
नई दिल्ली: दुनियाभर के आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगार बन चुका पाकिस्तान एकबार फिर विश्व समुदाय की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश में है। पाकिस्तान ने (FATF) फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स के कहर से बचने के लिए नया पैंतरा चला है। टेरर फंडिंग मामले में आतंकी सरगना हाफिज सईद को साढ़े दस साल की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही आतंकवाद रोधी एक अदालत ने हाफिज सईद की संपत्ति भी जब्त करने के आदेश दिए गए हैं।
गौर मतलब बात है कि पाकिस्तान खुद को कैसे भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकालना चाहता है। लेकिन, इसके लिए उसे आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी पड़ेगी। इसी कारण पाकिस्तान ने संभवत गुमराह करने की नीयत से इन आतंकवादियों को मोस्ट वॉन्टेड की लिस्ट में डाला है। अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो उसकी आर्थिक स्थिति का और अधिक बदतर होना तय है।
यही नहीं पाकिस्तान को अंतरराष्ट्री य मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्वं बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे पाकिस्तान की हालात और बिगड़ जाएगी। दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलनी बंद हो सकती है ,क्योंकि कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश नहीं करना चाहता है।
गौरतलब है कि फ्रांस की राजधानी पेरिस में 21-23 अक्टूबर को फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) की तीन दिवसीय वर्चुअल बैठक हुई थी। इस बैठक में निर्णय लिया गया है कि इमरान सरकार की तमाम नाकामियों के चलते पाकिस्तान इस बार भी ग्रे लिस्ट में बना रहेगा।
आतंकी सरगना हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने का सबसे बड़े कारण हैं । वहीं, पाकिस्तान के दोस्त चीन ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की।
आपको बता दें कि 26 नवंबर 2008 को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में लश्कर के 10 आतंकियों ने हमला था जिसमें 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 300 लोग घायल हो गए थे। उस दिन मुंबई के सीएसटी रेलवे स्टेशन, मुंबई के आलीशान ताज महल और ट्राइडेंड होटल सहित कई इलाके को निशाना बनाया गया था। मरने वालों में विदेशी नागरिक भी शामिल थे।
इस घटना के बाद अमेरिका ने हाफिज को ब्लैक लिस्ट कर दिया था और उसपर इनाम घोषित किया था।
रिपोर्ट – विकास चन्द्र अग्रवाल