योगी जी कब धरातल पर होगा SCR? 2027 के पहले हुआ तो तीसरी बार CM बनने का सपना होगा साकार?

Deepak Mishra
The Indian Opinion
Lucknow

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी सरकार ने कई महीनों पहले ही राजधानी लखनऊ के पड़ोसी जनपदों बाराबंकी, रायबरेली, उन्नाव, सीतापुर, हरदोई के अहम हिस्सों को शामिल करते हुए स्टेट कैपिटल रीजन (SCR) की घोषणा कर दी थी। इसके पहले SCR की अवधारणा पर पिछले कई वर्षों से शासन में केवल मंथन ही किया जा रहा था, लेकिन धरातल पर अभी तक कोई भी कार्य नहीं दिखाई पड़ रहा है।

राजधानी लखनऊ जैसा महानगर निकट होने के बावजूद राजधानी के ज्यादातर पड़ोसी जनपद विकास की रफ्तार में बहुत पीछे हैं। हालात यह हैं कि राजधानी लखनऊ के लगभग सभी पड़ोसी जनपद अपनी तमाम महत्वपूर्ण आवश्यकताओं के लिए लखनऊ पर ही निर्भर हैं। चाहे बात उच्च शिक्षा की हो, तकनीकी शिक्षा की हो, उच्च स्तरीय चिकित्सा सेवा की हो या समुचित रोजगार की—लखनऊ के पड़ोसी जनपदों के लाखों लोग अपनी आवश्यकता के लिए प्रतिदिन लखनऊ आने को विवश हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ वर्ष पहले जब आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया था, तो साधारण जनपदों के निवासियों को यह उम्मीद जगी थी कि छोटे और पिछड़े कहे जाने वाले जिले भी आत्मनिर्भर बनेंगे और उन्हें अपनी आवश्यकताओं के लिए बड़े महानगरों की ओर बार-बार नहीं भागना होगा। इसके पहले सरकार ने हर जनपद में मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालय की भी घोषणा की थी, परंतु राजधानी लखनऊ के सबसे नजदीकी जनपद बाराबंकी में न तो सरकारी मेडिकल कॉलेज है और न ही कोई सरकारी विश्वविद्यालय।

बाराबंकी, लखनऊ का सबसे नजदीकी जनपद होने के बावजूद उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिलों में ही गिना जाता है। यहां के विद्यार्थी अपनी शैक्षिक आवश्यकताओं के लिए लखनऊ पर निर्भर हैं। यहां के बीमार लोग अपने इलाज के लिए लखनऊ के अस्पतालों पर निर्भर हैं, और यहां के युवाओं को भी रोजगार के लिए लखनऊ की ओर मुखातिब होना पड़ता है।

लंबे समय से बाराबंकी के समग्र विकास की सिर्फ चर्चाएं हो रही हैं। बाराबंकी शहर अभी भी एक कस्बा ही माना जाता है। एक विकसित जिला मुख्यालय के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिए यहां के लोग काफी समय से सरकार की ओर देख रहे हैं। सुनियोजित विकास न होने और आधारभूत ढांचे की कमी के चलते मामूली बारिश में बाराबंकी शहर के तमाम इलाके नारकीय स्थिति में पहुंच जाते हैं। शहर की केवल एक सड़क पर डिवाइडर बन पाया है; ज्यादातर सड़कों पर डिवाइडर नहीं है। शहर की किसी भी सड़क पर फुटपाथ नहीं है। शहर में बच्चों के लिए खेल के मैदान और समुचित पार्क भी उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, बाराबंकी के वर्तमान जिला अधिकारी ने शासन के सहयोग से शहर में अनिवार्य रूप से आने वाली बाढ़ को रोकने के लिए जमुरिया नदी के अतिक्रमण को हटाकर उसके पुराने स्वरूप को बहाल करने का प्रयास किया है। उसके अलावा शहर में नए नालों का निर्माण व अन्य कार्य भी हो रहे हैं, लेकिन बाराबंकी शहर की तेजी से बढ़ती आबादी और शहरीकरण को देखते हुए यह प्रयास समुचित नहीं कहे जा सकते। सरकार के बड़े सहयोग की आवश्यकता जरूर पड़ेगी।

लोगों को उम्मीद जगी थी जब SCR की चर्चा हुई थी कि अब उनका समुचित विकास होगा। उन्हें आधुनिक शहरों जैसी सुविधाएं मिलेंगी—चौड़ी सड़कें, स्ट्रीट लाइट, ओवरब्रिज जैसी सुविधाएं मिलेंगी। अतिक्रमण और ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिलेगी, और प्रदूषण मुक्त वातावरण मिलेगा। लेकिन योगी जी की सरकार को 7 वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी धरातल पर न बाराबंकी विकास प्राधिकरण दिख रहा है और न ही स्टेट कैपिटल रीजन।

नगर पालिका नवाबगंज (फाइल फोटो)

लगभग डेढ़ दशक पहले बाराबंकी विकास प्राधिकरण के लिए भी पत्राचार हुआ था, लेकिन आज तक विकास प्राधिकरण धरातल पर नहीं उतर पाया। कुछ साल पहले लखनऊ विकास प्राधिकरण का दायरा बढ़ाकर बाराबंकी शहर को उसमें शामिल करने की बात हुई थी, पर वह भी हवा हवाई रह गई।

कुल मिलाकर, बाराबंकी के लोगों का यही मानना है कि कुशल राजनीतिक नेतृत्व के अभाव के चलते बाराबंकी को उसका सम्मान और अधिकार नहीं मिल पा रहा है। राजधानी लखनऊ का सबसे नजदीकी जनपद होने के नाते बाराबंकी के लोग लंबे समय से लखनऊ जैसी विकास और सुविधाओं की उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेकिन पिछले 20 वर्षों में बाराबंकी के सत्ताधारी नेताओं ने ईमानदारी से अपना कर्तव्य नहीं निभाया। यही वजह है कि लखनऊ में कई वर्षों से चल रही मेट्रो ट्रेन भी बाराबंकी तक नहीं आ पाई, जबकि लखनऊ और बाराबंकी के बीच दैनिक यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा है।

इतना ही नहीं, पहले लखनऊ और बाराबंकी के बीच लोकल एसी बसें भी चलती थीं, वह भी पिछले एक दशक से बंद हैं। विश्वविद्यालय और मेडिकल कॉलेज तो दूर की कौड़ी हैं। रोजगार और तकनीकी शिक्षा भी सरकारी क्षेत्र में बहुत सीमित हैं। सरकारी क्षेत्र में बीटेक, एमबीए, और एलएलबी की पढ़ाई भी उपलब्ध नहीं है। कुल मिलाकर, जनप्रतिनिधियों की सूझबूझ और इच्छाशक्ति का अभाव ही बाराबंकी के पिछड़ेपन का मुख्य कारण है।

अब तो उत्तर प्रदेश के लोगों के मुखिया और संरक्षक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ही लोगों को उम्मीद है कि वे बिना समय गवाएं स्टेट कैपिटल रीजन बनाने का अपना वादा पूरा करेंगे और धरातल पर स्टेट कैपिटल रीजन का आकार साकार होता दिखेगा।

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