*द इंडियन ओपिनियन की खबर से सियासी भूचाल, अखिलेश ने किया ट्वीट, तो यूपी सरकार ने भी केंद्र के नए ट्रैफिक कानून से असहमति के संकेत दिए, इंडियन ओपिनियन ने खड़ा किया था सवाल की ‘पीएम मोदी के गुजरात में क्यों नहीं लागू हुआ नया ट्रैफिक कानून” ! पढ़िए यह रिपोर्ट*

इंडियन ओपिनियन ने यह खबर प्रमुखता से प्रसारित की के भाजपा शासित गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अपने राज्य में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बनाए गए नए ट्रैफिक कानूनों को लागू नहीं किया है।

उन्होंने गुजरात राज्य में जुर्माने की दरें काफी घटा दी हैं और नए कानूनों के प्रावधानों को अपने से संशोधित कर दिया है जबकि केंद्र सरकार के द्वारा यह संकेत दिया गया था कि सभी राज्यों को इस कानून को लागू करना है और राज्य अपने से संशोधन नहीं कर सकते।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बयान भी इस मामले में आ चुका है और वह भी या कह चुके हैं कि राज्य अपने मन से कानून दुर्घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक जनहित में बनाया गया है।

इस पूरे मामले की खबर प्रसारित की गई और यह सवाल भी खड़ा किया गया कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में ही भाजपा सरकार होने के बावजूद यह कानून क्यों नहीं लागू किया जा रहा और जब प्रधानमंत्री अपने राज्य गुजरात में या कानून नहीं लागू करवा रहे तो शेष राज्यों की जनता को भारी जुर्माने वाले इस कानून की मार क्यों सहनी पड़े.?

http://indianopinionnews.com/2019/09/11/big-issue-आप-भरे-जुर्माना-लेकिन-पी/

इस मुद्दे की खबर प्रसारित होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बयान जारी करके यह कहा है कि जब गुजरात में यह कानून पूरी तरह लागू नहीं किया गया तो अन्य प्रदेशों के लोगों को क्यों कठोर कानून के दायरे में लाया जा रहा है।

वहीं द इंडियन ओपिनियन के मंच पर बड़ा मुद्दा बनने के बाद इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से इस बात के संकेत दिए गए हैं कि सरकार नए ट्रैफिक कानूनों में जुर्माने की रकम घटाने पर विचार कर रही है और उत्तर प्रदेश में इस कानून की समीक्षा करके नए प्रावधान लागू किए जा सकते हैं। जिसके तहत वर्तमान जुर्माने की तुलना में काफी कम जुर्माना देना होगा।

परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने यह बयान भी दिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार इस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है कि जनता की सहूलियत के लिए जुर्माने की रकम में कटौती की जाए ऐसे में एक बड़ा राजनीतिक विवाद भी सामने आ रहा है क्योंकि भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून भाजपा की ही राज्य सरकारें मानने को तैयार नहीं है।

गुजरात के बाद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में हुई यह असंतोष खुलकर सामने आ रहा है। ऐसे में यह सवाल जायज है कि क्या भाजपा के बड़े नेताओं और केंद्र सरकार की कार्यशैली की बीच कहीं ना कहीं तालमेल का अभाव है।

रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा