आखिरकार सामूहिक बलात्कार और हत्या की शिकार “निर्भया” को मिला इन्साफ।

रिपोर्ट – आराधना शुक्ल

कहते हैं कि जब न्याय देर से मिलता है तो ऐसा न्याय किसी अन्याय से कम नहीं होता। लकी यह बात  निर्भया के मामले में पूरी तरह लागू नहीं होती  अदालती कार्रवाई में देरी जरूर हुई लेकिन अपराधियों को फांसी के बाद इंसाफ पूरा हुआ।

निर्भया केस में पिछले सात सालों से न्यायालय द्वारा फैसले ही सुनाया जा रहे थे। कुछ भी रहा हो आखिरकार निर्भया की मां ने माननीय उच्चतम न्यायालय का आभार व्यक्त किया और  कहा कि आज निर्भया को न्याय मिला है। साथ ही गुरुवार 20 मार्च के दिन को देश की बेटियों के नाम समर्पित किया।

हमारे संविधान की यही खूबसूरती है कि न्याय भले ही थोड़े दिनों बाद मिले पर किसी निर्दोष को सजा ना मिले। इसी सिद्धांत का पालन सुप्रीम कोर्ट ने किया। 16 दिसंबर 2012 जिस दिन घटना घटित हुई थी तब से लेकर 20 मार्च 2020 तक दोषियों को हर आवश्यक कानूनी सहायता मुहैया करवाई गई थी। यह केस भारत के कई बड़े हाई प्रोफाइल केस में से एक रहा है।

दिसंबर की वह काल रात-:

16 दिसंबर 2012 राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर की रात एक ऐसी दरिंदगी हुई जिससे पूरे देश का गुस्सा उबल पड़ा। देश भर की महिलाएं सड़कों पर उतर कर न्याय की मांग करने लगी। घटना पैरामेडिकल की एक छात्रा के साथ हुई थी। छात्रा और उसके दोस्त दोनों उस दिन फिल्म देख कर लौट रहे थे। उन्होंने घर जाने के लिए बस पकड़ी बस में छः लोग मौजूद थे।चलती बस में ही छात्रा से रेप किया गया और उसकी साथी को बुरी तरह पीटा गया था। उस भयानक काली रात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निर्भया के साथ उन छः लोगों ने रेप किया था, और इंसानियत की सारी हदें पार कर दी थी।
निर्भया के दोस्त ने बताया था कि किस प्रकार उन लोगों  नें बर्बरता की थी। रेप करने के बाद निर्भया और उसके साथी को बस से फेंक दिया गया था। इतना ही नहीं, उन पर बस चढ़ाने की कोशिश भी की गई थी जिससे यह साबित हो जाता कि वे लोग बस एक्सीडेंट में ही वे मारे गए हैं।
13 दिन में मौत की जंग हार गई निर्भया-:

इस घटना के बाद पूरे देश में आंदोलन होने लगे थे ।हर कोई निर्भया के इंसाफ की मांग कर रहा था। दोषियों को फांसी की सजा का मांग करते हुए लोग सड़कों पर उतर आए थे। उधर निर्भया की हालत बिगड़ती ही जा रही थी। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। हालात बेकाबू होते देख उसे सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल ले जाया गया। जहां 29 दिसंबर की रात को पीड़िता ने दम तोड़ दिया था। निर्भया की हालत इतनी खराब थी कि दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा था कि मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही कि मैं अस्पताल जाकर उसको देख सकूँ।

आरोपियों की धरपकड़-:
घटना के दो दिन बाद पुलिस ने चार आरोपियों राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद 21 दिसंबर 2012 को पांचवां आरोपी जो नाबालिग था, उसे दिल्ली से और छठे आरोपी अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार किया गया था।
एक आरोपी ने आत्महत्या कर ली थी
मामला कोर्ट में चल ही रहा था कि इसी बीच 11 मार्च 2013 को आरोपी बस चालक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।ऐसा कहा जाता है कि उसने आत्मग्लानि में यह कदम उठाया था। वहीं परिवार वालों का कहना था कि उसकी हत्या की गई है।

साल दर साल आरोप तय होते रहे सुनवाई चलती रही-:

14 सितंबर 2013 को गठित फास्ट ट्रैक अदालत ने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी।जबकि एक आरोपी के नाबालिग होने के कारण उसको तीन साल के लिए सुधार गृह भेजा गया था। इसके बाद जब उसको रिहा किया गया था,तब देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे।
13 मार्च 2014 से 7 जनवरी 2020 तक के दौरान दोषियों के बच निकलने के सारे तरीके नाकाफी साबित हुए।ये सारे आरोपी तरह-तरह के हथकंडे अपनाते रहे पर कोर्ट से लेकर राष्ट्रपति की दया याचिका,सभी जगह इनको निराशा ही हाथ लगी।
एक समय तो ऐसा भी आया था कि निर्भया की मां मीडिया के सामने आकर रोने लगी थी और बोला था कि न्याय मिलने में इतनी देरी क्यों हो रही है। ऐसा तब हुआ था जब बचाव पक्ष के वकील ने कहा था कि अब फांसी अनंत काल के लिए टाल दी गई है। राष्ट्रपति से दया याचिका निरस्त होने के बाद दोषी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जाने की तैयारी में भी थे, पर उनकी मंशा पर पानी फिर गया और अंततोगत्वा 20 मार्च 2020 गुरुवार को सुबह 5:30 बजे उन चारों आरोपियों को फांसी पर चढ़ा दिया गया। इसके साथ ही  न सिर्फ़ निर्भया को इंसाफ मिला बल्कि उन तमाम लोगों को भी इंसाफ मिलने की उम्मीद जग गई है जो सालों से न्यायालय से आस लगाए बैठें हैं।
निर्भया की माँ ने इस बाबत मीडिया को बताया कि आज मेरी बेटी को इंसाफ मिला गया। और आज का दिन हमारे देश की बेटियों के नाम है।

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