*चर्चित रियल एस्टेट कारोबारी पूर्व सांसद संजय सेठ ने आखिर क्यों मुलायम अखिलेश का साथ छोड़कर पकड़ा बीजेपी का हाथ?The Indian opinion*


संजय सेठ उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे भारत में रियल एस्टेट के कारोबार का एक बड़ा नाम है। पिछले दो दशकों में संजय सेठ का व्यापार अगर बहुत तेजी से आगे बढ़ा तो उसकी बड़ी वजह थी लगभग सभी दलों के नेताओं से उनके नजदीकी संबंध नेताओं को खुश करने में संजय सेठ को माहिर माना जाता है।

सपा बसपा के बड़े नेताओं को संजय सेठ ने गिफ्ट किए लग्जरी बंगले और लग्जरी गाड़ियां

नेताओं की हर जरूरत को पूरा करके उनसे अपनी जरूरतों के काम करवा लेना कोई संजय सेठ से सीखे ,सरकार चाहे समाजवादी पार्टी की रही हो या फिर बसपा की उत्तर प्रदेश में संजय सेठ की रियल स्टेट परियोजनाएं लगातार आगे बढ़ती रही जहां नियम कानूनों की बाधाएं आई वहां नेताओं से संजय सेठ की दोस्ती ने असर दिखाया और सारी कठिनाइयां सरल हो गई।

शालीमार ग्रुप कि दर्जनों गगनचुंबी इमारतें संजय सेठ के कारोबारी और राजनीतिक किरदार की ऊंची पहुंच की बानगी है।

कहा जाता है कि उन्होंने सपा और बसपा के तमाम बड़े नेताओं को उनके मनमाफिक खूबसूरत बंगले गिफ्ट में दिए और नेताओं के परिवारी जनों के लिए महंगी लग्जरी गाड़ियां भी उपहार स्वरूप में भेंट में दी।इसके बदले ताकतवर नेताओं ने संजय सेठ के कारोबार की अड़चनों को दूर किया और उनके कारोबार की रफ्तार को कई गुना बढ़ाने में हर तरह का सहयोग किया। लेकिन यह बातें गोपनीय मानी जाती हैं सार्वजनिक भी हुई लेकिन खुलकर नहीं, नेताओं के करीबी और संजय सेठ के करीबी जरूर इन बातों की चर्चा करते हैं।

खबरों की दुनिया में ऐसी बहुत सी खबरें होती हैं जो सच्ची तो होती हैं लेकिन उनकी पुष्टि नहीं हो पाती। संजय सेठ से जुड़ी हुई ऐसी तमाम खबरें हैं जो इटावा सैफई नोएडा और लखनऊ के सियासी दरबारों से जुड़ी हैं।

फिलहाल अब जो खबर दुनिया के सामने है, वह यह है कि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के करीबी रहे संजय सेठ,राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सहयोग से सांसद बनने वाले संजय सेठ अब भगवा चोले में भाजपाई बन चुके हैं।

पिछले दिनों उन्होंने समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया तभी यह खबर सामने आ गई थी कि संजय सेठ जल्द ही भाजपा में शामिल हो जाएंगे।

संजय सेठ के भाजपाई बनने की बड़ी वजह

संजय सेठ का पूरे देश में रियल स्टेट का कारोबार है। उत्तर प्रदेश के कई बड़े शहरों में उनकी सैकड़ों करोड़ की परियोजनाएं हैं ऐसे में अपने रियल स्टेट कारोबार को मुनाफे की दौड़ में आगे बढ़ाने के लिए उनके लिए जरूरी है कि वह सत्ताधारी दल के नजदीक रहे यही वजह थी कि मायावती की सरकार में संजय सेठ ने बसपा से नज़दीकियां बनाई।
सपा की सरकार में संजय सेठ सपा के करीबी रहे, वह यह बात अच्छी तरह समझते हैं की सत्ता के साथ कारोबार की रफ्तार बेहतर होती है और सत्ता से तालमेल ना हो तो कारोबार लड़खड़ा जाता है। यह भी कहा जा रहा है कि कश्मीर मुद्दे पर ज्यादा से ज्यादा राज्यसभा सांसदों का समर्थन हासिल करने के लिए भाजपा ने पहले ही मजबूत फील्डिंग लगा दी थी, जिसके चलते संजय सेठ समेत कई दलों के राज्यसभा सांसद भाजपा के संपर्क में पहले ही आ गए थे।

आज पूर्व राज्यसभा सदस्य और बड़े कारोबारी संजय सेठ में समाजवादी पार्टी से ही राज्यसभा के सदस्य रहे सुरेंद्र सिंह नागर के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली उन्हें भाजपा के महासचिव भूपेंद्र यादव के साथ भाजपा की सदस्यता लेते हुए तस्वीरों में देखा जा सकता है।

संजय सेठ को जरूर इस बात की उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश की सत्ता पर आसीन भारतीय जनता पार्टी के परिवार में शामिल होने से ना सिर्फ उनके राजनीतिक कैरियर बल्कि उनके व्यापारिक जीवन को भी बड़ा लाभ मिलेगा।
बड़े लाभ की आशा में समाजवादी से भाजपाई बने संजय सेठ का आगे का सफर भी रोचक होगा।

रिपोर्ट – आलोक मिश्र