

देवव्रत शर्मा-
दो पीढ़ी से कांग्रेस पार्टी का झंडा मध्यप्रदेश में बुलंद करने वाली सिंधिया परिवार के युवराज ज्योतिरादित्य ने अपने सहयोगी हजारों कार्यकर्ताओं और 22 विधायकों के साथ जिस अंदाज में कांग्रेस पार्टी को अलविदा किया है उससे कांग्रेस में हड़कंप मच गया है ,और एक बार फिर नेतृत्व की कार्यशैली और पार्टी में पार्टी हितों और राष्ट्रीय हितों पर हावी परिवारवाद पर चर्चा छिड़ गई है।

दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पार्टी के शीर्ष युवा नेताओं में माने जाते थे और उन्हें राहुल गांधी का नजदीकी भी कहा जाता है इतना ही नहीं उनके पिता माधवराव सिंधिया पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबी दोस्तों में से थे और वह भी कांग्रेस के बड़े नेता थे इसके बावजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले 15 महीनों से कांग्रेस में घुटन महसूस कर रहे थे। उन्हें सम्मान देने की बजाय पार्टी के बड़े नेता उन्हें उपेक्षित कर रहे थे।

ज्योतिरादित्य और कांग्रेस नेतृत्व के बीच अलगाव उसी समय का हो गया था जब उन्हें उपेक्षित करते हुए कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में कमलनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया था जबकि मध्य प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का बड़ा वर्ग ज्योतिरादित्य को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहता था। यह भी कहा जा रहा था कि ज्योतिरादित्य के युवा नेतृत्व को पसंद करते हुए इस बार युवाओं ने भाजपा को छोड़कर मध्यप्रदेश में कांग्रेस को ज्यादा सीटों पर जीत दिलाई थी बावजूद इसके सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी यानी कांग्रेस की “हाईकमान फैमिली” ने ज्योतिरादित्य को अनदेखा करते हुए वहां कमलनाथ को महत्व दिया।

ज्योतिरादित्य पार्टी में हाशिए पर बने हुए थे जबकि पार्टी हाईकमान ने इस बात को अनदेखा किया कि मध्यप्रदेश में उनका बड़ा जनाधार है l पिछले कई दिनों से राहुल गांधी प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी के बीच ज्योतिरादित्य के असंतोष को लेकर मंथन चल रहा था लेकिन डैमेज कंट्रोल का जो मौका कांग्रेस ने गवा दिया उसका भाजपा ने पूरा फायदा उठाया बीजेपी हाईकमान ने ज्योतिरादित्य को अच्छे भविष्य का भरोसा दिया और ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस को इस्तीफा दिया।
फिलहाल मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं और आधा दर्जन इस्तीफा देने को तैयार बैठे हैl अगले कुछ दिनों में एक बार फिर देश के मध्य प्रदेश में भगवा लहराने की संभावनाएं प्रबल हो गई है।