

देवव्रत शर्मा –
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला करते हुए 2018 में दिए हुए अपने ही फैसले को पलट दिया और केंद्र सरकार द्वारा किए गए sc st act संशोधन को सही ठहराया है ।
दरअसल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट के बारे में एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए यह कहा था कि इस एक्ट में मुकदमा दर्ज करने के पहले आरोपों की जांच की जाएगी और एसएसपी स्तर के अधिकारी से अनुमति लेकर ही मुकदमा दर्ज किया जाएगा साथ ही अग्रिम जमानत की भी व्यवस्था की जाएगी। जिससे निर्दोषों का उत्पीड़न ना हो सके और झूठे आरोपों की वजह से लोगों को परेशानी ना उठानी पड़े।

सरकारी कर्मचारियों के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि उनके विभाग के वरिष्ठ अफसरों की अनुमति लेकर ही सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध एससी एसटी एक्ट के मुकदमे दर्ज किए जाएंगे।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2018 में देश में कई जातीय संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार पर यह दबाव बनाया था कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध संसद में संशोधन प्रस्ताव लाए ।

जिसके दबाव में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय के विरुद्ध जाकर एससी एसटी एक्ट में संशोधन कर दिया और यह प्रावधान जोड़ दिए की एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज करने के लिए किसी जांच की जरूरत नहीं होगी शिकायत मिलते ही मुकदमा दर्ज होगा और मुकदमा दर्ज होते ही आरोपी व्यक्ति को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा और सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध भी एससी एसटी एक्ट बिना उनके अधिकारियों की मंजूरी के तुरंत दर्ज किया जा सकेगा और उन्हें भी बिना आरोपों की जांच के गिरफ्तार किया जा सकेगा।

कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में जो निर्णय दिया था, वह इसलिए दिया था क्योंकि बहुत सी ऐसी शिकायतें आ रही थी कि एससी एसटी एक्ट में राजनीतिक और सामाजिक द्वेष के चलते लोगों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें जेल भिजवा दिया जाता है और कानूनी कार्रवाई में परेशान किया जाता है।
लेकिन एससी एसटी संगठनों के प्रदर्शन वोट बैंक की राजनीति और विपक्ष के दबाव में के सरकार ने 2018 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध संविधान में संशोधन कर दिया और एससी एसटी एक्ट को पहले से ज्यादा शक्तिशाली बना दिया अब गैर sc-st लोगो यानी ओबीसी अल्पसंख्यक और सामान्य वर्गों के लोगों के लिए कोई भी शिकायत बड़ी कानूनी मुश्किल बन सकती है क्योंकि पुलिस बिना शिकायत की जांच के लिए तुरंत मुकदमा दर्ज करेगी और बिना सबूत जुटाए बिना सच्चाई पता लगाए आरोपी को तुरंत गिरफ्तार करके जेल भेज देगी और अग्रिम जमानत हासिल करना भी अब आसान नहीं होगा।
कानून में संशोधन के बाद याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह मांग की गई थी कि संशोधन को रद्द किया जाए क्योंकि इससे गैर sc-st लोगों का उत्पीड़न बढ़ेगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष को सुनते हुए या कहा कि देश में अभी भी एससी एसटी के लोगों का उत्पीड़न हो रहा है इसलिए उन्हें मजबूत कानूनी संरक्षण देना जरूरी है।