उन्नाव के भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ कई महीनों से इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे दुष्कर्म पीड़िता के परिवार के साथ जिस तरह से रायबरेली में पिछले दिनों संदिग्ध सड़क दुर्घटना हुई और इस घटना में पीड़िता के दो रिश्तेदारों की मौत हो गई स्वयं पीड़िता और उसका वकील वेंटिलेटर पर है इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले में कड़ा रुख अख्तियार किया है।
विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ रही दुष्कर्म पीड़िता ने कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भी लिखा था लेकिन इस पत्र का संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने तब लिया जब यह दुर्घटना हो गई और मामला राष्ट्रीय मीडिया में चर्चित हो गया।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी इस बात पर हैरान हैं कि उन्हें पत्र इतनी देरी से कैसे मिला।
आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई देश के सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए दुष्कर्म पीड़िता को इंसाफ देने के लिए बड़ा फैसला सुनाया सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी 5 मुकदमों को दिल्ली ट्रांसफर किए जाने का आदेश दिया है, सीबीआई को सड़क हादसे की जांच 7 दिन में पूरी करने का निर्देश दिया है और अधीनस्थ न्यायालय को इस मामले की सुनवाई प्रतिदिन करने के आदेश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालय को 45 दिन में सुनवाई पूरा करने के निर्देश दिए हैं इसके अलावा इस मामले में दुष्कर्म पीड़िता और सभी गवाहों को 24 घंटे सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं इतना ही नहीं सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को पीड़िता को तत्काल 2500000 का मुआवजा देने के भी निर्देश दिए हैं।
राज्य सरकार और यूपी पुलिस पर सुप्रीम कोर्ट को शायद नहीं रहा पूरा भरोसा..
सुप्रीम कोर्ट की आज की कार्रवाई में जो सबसे बड़ी बात निकल कर सामने आई हुआ है या नही की जो मामले मीडिया में चर्चित होते हैं उन मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट अतिरिक्त संवेदनशीलता का परिचय देता है।
उन्नाव कांड कई दिनों से मीडिया की सुर्खियों में है जानकारों का मानना है कि इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में परंपरा से हटकर आदेश जारी किए।
यूपी पुलिस नहीं सीआरपीएफ करेगी दुष्कर्म पीड़िता और परिजनों की सुरक्षा।
एक और बड़ी बात इस मामले में जो सामने निकल कर आई है वह यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को इस मामले से पूरी तरह अलग कर दिया है यानी यूपी पुलिस पर देश की सबसे बड़ी अदालत को भरोसा नहीं है।
जिस यूपी पुलिस के ऊपर देश के सबसे बड़े प्रदेश के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है उस यूपी पुलिस प्रदेश की सबसे बड़ी अदालत को भरोसा नहीं है इसीलिए दुष्कर्म पीड़िता और गवाहों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ को तत्काल प्रभाव से सौंपी गई है।
सुप्रीम कोर्ट चाहता है बहुत जल्द कार्यवाही इस संवेदनशील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सिर्फ 7 दिन का समय दिया है सिर्फ 7 दिन के भीतर सीबीआई को यह साबित करना होगा कि यह मात्र एक सड़क दुर्घटना है या फिर हत्या और हत्या की साजिश।
ये मामला बेहद तकनीकी है क्योंकि जानकारों का कहना है कि जब यह दुर्घटना हुई तो दुष्कर्म पीड़िता और उसके परिजन जिस कार में सवार थी उसकी रफ्तार बहुत तेज थी कार की रफ्तार 100 से भी ज्यादा किलोमीटर प्रति घंटा की बताई जा रही है वहीं ट्रक की रफ्तार 70 किलोमीटर प्रति घंटा बताई जा रही है ऐसे में यह निर्धारित करना की यह दुर्घटना है या फिर हत्या और हत्या का प्रयास आसान नहीं होगा। वही जो इस मामले में पकड़ा गया ट्रक सपा नेता का बताया जा रहा है। ट्रक मालिक इस पूरे मामले को विशेष रूप से संयोग और सड़क दुर्घटना ही बताया है।
अधीनस्थ न्यायालय को भी सिर्फ 45 दिन का समय सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रतिदिन सुनवाई करते हुए मात्र 45 दिन के भीतर ट्रायल पूरा करने का निर्देश अधीनस्थ न्यायालय को दिया है मात्र 45 दिनों के भीतर ही अधीनस्थ न्यायालय को इस मामले से जुड़े सभी पहलुओं का परीक्षण करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रमुख तत्व..
सभी 5 केस दिल्ली ट्रांसफर किए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने केस ट्रांसफर के आदेश दिए।
सड़क हादसे की जांच 7 दिन में पूरी करें-SC
CBI को 7 दिन में जांच करने के आदेश।
सुप्रीम कोर्ट ने डे टू डे सुनवाई के आदेश दिए।
उन्नाव केस की अब रोजाना सुनवाई होगी।
45 दिन में ट्रायल पूरा करने के आदेश।
पीड़िता और गवाह को सुरक्षा के आदेश।
लोवर कोर्ट 45 दिन में सुनवाई पूरी करे-SC
पीड़िता को 25 लाख का मुआवजा दें- SC
यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया।
मां-भाई-बहन सभी को सुरक्षा दी जाए- SC
सीआरपीएफ को सुप्रीम कोर्ट का आदेश।
पीड़ित परिवार की सुरक्षा सीआरपीएफ करेगी।
सरकार कल ही मुआवजा राशि दे- सुप्रीम कोर्ट।
रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा