पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मिली जेड प्लस सुरक्षा को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वापस ले लिया है, उनकी सुरक्षा में अभी भी कमांडो तैनात रहेंगे लेकिन वह कमांडो एनएसजी के नहीं होंगे।
उत्तर प्रदेश में अब सिर्फ तीन वीवीआईपी ऐसे बच गए हैं, जिन्हें जेड प्लस सिक्योरिटी मिलेगी। जेड प्लस सुरक्षा में एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो नेताओं को घेरे रहते हैं और यह देश में एक स्टैटस सिंबल भी बन चुका है।
केंद्रीय गृहमंत्रालय समय-समय पर वीवीआईपी के खतरे का आकलन करता है और उसी मुताबिक किसी की सुरक्षा बढ़ाई या घटाई जाती है। गौरतलब है कि भारत में एसपीजी के बाद जेड प्लस सुरक्षा सबसे उम्दा और प्रतिष्ठित मानी जाती है। भारत में अभी एसपीजी सुरक्षा कवर सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा को मिली हुई है।
यूपी में बचे सिर्फ ये तीन वीवीआईपी
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बाद अब यूपी के दो पूर्व और एक मौजूदा मुख्यमंत्री रह गए हैं, जिनकी जेड प्लस सिक्योरिटी जारी रहेगी। ये हैं अखिलेश यादव के पिता और समाजवादी पार्टी के बुजुर्ग नेता मुलायम सिंह यादव, बीएसपी सुप्रीमो मायावती और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। इनकी सुरक्षा में अत्याधुनिक हथियारों से लैस एनएसजी के लगभग दो दर्जन ब्लैक कैट कमांडो के अलावा पुलिस की जवान भी तैनात रहते हैं।
एनएसजी के कमांडो की जिम्मेदारी होती है कि वो जिनकी हिफाजत करते हैं, वे उनकी चारों और घेरा बनाकर चलें। एनएसजी के बाहरी सर्किल में बाकी पुलिस और कमांडो फोर्स के जवान तैनात रहते हैं, ताकि सुरक्षा घेरा को कोई तोड़ न सके। कुल मिलाकर जेड प्लस सुरक्षित वीवीआईपी के सुरक्षा दस्ते में कुल मिलाकर कम से कम तीन दर्जन से ज्यादा कमांडो तैनात होते हैं।
सत्ता और विपक्ष के तमाम नेताओं को लंबे समय से मिली है जेड प्लस सिक्योरिटी
यूपी के तीन बड़े नेताओं के अलावा अभी देश में और जिन नेताओं को जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है, उनमें पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, असम के पूर्व मुख्यमंत्री प्रपुल्ल कुमार महंत, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद और फारूक अब्दुल्ला, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू शामिल हैं।
खतरा कम होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की हटी जेड प्लस सुरक्षा
गृहमंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव पर अब उतना खतरा नहीं रह गया है, इसलिए उन्हें मुहैया कराई गई 22 एनएसजी कमांडो की सुरक्षा कवर को हटाने का फैसला लिया जा रहा है। हालांकि, इसको लेकर अभी स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्या उनको मिली केंद्रीय सुरक्षाकर्मियों का कवच पूरी तरह हटा लिया जाएगा। अखिलेश यादव को ये सुरक्षा 2012 में यूपीए सरकार के दौरान दी गई थी, जब वे यूपी के मुख्यमंत्री बने थे।
देश में वीआईपी सुरक्षा में लगभग 500 एनएसजी कमांडो तैनात
वैसे तो देश में नेताओं की सुरक्षा में हजारों की संख्या में कमांडो और पुलिसकर्मी तैनात हैं लेकिन देशभर में वीवीआईपी को सुरक्षा कवर देने के लिए करीब 500 एनएसजी कमांडो को विशेष ट्रेनिंग देकर तैयार किया गया है। इनको जरूरत के मुताबिक तीन यूनिट में बांटा गया है, जिसे स्पेशल रेंजर्स ग्रुप (एसएजी) कहा जाता है, जिनकी मुख्य जिम्मेदारी वीवीआईपी सिक्योरिटी है। गौरतलब है कि एनएसजी का गठन 1984 में फेडरल कंटिंजेंसी फोर्स के तौर पर किया गया था, जिसकी प्राथमिक जिम्मेदारी स्पेशलाइज्ड काउंटर-टेरर और काउंटर-इंटेलिजेंस ऑपरेशन को अंजाम देना है। लेकिन, धीरे-धीरे बड़े नेताओं पर आतंकी या नक्सली हमले के खतरों के मद्देनजर इन्हें वीवीआईपी सुरक्षा का जिम्मा ही संभालने को दे दिया गया है।
वीवीआईपी सुरक्षा पर जनता के पैसों का भारी खर्च
वीवीआईपी सुरक्षा पर आने वाले खर्च का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले साल एक आरटीआई से खुलासा हुआ था कि अकेली दिल्ली पुलिस ने सिर्फ वीवीआईपी सिक्योरिटी के लिए गाड़ी मुहैया कराने पर सालाना 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्चा किया था। जबकि, हजारों जवानों को दी जाने वाली सैलरी और देशभर में वीवीआईपी भ्रमण का खर्च जोड़ा जाय, तो यह खर्च सैकड़ों करोड़ को भी पार कर सकता है। और यह खर्चा लगातार बढ़ता जा रहा है जो कि देश के लिए बेहद चिंताजनक है क्योंकि ज्यादातर नेताओं ने अपने राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग करके भारी भरकम सुरक्षा ले रखी है।
रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा