गंभीर अपराधों को लेकर उत्तर प्रदेश अक्सर चर्चा में रहता है l इस समय लोग गमगीन है क्योंकि उन्नाव में सामूहिक बलात्कार के बाद जला दी गई बेटी इंसाफ की गुहार लगाते हुए दुनिया से चली गईl
बेटी को इंसाफ जीते जी क्यों नहीं मिला और उसकी मौत के बाद कैसे इंसाफ मिलेगा यह एक बड़ा सवाल है l
लेकिन साथ में एक बड़ा सवाल और है उत्तर प्रदेश में सैकड़ों हजारों करोड़ के स्मारक और पार्क बनवाने वाले नेताओं ने आज तक उत्तर प्रदेश में अच्छे अस्पताल देना जरूरी नहीं समझा इसीलिए आज भी बड़ी संख्या में लोगों को उत्तर प्रदेश से इलाज कराने के लिए दिल्ली की ओर भागना पड़ता है और कई बार दिल्ली तक पहुंचने की देरी में या फिर संसाधनों की व्यवस्था ना कर पाने में ही बहुत से लोग बेहतर इलाज के अभाव में अपनी जान गवा देते हैं l
यही हाल उन्नाव की बेटी का भी हुआ लगभग 90% जल चुकी उन्नाव की बेटी को लखनऊ के कथित अच्छे अस्पतालों में पहुंचाया गया लेकिन उस बेटी को यह नहीं पता था कि उत्तर प्रदेश की सत्ता पर राज कर चुकी सपा बसपा और भाजपा की सरकारें पिछले दो दशकों में उत्तर प्रदेश को अच्छे अस्पताल भी नहीं दे पाईl
सामूहिक बलात्कार के बाद जलाई गई मासूम बेटी का बेहतर इलाज उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पताल नहीं कर पाएl जिस प्रदेश में हजारों करोड रुपए स्मारकों पार्कों और मूर्तियों में फूंके गए उस प्रदेश में अच्छे अस्पताल बनाना नेताओं ने कभी जरूरी नहीं समझाl आज भी उत्तर प्रदेश के जनपदों में जिला अस्पतालों की बदहाली और लापरवाही की कहानी अक्सर सामने आती रहती हैl
शर्म की बात तो यह है कि राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पताल भी बेहतर इलाज के मामले में कई बार फिसड्डी साबित होते हैं lताकतवर लोगों ने बड़े नेताओं ने तो अपने लिए मेदांता जैसे अस्पतालों में व्यवस्थाएं करवा ली हैं लेकिन आम आदमी कहा जाए इसके लिए नेताओं ने कभी नहीं सोचा l
राजधानी लखनऊ में जो गिने-चुने सरकारी अस्पताल हैं वह भारी भीड़ और अव्यवस्था से बदहाल हैं इस सवाल का जवाब उत्तर प्रदेश की सरकार को ही नहीं विपक्ष के नेताओं को भी सोचना होगा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश को बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली देने के लिए क्या किया?
गांव तहसील और जिलों से लेकर प्रदेश मुख्यालय तक आजादी के इतने वर्षों बाद भी बेहतर अस्पताल क्यों नहीं स्थापित हो पाए ? उन्नाव रेप पीड़िता को अगर तत्काल लखनऊ में ही बेहतर इलाज मिल गया होता तो उसके शरीर में संक्रमण नहीं फैलता और इस तरह से इंसाफ की आस में उसकी मौत ना होती l
सामाजिक न्याय का ढिंढोरा पीटने वाले नेताओं शर्म करो! सबसे पहले लोगों को उनकी जीवन रक्षा के अधिकार से जोड़ो! उन्हें स्वास्थ्य रक्षा के अधिकार से जोड़ो! कम से कम हर जिला स्तर पर बेहतर चिकित्सा व्यवस्था की स्थापना होनी ही चाहिएl
हर गरीब पीड़ित को मान सम्मान के साथ बेहतर इलाज की सुविधा मिलनी ही चाहिए अगर आप इतना भी नहीं कर सकते तो खुद को नेता कहलाना बंद करो खुद को संवेदनशील कहलाना बंद करो!
आपकी इसी नाकामी की वजह से शायद उन्नाव की बेटी ने जान गवाई l लखनऊ में आपका तंत्र यदि उसे बेहतर चिकित्सा देता तो शायद उसके शरीर में संक्रमण फैलता और वह जीते जी देख पाती कि उसके साथ हैवानियत करने वालों के साथ कानून ने क्या कियाl
आलोक मिश्रा की रिपोर्ट