उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ को लेकर हाई अलर्ट।

उत्तर प्रदेश के 16 जिलों में बाढ़ के खतरे को लेकर हाई अलर्ट है। पहाड़ों पर हो रही बारिश से अवध की शारदा, घाघरा, राप्ती और सरयू का जल स्तर बढ़ गया है। बचाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। कई जिलों में नदी के किनारे के गांव ऐसे भी हैं, जहां लोग पलायन को मजबूर हो गए हैं तो कुछ डरे सहमे हैं। क्योंकि, जिस तरह से हर दिन नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है, उससे उन्हें बाढ़ का खतरा है। इसके अलावा कई जिलों में खेती की जमीन को नदियां लील गई हैं। हालत ये है कि गांव के लोगों के घरों तक पानी पहुंच गया है। नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। खाने-पीने की दिक्कत हो गई है।

महराजगंज में नेपाल से निकलने वाली नदियां एक बार फिर तबाही मचाने को तैयार हैं। जिले के लगभग दो दर्जन गांव इन नदियों के किनारे बसे हैं। इन गांवों में कभी भी बाढ़ आ सकती है। महाव नाले का डेंजर पॉइंट सिर्फ 5 फीट है, इसलिए नेपाल में बारिश होते ही इस नाले पर बना तटबंध टूट जाता है और पानी नाले के किनारे बसे गांवों में फैल जाता है।

इससे असुरैना, दोगहरा, खैरहवा दूबे, बरगदवा, देवघट्टी समेत अन्य कई गांव प्रभावित जाते हैं। सोनौली थाना क्षेत्र के सेमरा गांव की तरफ कटान होने से ग्रामीण दहशत में हैं। रोहिणी नदी के तट पर बसा यह गांव खतरे में है। गांव के निवासी ओमप्रकाश, अनिल ,सुनील ने बताया कि रोहिन नदी कई वर्षों से गांव की तरफ कटान कर रही है।अब तक दर्जन भर घर नदी की धारा में समा चुके हैं।

गोंडा में सरयू व घाघरा दोनों नदियां तेजी से खतरे के निशान की तरफ बढ़ रही हैं। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, एल्गिन ब्रिज पर घाघरा नदी अपने खतरे के निशान 106.07 मीटर से 50 सेंटीमीटर नीचे बह रही है। वहीं, सरयू नदी का जलस्तर अपने खतरे 92.73 मीटर के निशान से 60 सेंटीमीटर नीचे है। घाघरा में गिरिजा, शारदा व सरयू बैराज से 1.43 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। प्रशासन ने अपनी 11 बाढ़ चौकियों में से 7 को अलर्ट कर दिया है। इनमें गौरा, सिंहनापुर, पाल्हापुर, भटपुरवा, शाहपुर, चरसड़ी, भौरीगंज, और पसका की बाढ़ चौकियां शामिल हैं। क्षेत्र के 3 गांवों के 14 मजरे बांध और नदी के बीच बसे हुए हैं। इसमें नदी का जलस्तर बढ़ने पर ये मजरे प्रभावित हो जाते हैं।

इनमें ग्राम नकहरा के 9 मजरे, ग्राम पसका के दो मजरे तथा ग्राम चंदापुर की किटौली के तीन मजरे शामिल हैं। जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही ने सकरौर भिखारीपुर तटबंध पर कराए जा रहे कार्य का निरीक्षण किया है।
लखीमपुर खीरी धौरहरा तहसील में अभी घाघरा नदी का कहर थमा भी नही था कि क्षेत्र के ईसानगर में शारदा नदी ने भूमि कटान को तेज कर दिया है। मंगलवार से लगातार शारदा नदी की लहरें बैरिहा गांव की तरफ बढ़ रही हैं, ग्रामीण परेशान हैं।

शारदा नदी की लहरों ने बीते 24 घंटे के अंदर करीब 20 एकड़ खेती की जमीन को अपनी चपेट में ले लिया है। मिश्र गांव के मजरा बैरिहा से महज 50 मीटर की दूरी पर कटान हो रही हैं। इससे गांव के करीब 150 लोगों में दहशत है। प्रशासन ने नदी की कटान रोकने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाया है। किसानों की मानें तो अब तक मिश्र गांव के दुर्जन की तीन बीघा, रामखेलावन की दो, मेवालाल की तीन, चेतराम की दो, उमेश, राम मित्र की दस बीघा, इस्माइल की आठ समेत करीब दो दर्जन लोगों की जमीन शारदा की लहरों में समा चुकी है।

