अखिलेश के साथ जाने वाले सुनील सिंह को योगी ने सालों पहले ही हिंदू युवा वाहिनी से निकाल दिया था, क्या है सच्चाई?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब हिंदू युवा वाहिनी के बड़े नेता थे तब उनके साथ सुनील सिंह एक कार्यकर्ता के रूप में काम करते थे । बताया जा रहा है कि 2002 के आसपास योगी आदित्यनाथ ने उन्हें हिंदू युवा वाहिनी का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया था लेकिन इसके बावजूद सुनील सिंह योगी आदित्यनाथ के प्रति निष्ठावान नहीं साबित हुए।

सुनील सिंह की महत्वाकांक्षा इतनी बढ़ गई कि वह अपने ही अध्यक्ष के आदेशों का उल्लंघन करने लगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले ही सुनील सिंह को सीएम योगी ने खुद से दूर कर दिया था और कुछ दिनों बाद ही उन्हें हिंदू युवा वाहिनी से निष्कासित कर के बाहर कर दिया गया था।

अपने ही संगठन के खिलाफ षड्यंत्र करने के आरोप में हिंदू युवा वाहिनी से सुनील सिंह निकाले गए थे उसके बाद उन्होंने अपना एक अलग संगठन बनाया जिसे हिंदू युवा वाहिनी भारत का नाम दिया अब जब यह संगठन सफल नहीं हो पाया  तो अपने आगे की राजनीतिक यात्रा के लिए उन्हें अखिलेश यादव की शरण में जाना पड़ा।

सोशल मीडिया पर यह खबर खूब ट्रेंड कर रही है कि योगी के करीबी सुनील सिंह अखिलेश यादव के साथ चले गये। लेकिन इस खबर का एक पहलू यह भी है कि सुनील सिंह योगी आदित्यनाथ से कई सालों पहले ही दूर हो चुके थे 2017  के पहले ही उनके रास्ते अलग हो चुके थे।

लेकिन यह खबर मीडिया के एक बड़े हिस्से में इस तरह से परोसी जा रही है कि जैसे सुनील सिंह अभी कुछ दिनों पहले तक ही योगी आदित्यनाथ के बहुत करीबी रहे और बतौर मुख्यमंत्री उनकी कार्यशैली से निराश होकर अखिलेश यादव के पाले में गए जबकि हकीकत यह है कि सीएम योगी के मुख्यमंत्री बनने के पहले ही सुनील सिंह उनसे अलग हो चुके थे उन्होंने तो बकायदा भाजपा के खिलाफ अपने लोगों को विधानसभा चुनाव लड़ाने का प्रयास भी किया था।

रिपोर्ट – आलोक कुमार

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