करीब दो साल तक रेपो रेट 4 फीसदी पर स्थिर रहा और इस कारण दो साल तक लोगों को सस्ते में कर्ज मिलता रहा. हालांकि महंगाई ने सस्ते कर्ज का दौर समाप्त कर दिया। सरकार और रिजर्व बैंक के प्रयासों के बाद महंगाई (Inflation) धीरे-धीरे काबू में आने लगी है। हालांकि दूसरी ओर अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व समेत कई कई देशों के सेंट्रल बैंक आक्रामक तरीके से ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं।
देशों के सेंट्रल बैंक आक्रामक तरीके से ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. फेडरल रिजर्व ने अमेरिका में ऐतिहासिक महंगाई के चलते लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहा है। पहली बार मई में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 फीसदी किया था। इसके बाद जून की बैठक में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.50 फीसदी बढ़ाया। अगस्त में फिर से रेपो रेट को 0.50 फीसदी बढ़ाया गया।
करीब 4 साल के अंतराल के बाद एक बार फिर से ब्याज दरें बढ़ने (Interest Rate Hike) का दौर लौट आया है. कई साल के उच्च स्तर पर पहुंची महंगाई (Inflation) ने रिजर्व बैंक (RBI) को रेपो रेट बढ़ाने (Repo Rate Hike) पर मजबूर कर दिया है। पिछली बार यानी जून बैठक की तरह इस बार भी यह सवाल ही नहीं है कि रेपो रेट बढ़ेगा, स्थिर रहेगा या कम होगा। इस बार भी रेपो रेट का बढ़ना तय है, हालांकि यह कितना बढ़ेगा, इस पर एनालिस्ट एकमत नहीं हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’