एमएसएमई मेंबर परिधि शर्मा पहुंची वाराणसी, जाना बुनकरों का हाल।

बुनकरों के वेलफेयर के लिए बनारस के धरोहर बनारसी साड़ी, बनारस के हथकरघा उद्योग को देखने वाराणसी पहुंची भारत सरकार की दूत व msme member परिधि शर्मा हैंडलूम को बढ़ावा देने के लिए बुनकरों के इलाकों में सर्वे किया। परिधि शर्मा बुनकरों के घरों में गई व वहां हैंडलूम का हाल जाना। परिधि ने कहा कि पावरलूम से बनारसी सिल्क साड़ियों व कपड़ों के क्वालिटी में गिरावट आया है। पावरलूम व हैंडलूम के कपड़ों में काफी अंतर होता है। हैंडलूम के कपड़ों की क्वालिटी बेहतर होती है। इसलिए हैंडलूम को बढ़ाने की कवायद चल रही है। उन्होंने कई जगह जाकर हैंडलूम का काम देखा व उसके बारे में पूरी जानकारी ली। हैंडलूम से बनी साड़ियां भी देखी।

बनारस पहुंची परिधि शर्मा ने कहा कि हम यहां बुनकरों का काम देखने आए थे हैंडलूम देखने आए थे पर आश्चर्यचकित रही कि यहां सिर्फ 10 प्रतिशत बुनकर हैंडलूम पर काम कर रहे हैं बाकी पावरलूम पर। परिधि ने बताया कि हैंडलूम को revive करना और पावरलूम को डिक्लाइन करना हमारा उद्देश्य है इसी के साथ हमारी यात्रा समाप्त होगी।

रेशम के धागों के बारे में परिधि ने कहा कि रेशम के धागे चाइना से आते हैं मगर हमारे देश फाइबर का सबसे बड़ा स्रोत है। हमारे यहां नेचुरल फाइबर की बहरमर है जैसे सिल्क कॉटन वूल। हमारे यहाँ सिल्क यार्न्स, कॉटन यार्न्स और वूल यार्न्स उगता है। हम चाइना से सस्ता रेशम लेते हैं मगर आत्मनिर्भर हिने के लिए लोकल फ़ॉर वोकल होना पड़ेगा। अगर प्रयास किया जाएगा तो हमें रेशम के लिए चाइना पर निर्भर नही होना पड़ेगा। आत्मनिर्भर बनने के लिए रेशम की पैदावार बढ़ाई जाएगी। हैंडलूम से प्रोडक्शन कम होने के सवाल पर कहा कि प्रोडक्शन बरकरार करने के लिए हैंडलूम में रोजगार बढ़ेगा। बुनकरों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलेगा जबकि पावरलूम से रोजगार घटा है।

वहीं सर्वे करने गए इलाकों में उन्होंने गंदगी, बजबजाती नालियां व सीवर ओवरफ्लो की समस्या से उन्हें रूबरू होना पड़ा। उन्होंने बताया कि वाराणसी के बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के किए वो भारत सरकार को कहेंगी।

रिपोर्ट – पुरुषोत्तम सिंह

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