मध्यप्रदेश के वरिष्ठ मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने मंगलवार को भिंड के बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया। उन्होंने उन लोगों को समझाया जो बाढ़ के बाद भी गांव छोडऩे को तैयार नहीं थे, कि जान बचेगी तो घर और जानवर फिर से मिल जाएंगे। लगभग 44 गांव पूरी तरह खाली करा लिए गए हैं। डॉ. गोविंद सिंह ने स्वीकार किया है कि भिंड कलेक्टर छोटे सिंह की सूझबूझ से बड़ी जनहानि बच गई है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ उनसे लगातार संपर्क कर पल-पल की खबर ले रहे हैं।
मप्र-उप्र के बॉर्डर पर पांच नदीयों के संगम में कोटा बैराज से छोड़ गए पानी के कारण भिंड जिले के 45 से 50 गांव लगभग पूरे डूब गए हैं। इन गांवों की फसल भी पानी में डूबी हुई है। इन गांव के कुछ लोग अपने जानवरों के कारण गांव छोडऩे को तैयार नहीं है। डॉ गोविंद सिंह ने मंगलवार को लगभग दिन भर बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया। लोगों को समझाकर गांव खाली कराए।
बची जन हानि
डॉ. गोविंद सिंह ने स्वीकार किया है कि भिंड कलेक्टर और प्रशासन की सूझबूझ से बड़ा नुकसान बच गया है। कोई जनहानि भी नहीं हुई है। कलेक्टर ने समय रहते सेना बुला ली और राहत टीमें तैनात कर दीं। जिन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से लोगों को सुरक्षित निकाला। डॉ. सिंह ने कहा कि भिंड कलेक्टर लगातार पड़ोसी जिलों और राजस्थान सरकार के संपर्क में हैं। जिससे कोटा बैराज से छोड़ गए पानी की स्थिति पर सतत नजर बनाए हुए हैं।
1900 लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाए गए
मन्दसौर में अत्यधिक बारिश होने तथा कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने से भिण्ड जिले में चंबल नदी उफान पर है। इससे अटेर और भिण्ड क्षेत्र के चंबल नदी के किनारे बसे 44 गाँव प्रभावित हो रहे हैं। चम्बल नदी का जल-स्तर बढऩे से सबसे ज्यादा प्रभावित गाँव मुकुटपुरा, दिन्नपुरा नावली वृन्दावन, रमा कोट, खैराहट, नखनोली की मढ़ैयन, कोसण की मढ़ैयन, चीलोंगा, चौमहो, कछपुरा, तरशोखर हैं। इन गाँव में फँसे लोगों को प्रशासन द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर राहत शिविरों में पहुँचाया जा रहा है। बाढग़्रस्त गाँवों में प्रशासन द्वारा बार-बार समझाने पर भी कई लोग गाँव छोड़ कर जाने से इन्कार कर रहे हैं।
अभी तक गाँव नखनोली, रमाकोट, कोषण, नावली वृन्दावन, मुकुटपुरा चौमहो, कछपुरा, तरशोखर एवं दिन्नपुरा से लगभग 1900 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। रेस्क्यू किए गए 900 से ज्यादा लोगों को जिला प्रशासन द्वारा बनाये गए राहत शिविरों में पहुँचा दिया गया है। बाकी बचे लोग अपने रिश्तेदारों और मिलने वालों के यहाँ सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। जिला प्रशासन, होमगॉर्ड, सेना और एसडीआरएफ द्वारा लगातार लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है।
कलेक्टर भिण्ड छोटे सिंह और पुलिस अधीक्षक रुडोल्फ अल्वारेस बाढ़ की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। ये अधिकारी बाढ़ प्रभावित स्थानों पर चलाए जा रहे रेस्क्यू आपरेशन में स्वयं मौजूद रह कर स्थिति पर पकड़ बनाये हुए हैं। साथ ही राहत शिविरों में सभी व्यवस्थाओं की निरंतर मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं।
राहत शिविरों में किये गये सभी जरूरी इंतजाम
जिला प्रशासन द्वारा रोशनलाल दैपुरिया महाविद्यालय सुरपुरा, हाईस्कूल विण्डवा , आईटीआई अटेर, मघेरा, हाई स्कूल रमाकोट में बनाये गये राहत शिविरों में लाये गए लोगों के लिये भोजन, पानी, सोने की व्यवस्था आदि आवश्यक इन्तजाम खाद्य विभाग द्वारा किए जा रहे हैं। सभी राहत शिविरों में मेडिकल टीमें पूरी तैयारी के साथ तैनात हैं। पशुओं के ईलाज के लिये पशु चिकित्सक तैनात किये गये हैं।
शासकीय अधिकारियों- कर्मचारियों की छुट्टियाँ निरस्त
कलेक्टर ने सभी शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों की छुट्टियां तत्काल प्रभाव से निरस्त कर सभी को कार्य पर लौटने का आदेश जारी कर दिया है। आपदा प्रबंधन से जुड़े कर्मचारी, अधिकारी पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं। होमगार्ड्स को नाव, बोट सहित सभी सुरक्षा साधन उपलब्ध कराये गये हैं। जल संसाधन और सेतु विकास निगम के सुरक्षा अधिकारी और राजस्व का पूरा अमला इस मुहिम में लगा हुआ है और लगातार मोबाइल, दूरभाष सहित वायरलैस से आपस में सम्पर्क में बने हुए हैं।
रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा