पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति गिरफ्तार, केजीएमयू में हुए भर्ती।

पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की मुसीबत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है हालही में रेप मामले में जमानत पर छूटे प्रजापति अब धोखाधड़ी में गिरफ्तार हो गए हैं। शुक्रवार को गाजीपुर में अधिवक्ता दिनेश चंद्र त्रिपाठी ने गायत्री पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करवाया।  पुलिस आयुक्त सुजीत पांडेय ने बताया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उक्त मुकदमे में गायत्री का वारंट तलब कराया था। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में केजीएमयू में भर्ती कराने के आदेश दिया, डॉक्टर की रिपोर्ट के बाद उन्हें जेल भेजा जाएगा। अधिवक्ता ने एफआईआर में गायत्री के अलावा उन पर दुष्कर्म का आरोप लगाकर मुकरने वाली महिला और उसकी बेटी को भी नामजद किया था। पुलिस बाकी दोनों की तलाश कर रही है।
पुलिस आयुक्त ने बताया कि पूर्व मंत्री दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद थे, जहां से तबीयत खराब होने पर वह केजीएमयू में भर्ती होकर उपचार करा रहे थे। बीते दिनों हाईकोर्ट ने उनकी जमानत स्वीकार की थी। हालांकि जमानत के कागजात व प्रक्रिया पूरी न होने से वह न्यायिक अभिरक्षा में अस्पताल में भर्ती थे।
उनके वकील जमानत के कागजात तैयार कर रहे थे, तभी बृहस्पतिवार को इंदिरानगर के सेक्टर 14 निवासी हाईकोर्ट के अधिवक्ता दिनेश चंद्र त्रिपाठी ने पूर्व मंत्री के साथ ही उन पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली मां-बेटी के खिलाफ गाजीपुर थाना में धोखाधड़ी और धमकाने की धाराओं में एफआईआर दर्ज करा दी। अधिवक्ता ने पूर्व मंत्री के खिलाफ जो साक्ष्य दिए थे, वह जांच में सही पाए गए। इसके बाद शुक्रवार दोपहर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट से अधिवक्ता की एफआईआर पर पूर्व मंत्री का वारंट बनवाकर उन्हें दोबारा न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया।

पुलिस आयुक्त ने बताया कि गायत्री पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला ने आशियाना में एक करोड़ रुपये का जो मकान खरीदा था, वह गायत्री के ड्राइवर के नाम पर था। ड्राइवर ने ही महिला को उक्त मकान बेचा था। पुलिस आयुक्त का मानना है कि ड्राइवर का मकान वास्तव में पूर्व मंत्री की बेनामी संपत्ति का हिस्सा हो सकता है। इस दिशा में जांच की जा रही है।
गायत्री और पीड़िता के बीच लेनदेन के चेक जांच में फर्जी पाए गए
पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और महिला के बीच चेक से जिस लेनदेन की बात कही जा रही है, वास्तव में वे चेक कभी बैंक में लगाए ही नहीं गए थे। ये चेक अधिवक्ता ने फर्जीवाड़े के साक्ष्य के रूप में पुलिस को उपलब्ध कराए थे। पुलिस आयुक्त ने बताया कि सभी चेक की जांच की गई तो पता चला कि वह कभी कैश ही नहीं कराए गए। उक्त चेकों को ही आधार बनाकर महिला और गायत्री ने अपने बीच के लेनदेन व मकान की खरीद-फरोख्त को सही साबित करने का प्रयास किया था।

रिपोर्ट – मनीष सिंह

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