कोरोना क्राइसिस पर दिखा मोदी नेतृत्व का असर भारत के बुलावे पर एकजुट हुए सार्क देश!

आराधना शुक्ला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के  आह्वान पर सार्क देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रविवार शाम 5:00 बजे संपन्न हुई ।इस कॉन्फ्रेंसिंग का उद्देश्य दुनिया भर में फैली महामारी कोविड-19 से एकजुट होकर निपटने के लिए तैयार रहने पर,चर्चा करना था। एशिया में भारत एकमात्र ऐसा देश बन गया है जिसने कोरोना से निपटने के लिए इस तरह की पहल की है। भूटान के प्रधानमंत्री ने भारत के इस कदम की तारीफ करते हुए कहा कि भारत में लीडरशिप करने की क्षमता है।

सार्क देशों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष मौजूद थे, सिर्फ पाकिस्तान ही ऐसा था  जिसकी तरफ से एक राज्य मंत्री को भेजा गया था। वहीं नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली स्वास्थ्य ठीक ना होने पर भी इस  बैठक में मौजूद थे। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने  वुहान से अपने नागरिकों को सकुशल वापस लाने के लिए पीएम मोदी की तारीफ़ भी की।

कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल देशों ने की भारत के पहल की तारीफ:

भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए इस तरह की साझा सहयोग के लिए भारत का आभार। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए कहा था कि भारत में लीडरशिप करने की  क्षमता है।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि भारत ने वुहान से न सिर्फ अपने छात्रों को रेस्क्यू किया बल्कि 23 बांग्लादेशी छात्रों को भी वहाँ से निकाला। शेख हसीना का सुझाव था कि सभी सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्री कूटनीतिक स्तर पर बातचीत करने के लिए तैयार रहें।इसके अलावा सभी देशों को अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार कोरोना से निपटने के लिए कोरोना इमरजेंसी फण्ड में योगदान भी करें।

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने टेलीमेडिसिन पर जोर देते हुए कहा कि, एक सामान्य ढांचा बनाने की आवश्यकता है। जिससे अगर बॉर्डर लाइन बंद भी हो जाए तो मेडिकल सुविधाएं मिलने में दिक्कत न हो।
मालदीव के राष्ट्रपति अब्राहिम मोहम्मद सोलेह ने पीएम मोदी का धन्यवाद देते हुए कहा कि मालदीव भारत का शुक्रगुजार है। भारत ने मालदीव को कोरोना से निपटने के लिए सभी जरूरी दवाइयां उपलब्ध करवाई।

श्रीलंका ने भी कोरोना वायरस से निपटने के लिए अपनी रणनीति दक्षेस देशों से साझा की। और बताया कि किस प्रकार से वह अपने यहाँ कोविड-19 से निपटने के उपाय कर रहा है।
पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री जफर मिर्जा ने  कोरोना को सबसे खतरनाक महामारी बताया और कहा कि हम हमें इससे निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कश्मीर से सभी प्रतिबंध हटाए जाने की जरूरत है।

आज पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने तबाही मचाई हुई है। ऐसे में भारत पहला ऐसा देश बन गया है  जिसमें क्षेत्रीय समूह की ओर से साझा प्रयास करने की पहल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 से निपटने के लिए सभी सदस्य देशों से एकजुट होकर इस महामारी से निपटने के लिए साझा जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दक्षेस देशों में दुनिया की आबादी का पांचवा हिस्सा रहता है। इसलिए  यह और भी जरूरी हो जाता है कि सभी को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। सार्क एक विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जहां सभी देश  पहले से ही स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों से जूझ रहे हैं।जब यूरोप के देशों में इस महामारी से निपटाने में तो वहाँ के देशों को संघर्ष करना पड़ रहा है, जहां मेडिकल सुविधाओं की हालत अच्छी है। तब ऐसे में यह सवाल  उठना  स्वाभाविक है कि  विकासशील देशों के हालात तो पहले से ही खराब है  तब यहाँ के हालात और भी बद्तर होने की गुंजाइश बढ़ जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसे मंच का सहारा लिया जहां सभी देशों में इस महामारी के प्रकोप से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधनों की कमी है। सार्क देशों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में पीएम मोदी ने  कोरोना वायरस से निपटने के लिए एक इमरजेंसी फंड बनाने की घोषणा की और साथ ही इसमें 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का ऐलान भी किया। साथ ही यह भी कहा कि भारत के विशेषज्ञ,डॉक्टर,स्वास्थ्य कर्मी,व वैज्ञानिकों की टीम सार्क देशों में भेजी जाएगी। उससे पहले एक सप्ताह के भीतर सभी डॉक्टर, विशेषज्ञों की एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक बुलाई जाएगी जिसमें वे अपने-अपने अनुभवों को साझा करने के साथ ही एक दूसरे की मदद करने योग्य मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

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