The Indian opinion
उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को अगर दिल्ली में बैठकर इंडिया गठबंधन के नेता राहुल गांधी धन्यवाद दे रहे हैं तो उसके पीछे अखिलेश यादव की चाणक्य टीम के द्वारा बनाया गया PDA का फार्मूला है जिसने जौनपुर में भी अपना जबरदस्त कमाल दिखाया है. बनारस के बाद पूर्वांचल की सबसे चर्चित सीट जौनपुर के चुनावी परिणामों ने अखिलेश यादव के पीडीएफ फार्मूले को 24 में सियासत का सबसे कंक्रीट फार्मूला साबित कर दिया है।
इसके आगे भाजपा का सारा चुनावी मैनेजमेंट धराशायी होता दिख रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को जोड़े रखने में भाजपा का संगठन नाकाम रहा और योगी मोदी की डबल इंजन की सरकार के दावे भी किनारे हो गए । बेरोजगारी महंगाई और संविधान के मुद्दे पर यू पी के मतदाताओं ने मोदी योगी की बजाय राहुल अखिलेश की बात को ज्यादा गंभीरता से लिया जिसका परिणाम यह हुआ की 19 के मुकाबले भाजपा का परफॉर्मेंस उत्तर प्रदेश में बहुत ही खराब स्तर पर पहुंच गया ।
24 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने टिकट वितरण में भी बहुत ही समझदारी से काम किया और हर सीट पर मजबूत प्रत्याशी दिया ऐसा प्रत्याशी दिया जो जनता की नब्ज को भी पहचानता हो। जौनपुर में जब बाबू सिंह कुशवाहा का नाम घोषित हुआ तभी से राजनीतिक जानकारों ने यह मान लिया था कि यह सीट इंडिया गठबंधन के खाते में आसानी से चली जाएगी क्योंकि बाबू सिंह कुशवाहा सियासत के पुराने खिलाड़ी हैं दलित और पिछड़ों में उनके लंबे समय से प्रभाव है और समाज के हर वर्ग से बेहतर संवाद में उन्हें विशेषज्ञता हासिल है ।
बाबू सिंह कुशवाहा ने बहुत ही सावधानी से इंडिया गठबंधन के मुद्दों को जनता के बीच रखा सोशल मीडिया पर बहुत ही प्रभावशाली अभियान चलाया और जौनपुर के स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन के मुद्दों को उन्होंने लाखों लोगों तक पहुंचाया जिसका परिणाम यह रहा कि उनको लेकर जौनपुर के मतदाताओं में उत्साह का वातावरण बना यहां तक की भाजपा से जुड़े कई कार्यकर्ताओं और बूथ पदाधिकारी ने भी खुलकर बाबू सिंह कुशवाहा के समर्थन इंडिया गठबंधन के समर्थन की घोषणा कर दी थी।
कुशवाहा की कुशल रणनीति चुनाव परिणाम के रूप में सामने आई और अब वह जौनपुर के माननीय सांसद के रूप में देश की लोकसभा में देश के विकास के मुद्दों को आगे बढ़ाएंगे।