तो क्या चीन UN/WHO की लापरवाही से दुनिया भर में फैल रहा जानलेवा कोरोनावायरस ?

रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा

पूरी दुनिया में कोरोनावायरस पिछले सैकड़ों सालों की सबसे बड़ी त्रासदी बनकर सामने आ गया हैl
भारत समेत दुनिया के सैकड़ों देशों में कर्फ्यू जैसा माहौल है 20000 से भी ज्यादा लोग अपनी जिंदगी गवा चुके हैं, हजारों परिवारों में मातम छाया है, लॉक डाउन कर्फ्यू के चलते करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं अस्पतालों में हाहाकार मचा है तमाम देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो रही है लेकिन चाइना के राष्ट्रपति मुस्कुरा रहे हैं यूनाइटेड नेशन ने अभी तक कोई आपात बैठक नहीं बुलाई और डब्ल्यूएचओ ने अभी तक कोरोनावायरस को रोकने की कोई वैक्सीन कोई दवा उपलब्ध नहीं कराई।

इतना ही नहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपना फर्ज यदि ठीक से निभाया होता तो पूरी दुनिया में हजारों मासूमों की मौत ना होती विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस मामले में पूरी दुनिया को होशियार करने में जानबूझकर बहुत ज्यादा लापरवाही और देरी का परिचय दिया।

नवंबर में ही चीन में कोरोनावायरस का मामला सामने आ गया था दिसंबर में पूरे विश्व मीडिया में कोरोनावायरस का मामला छा गया था लेकिन विश्व स्वास्थ संगठन W.H.O  बेशर्मी के साथ खामोश बना रहा W.H.O. की इसी खामोशी की वजह से दुनिया के सैकड़ों देश में कोरोना वायरस फैल गया।

विश्व स्वास्थ संगठन यानी W.H.O. अगर समय रहते ही दुनिया के प्रमुख देशों को या फिर पूरी दुनिया को कोरोनावायरस की चेतावनी दे देता तो सभी देश अब तक जरूरी इंतजाम कर लेते लेकिन नवंबर से कोरोना वायरस के मामले चीन में सामने आने के बावजूद डब्ल्यूएचओ ने मार्च में इसे वैश्विक महामारी घोषित किया वह भी आधा मार्च बीतने के बाद उस समय जब  वायरस तमाम देशों में मौत की दास्तान बहुत तेजी से लिखने लगा।

अब सवाल यह उठता है कि यूनाइटेड नेशंस के अधीन काम करने वाला संगठन डब्ल्यूएचओ चीन के दबाव में क्यों था दरअसल चीन इस समय यूनाइटेड नेशंस के सबसे शक्तिशाली हिस्से उसकी सुरक्षा परिषद यानी सिक्योरिटी काउंसिल का अध्यक्ष है इसलिए उसका पूरे यूनाइटेड नेशन और उसके सभी संस्थाओं यानी डब्ल्यूएचओ पर भी काफी प्रभाव है।

चीन एक ताकतवर और जिद्दी मुल्क है उसकी गुप्तचर संस्थाएं बहुत शक्तिशाली है और वह आपने हितों के लिए पूरी तरह अडिग रहता है, अपने स्वार्थ के लिए किसी भी सीमा तक जाता है चीन में लोकतंत्र नहीं है इसलिए दुनिया के तमाम देश तमाम संस्थाएं चीन के दबाव में रहते हैं चीन से डरतेहल हैं।

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