बिजनौर में गंगा का जल स्तर बढ़ने पर कुन्दपुर, रामसहाय वाला, देबलगढ़, मीरापुर खादर, कोहरपुर, राजरामपुर, चाहड़वाला, रावली, ब्रहमपुरी, गंगा बैराज तक के गांव प्रभावित होते हैं। गंगा बैराज के बाद नंदगांव, जहानाबाद खोबडा, नाथाडोई, मुकरपुरी, नयागांव, मनोहरवाली, सिपाहियोंवाला, दतियाना, नारनौर, भूतपुरी,चतरपुरा, शेरगढ़,शाहपुर जमाल, नगंलाकोप्पा, रैनी, गढ़ी सलेमपुर, डेलीवाला, हसनपुर मुबारकपुर सुआवाला तक भी असर रहता है। गंगा खादर क्षेत्र के लंबाई की बात की जाए तो 40 से 50 किलोमीटर लंबा एरिया है। हर साल पानी का बहाव तेज़ हो जाता है और बरसात में बाढ़ जैसे हालात हो जाते हैं। एडीएम एफआर अवधेश मिश्रा ने बताया कि ज़िले में कुल 31 बाढ़ चौकी है, जिसमें सभी विभाग मिलाकर एक चौकी पर 5 लोग तैनात हैं। ज़िले में 34 बाढ़ आश्रय स्थल हैं। गंगा का क्षेत्र 80 से 90 किलोमीटर तक पड़ता है। गंगा के किनारे प्रभावित 101 गांव हैं, जिसमे 53 गैर आबादी के हैं जबकि 48 आबादी वाले गांव हैं। इस वक्त कोई खतरे की बात नहीं हैं।


मुरादाबाद में कटघर थाना क्षेत्र में रामगंगा खादर में बसे 50 गांव बाढ़ में घिर गए हैं। इन गांवों में 4 फ़ीट तक पानी है। गांव बीच में फंसे हैं और इनके दोनों साइड से रामगंगा बह रही है। लोग आने जाने के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं। ग्रामीणों की हजारों बीघा फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। रामगंगा खतरे के निशान से महज एक मीटर नीचे बह रही है। रविवार का जल स्तर 189.1 मीटर रहा है।
पीलीभीत में लगातार बारिश ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। शारदा और देवहा नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। देवहा नदी के किनारे निचले इलाकों में कई किसान खेती भी करते हैं। वहीं, नदी का जलस्तर बढ़ने से अब खेतों में पानी आ गया है। बनबसा बैराज से शारदा नदी में मंगलवार देर शाम 1.20 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। बैराज का जलस्तर बढ़ने से 30,000 क्यूसेक पानी शारदा नदी में छोड़ा गया है, जिससे अब शारदा नदी उफान पर है। नानकमत्ता सागर डैम से भी जल स्तर बढ़ने पर देवहा नदी में 5000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था।

