
मांगलिक और धार्मिक कार्यक्रमों में संगीत का सबसे महत्वपूर्ण बाद्य यंत्र ‘‘ढोलक‘‘ बाहर से आये कारीगरों द्वारा इटावा में भरथना के पशुचिकित्सालय के खण्डर पड़े परिसर में बनायी जा रही हैं। ढोलक बाद्य यंत्र का सहालग के चलते वैवाहिक कार्यक्रमों में बड़ा महत्व रखता है। जिसके चलते ढोलक कारीगरों विभिन्न प्रकार की तैयार ढोलकों की नगर व क्षेत्र में घुम-घमकर बिक्री कर रहे हैं।

वही कस्बे के मुहल्ला बृजराज नगर स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय प्रांगण में अस्थायी रूप से अपना ठिकाना बनाकर ढोलक बनाने वाले कारीगर जनपद बहराइच के नानपारा निवासी शेरदिल, नजीरूद्दीन, अलाउद्दीन, इन्तजार अली, नसीब अली आदि ने बताया कि वह गरीब तबके के लोग हैं, जो ढोलक बनाकर व ढोलक बिक्री कर मेहनत मजदूरी करके बमुश्किल अपना भरण पोषण करते हैं। कारीगरों ने बताया कि ढोलक की मजदूरी के सहारे ही उनके परिवार की जिन्दगी चल रही है।

उन्होंने बताया कि ढोलक बनाने के लिए वह करीब एक-एक सप्ताह किसी न किसी कस्बा में अपना अस्थायी ठिकाना बनाते हैं। कारीगरों ने बताया कि वह सांय के समय नाल, रस्सी, बच्चों की ढुलकिया, तबला आदि प्रकार की ढोलकें तैयार कर लेते हैं तथा सुबह नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में बिक्री करने के लिए फेरी पर निकल जाते हैं। उक्त ढोलकों की कीमत 200 रूपये से शुरू होकर अधिकतम कीमत 600 रूपये तक कीमत बिक जाती हैं। ढोलक कारीगरों ने बताया कि वर्तमान में शादी-विवाह, बुलावा, भागवत कथा आदि वैवाहिक-धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन अधिक सम्पन्न हो रहे हैं। जिसके चलते महिलाएं इन दिनों ढोलक की खरीददारी करती हैं, जिसके कारण दिन दिनों ढोलक बाद्य यंत्र की बिक्री की अच्छी सम्भावना बनी रहती है।
रिपोर्ट- शिवांग तिमोरी,