
दिनांक 19अगस्त को प्रदेश सरकार द्वारा टोक्यो ओलिम्पिक में मैडल विजेताओं का अभिनन्दन समारोह स्थानीय इकाना स्टेडियम में आयोजित किया गया। इस भव्य आयोजन में स्थानीय युवाओं के अतिरिक्त प्रदेश भर से आये युवाओं और खिलाड़ियों ने भाग लिया । मैडल विजेताओं के सानिध्य में अगर 1 प्रतिशत युवा भी यदि प्रेरित हो जायें तो चार साल बाद भारत ओलिम्पिक खेलों में एक नया इतिहास रच सकता है ।
इस समारोह में प्रदेश के राज्यपाल व मुख्य्मंत्री ने मैडल विजेताओं को प्रोत्साहन धनराशि का चेक व सम्मान पत्र प्रदान कर उनका अभिनन्दन किया ।

इस तरह के भव्य आयोजन प्रशासन के लिए एक चुनौती होते हैं। कानून व्यवस्था, यातायात व्यवस्था के अतिरिक्त जिले और बाहर से आये प्रतिभागियों के लिए भोजन की व्यवस्था एक चुनौतीपूर्ण ज़िम्मेदारी थी ।
मैडल विजेताओं का आदर … तो फिर अन्न का निरादर क्यों ?

आज प्रातः जो भी व्यक्ति गोमती नगर एक्सटेंशन फ़ीनिक्स प्लासियो मॉल , के दक्षिणी दरवाज़े से एच सी एल जाने वाली सड़क से सी जी सिटी होकर गुजरा , हतप्रभ रह गया । कल इस सड़क पर दोनों ओर बाहर से आने वाली बसों को खड़ा किया गया था जो उपरोक्त आयोजन के प्रतिभागियों को लेकर आई थीं ।

सड़क के दोनों ओर लगभग 1 किलो मीटर तक खाने के पैक्ड डिब्बे,खाली पानी की बोतलें , ट्रैक सूट के प्लास्टिक कवर छितराये पड़े थे । भोजन का इस तरह तिरस्कार देख कर वहाँ से गुजरने वाला हर सभ्य नागरिक तिलमिला कर रह गया। कूड़ा बटोरने वाले कई लोग प्लास्टिक खाली कर और भोजन को वहीं फेंक कर प्लास्टिक अपने बोरों में भर रहे थे, वहीं कुछ लोग भोजन में से पूड़ी को अलग कर अलग ढेर लगा रहे थे ।

कौन है इस अव्यवस्था , भोजन की बर्बादी और गन्दगी का जिम्मेदार ?
खाने की पैकिंग को देख कर लग रहा था कि सरकार के खजाने से इसकी व्यवस्था करने में एक मोटी रकम खर्च की गई होगी । इतने बड़े पैमाने पर खाने की बर्बादी के कुछ ही कारण हो सकते हैं –

- खाने की गुणवत्ता ठीक न हो।
- जब तक खाना प्रतिभागियों में वितरित किया गया वह गर्मी के कारण खराब हो चुका हो और खाने योग्य नहीं बचा हो ।
- आवश्यकता से अधिक खाने की व्यवस्था कर ली गई हो ।
जो भी लोग/ कर्मचारी भोजन व्यवस्था देख रहे थे उन्होंने यह क्यों सुनिश्चित नहीं किया कि भोजन किन्ही भी कारणों से बर्बाद न हो ? इस तरह इतने भोजन की बर्बादी और पब्लिक मनी का अपव्यय अक्षम्य अपराध है और जाँच का विषय है ।
मोदी जी की मन की बात
रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अति संवेदनशीलता के साथ देश की जनता से ‘मन की बात’ करते हुए वह सामाजिक, पारिवारिक एवं व्यक्तिगत मुद्दों को उठाते हैं और जन-जन को झकझोरते हैं। इसी श्रृंखला की एक कड़ी में उन्होंने देशवासियों को भोजन की बर्बादी के प्रति आगाह किया था ।
भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश के लिए यह पाठ पढ़ना जरूरी है, क्योंकि एक तरफ विवाह-शादियों, पर्व-त्योहारों एवं पारिवारिक आयोजनों में भोजन की बर्बादी बढ़ती जा रही है, तो दूसरी ओर भूखे लोगों द्वारा भोजन की लूटपाट देखने को मिल रही है। भोजन की लूटपाट जहां मानवीय त्रासदी है, वहीं भोजन की बर्बादी संवेदनहीनता की पराकाष्ठा । एक तरफ करोड़ों लोग दाने-दाने को मोहताज हैं, कुपोषण के शिकार हैं, वहीं रोज लाखों टन भोजन की बर्बादी एक विडंबना है।
एक तरफ सरकार अन्न महोत्सव और स्वच्छ भारत की बात करती है और दूसरी तरफ उसी के कर्मचारी सरकार की इन महत्वाकांक्षी और जनकल्याणकारी योजनाओं की धज्जियाँ उड़ाने से पहले एक पल भी विचार नहीं करते हैँ । एक सकारात्मक और मानवीय सोच इस बर्बादी को रोक सकती थी ।
कहीं सोशल मीडिया पर कुछ पढ़ा था जो कहीं अन्दर तक झकझोर गया था —
सो गए गरीब के बच्चे
ये सुन कर कि
ख्वाबों में
फरिश्ते आते हैं रोटियाँ लेकर
रिपॉर्ट – विकास चन्द्र अग्रवाल