बाराबंकी में सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 106.070 मीटर के सापेक्ष गुरुवार शाम चार बजे 106.236 मीटर ऊपर पहुंच गया। इससे तटवर्ती कई गांवों में पानी भरने लगा है। दहशतजदा ग्रामीण तटबंध या अन्य सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन करने लगे हैं। सूरतगंज ब्लॉक के सुंदरनगर, कोड़री, कचनापुर, हेतमापुर, सरसंडा, बेलहरी, बतनेरा गांव में बाढ़ का पानी घुसने लगा है। यहां के लोग तटबंध पर पहुंच रहे हैं। गांव से निकलने के लिए नाव का सहारा है। वहीं, हेतमापुर तटबंध के निकट पुलिया भी बह गई। वहीं, रामनगर ब्लॉक के ग्राम कोरिनपुरवा मजरे तपेसिपाह के निकट सरयू का पानी तेजी से गांवों की ओर बढ़ रहा है। बाढ़ कार्य खंड की ओर से कटान रोकने के लिए पेड़ों की टलनियां लगाई गई हैं। एक सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से सरयू नदी बढ़ रही हैं। महसी तहसीलदार राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि बारिश के चलते जलस्तर बढ़ रहा है, लेकिन स्थित सामान्य है।
बीते दो दशक में कटान से कपरवल, दरियापुरकला, दरियापुर खुर्द, तूलापुर, चुरवलिया, नौबस्ता, संसारी, मुंसारी, आशापुर, खरगापुर, सिलौटा, तारापुरवा, रामघाट समेत दो दर्जन गांवों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। कटान पीड़ित करीब 200 परिवार अभी भी बेलहा-बेहरौली तटबंध पर झुग्गी-झोपड़ियों में रहकर पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं। महसी तहसील के गोलागंज, कायमपुर व पिपरी गांवों व तटबंध को कटान से बचाने के लिए 21 करोड़ की लागत से तीन स्परों का निर्माण कार्य जारी है। एसडीएम महसी एसएन त्रिपाठी ने बताया कि तहसील प्रशासन बाढ़ तथा कटान की स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं। बचाव एवं राहत से जुड़ी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। क्षेत्र में नाव लगा दी गई हैं। जिससे अचानक अगर पानी आ जाए तो कोई दिक्कत न हो। किसी भी समस्या से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरीके से तैयार है। अभी स्थिति सामान्य है।

लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर,महाराजगंज,देवरियाबस्तीकुशीनगर, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, गोंडासंत, कबीरनगर, बलिया, बाराबंकी, सीतापुरमऊ जिलों में जलस्तर बढ़ा।
गंगा, रोहिणी, शारदा, घाघरा, राप्ती, सरयू, रामगंगा ये समस्त नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं है।
बाराबंकी के महसी के राजकीय इंटर कालेज रमपुरवा में एनडीआरएफ टीम तैनात है। टीम के जवान तटवर्ती गांवों के बाढ़ प्रभावितों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दे रहे हैं। मॉकड्रिल के जरिए अधिकारियों-कर्मचारियों ने पूर्वाभ्यास भी कर लिया है। शारदा नदी के पास रहने वालों को सुरक्षित जगह ले जाने का प्लान है।जिलाधिकारियों को बाढ़ की स्थिति की लगातार निगरानी और प्रबंधन के लिए एडवायजरी भी जारी की गई है।हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर से 17 जून को प्राप्त उपग्रहीय चित्रों के मुताबिक, महाराजगंज में 28,581 हेक्टेयर और सिद्धार्थनगर में 2674 हेक्टेयर क्षेत्र पानी में डूबे हैं। इस हिसाब से यहां निगरानी बढ़ा दी गई है।बाढ़ प्रबंधन के काम की रिपोर्ट भी तलब की गई है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों और उनमें राहत कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट तय प्रारूप पर रोज भेजने के लिए कहा गया है। जलमग्न क्षेत्रों के लोगों को बचाने और उनके लिए शरणालय व भोजन आदि का इंतजाम किए जाने की योजना बन रही है।


लखीमपुर खीरी में शारदा नदी खतरे के निशान के करीब पहुंच गई है। जून महीने में 15 सेमी नीचे बह रही थी।सीतापुर में बारिश व बैराजों से छोड़ा गया पानी रेउसा ब्लॉक के बाढ़ प्रभावित गांवों के ग्रामीणों की मुश्किल बढ़ा रहा है। शारदा व घाघरा नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बहराइच में घाघरा का जलस्तर भी तेजी से बढ़ा है। ये नदी विकराल रूप लेकर डरा रही है। जून महीने में जलस्तर स्थिर था। श्रावस्ती में राप्ती का जल स्तर भी खतरे के निशान से ऊपर हो गया है। सामान्य से 15 सेमी का अंतर हो गया। 18 गांव खतरे की जद में आ गए हैं। बलरामपुर में भी राप्ती के खतरे के निशान के करीब पहुंच गई है। इसकी लहरें और रफ्तार भी डरा रही हैं। गोंडा और बाराबंकी में घाघरा खतरे के निशान तक पहुंच गई हैं। लगातार बारिश से यहां बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। अयोध्या में सरयू के जलस्तर लाल निशान से अभी भी 66 सेंटीमीटर नीचे है।सुल्तानपुर में गोमती का जलस्तर स्थिर है।

रिपोर्ट – आर डी अवस्थी

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