमान पराई सत्र में 10 जनवरी तक कुल 17. 81 लाख क्विंटल से ज्यादा गन्ने की खरीद भी हो चुकी है ।इसके अलावा 15 दिसंबर 2018 तक खरीदें गए गन्ने के मद में 2307.72 लाख रूपये का भी मिल के द्वारा गन्ना किसानों को भुगतान किया जा चुका है ।इसके अतिरिक्त जो की 23 दिसंबर 2018 तक खरीदें गये गन्ने के मद में भी गन्ना किसानो को 10 करोड़ से ज्यादा का हिसाब कर चुकने की सफलता हासिल कर हैदरगढ़ चीनी मिल ने इतिहास लिख दिया है ।जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी के किसानों की हमदर्दी में देखे गए सपने को साकार करने के जैसा है। मिल का पेराई सत्र फिलहाल अभी जारी है।

किये गए सर्वेक्षण के मुताबिक चीनी मिल का परिचालन एन जी टी के मानदंडों के अनुरूप उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की देखरेख में बोर्ड से प्राप्त सहमति के नियमों के अधीन किया जा रहा है। यहां पर जो कुचर्चाएं कुछ लोगों के द्वारा आवाम में फैलाई जाती है कि हैदरगढ़ चीनी मिल का गंदा पानी जहरीला बनकर क्षेत्र को खासा नुकसान पहुंचा रहा है। वह बिल्कुल ही गलत है एवं अफवाह मात्र है ।हैदरगढ़ चीनी मिल ने मिल से निकलने वाले गंदे पानी को साफ करने के लिए उतप्रवाह शोधक संयंत्र स्थापित किया है। जिसकी लागत करोड़ों में है। यही नहीं मिल से निकलने वाले गंदे जल को इसमें कई प्रक्रियाओं के उपरांत शोधित करके उसे पुनः प्रयोग में लाए जाने के लायक बनाया जा रहा है। इस गंदे पानी को साफ करके चीनी मिल खेतों की सिंचाई एवं कारखाने की मशीनों में भी इसका उपयोग कर रही है। खास बात यह भी है कि शोधित पानी की गुणवत्ता की सतत निगरानी ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम के द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा की जाती है। जबकि 10 जनवरी को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ की टीम ने यहां पहुंचकर शोधित जल की गुणवत्ता की जांच की तथा उसे सही भी पाया।

प्रदेश की कई अन्य चीनी मिलों से अलग हैदरगढ़ चीनी मिल अत्यंत अत्याधुनिक संसाधनों से लैस है। जनमानस की चिंता को दूर करते हुए चीनी मिल ने वायु प्रदूषणकारी अवयवों की मात्रा को नियंत्रित किया है। इसके लिए बॉयलर की चिमनी में अत्याधुनिक ई. एस. पी. संयत्र लगाया गया है। जो धुँआ के साथ उत्सर्जित अत्यंत महीन कणों को बाहर निकालने वाली गैस से अलग कर देता है। इसकी जांच भी समय-समय पर ऑनलाइन मार्केटिंग सिस्टम के द्वारा होती रहती है ।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हैदरगढ़ का विधायक रहते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में हैदरगढ़ को यह सौगात वर्ष 2003 में दी थी ।चीनी मिल को 200 किलोमीटर दूर तक से गन्ना लाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में चीनी मिल प्रबंधन के द्वारा चीनी का उत्पादन अालाभकारी भी साबित होता है! लेकिन उद्योग प्रबंधन की इच्छा शक्ति की वजह से बलरामपुर समूह हैदरगढ़ चीनी मिल को विपरीत परिस्थितियों में भी चलाता जा रहा है। स्पष्ट है कि क्षेत्र के इस औद्योगिक मुकुट की मौजूदगी का असर क्षेत्र के आवाम पर भी पड़ा है ।जिसके चलते आसपास के कई अन्य लोगों को छोटे छोटे व्यापार के तहत रोजगार भी हासिल हुआ है। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के द्वारा गन्ना किसानों के बकाए के निर्देश के परिपालन में हैदरगढ़ चीनी मिल फिलहाल अभी तक अव्वल ही नजर आ रही है।