वाराणसी की प्राचीन संस्कृति में शुमार, त्रिलोक में सबसे न्यारी काशी को बसाने वाले देवों के देव बाबा काशी विश्वनाथ ने आज काशी के सबसे प्राचीन महाश्मशान में चिताओं के बीच माता गौरा माता काली और अपने गणों के साथ होली खेली। इस होली को देखने के लिए पूरी काशी उमड़ पड़ी।
चिता भस्म की होली के पहले बाबा का बारात झांकी के तौर पर निकला जो माता गौरा का गौना कराने के लिए जा रहा था।
झांकियों में एक से बढ़कर एक झांकी देखने को मिली जिसमें अड़ भंगी शंकर के कई रूप देखने को मिला जो नृत्य करते और एक से एक कर्तव्य करते जा रहे थे और पीछे पीछे पूरी काशी चल रही थी।
गंगा किनारे हरिश्चन्द्र घाट पर पहुंचने के बाद पहले महाश्मशान नाथ की आरती की गई उसके बाद शिव पार्वती ने चिता पर भस्म की होकि खेली।
इस दृश्य को देखकर लग रहा था मानो सच मे शिव पार्वती और मां काली स्वयं काशी में आकर भस्म की होली खेल रहे थे।
माता पार्वती जब भगवान शिव को भस्म लगाकर होली खेल रही थी तो चारों ओर हर हर महादेव के उद्घोष से गंगा का किनारा गुंजायमान हो रहा था।
वहीं झांकियों में किन्नरों ने भी अपने नृत्य से समां बांधा। किन्नरों के मानना है कि वो शिव के सबसे बड़े भक्तों में से एक हैं और वो शिव के भूत प्रेत जैसे सभी गणों में से एक हैं ।
रिपोर्ट – पुरुषोत्तम सिंह, वाराणसी